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ग्रेट इंडियन बस्टर्ड मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रखा - सीजेआई एस बोबड़े

सुप्रीम कोर्ट ने आज राजस्थान में भूमिगत बिजली लाइनों की मांग करने वाली याचिका पर तीन घंटे तक मामले की सुनवाई की. बेंच ने अपना आदेश सुरक्षित रख लिया है. एडवोकेट दीवान ने अदालत के सामने अपना पक्ष रखा, जबकि सुनवाई के दौरान यूनियन ऑफ इंडिया और राजस्थान राज्य ने हाई वोल्टेड ट्रांसमिशन लाइनों को भूमिगत करने का विरोध किया.

ग्रेट इंडियन बस्टर्ड के संरक्षण मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अपना आदेश सुरक्षित रखा
ग्रेट इंडियन बस्टर्ड के संरक्षण मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अपना आदेश सुरक्षित रखा
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Published : Apr 6, 2021, 9:21 PM IST

नई दिल्ली : बिजली की लाइनों से टकराने के कारण गंभीर रूप से लुप्तप्राय ग्रेट इंडियन बस्टर्ड पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा है. ये बिजली लाइनें गुजरात और राजस्थान राज्यों में ग्रेट इंडियन बस्टर्ड के प्राकृतिक आवास से गुजरती हैं. याचिकाकर्ता ने तर्क दिया था कि ग्रेट इंडियन बस्टर्ड एक लुप्तप्राय पक्षी के लिए खतरनाक है और इन पक्षियों को 'ओवर हेड पावर लाइन' से ज्यादा खतरा है.

सीजेआई बोबड़े, न्यायमूर्ति बोपन्ना और न्यायमूर्ति रामसुब्रमण्यम ने लगभग तीन घंटे तक मामले की सुनवाई की. सुनवाई के दौरान यूनियन ऑफ इंडिया और राजस्थान राज्य ने हाई वोल्टेड ट्रांसमिशन लाइनों को भूमिगत करने का विरोध किया और कहा कि यह संभव नहीं है. ऐसा करने से उन किसानों और मजदूरों के लिए भी खतरा पैदा हो सकता है जो पूरे दिन खेतों में काम करते हैं.

एडवोकेट दीवान ने रखा अपना पक्ष

वरिष्ठ अधिवक्ता श्याम दीवान ने आज अदालत के समक्ष अपना पक्ष प्रस्तुत किया और कहा कि ग्रेट इंडियन बस्टर्ड सबसे भारी उड़ने वाले पक्षियों में से एक है. इसके 90% से अधिक निवास स्थान नष्ट हो गए हैं और यदि बिजली लाइनों को भूमिगत नहीं रखा गया, तो ग्रेट इंडियन बस्टर्ड का विलुप्त होना तय है.

बिजली लाइनों को भूमिगत करने पर सरकार की आपत्ति पर दीवान ने कहा कि भारत में 8,000 किमी तक की सभी वोल्टेज की बिजली लाइनें भूमिगत हैं और यह संभव है. भारत में यह कोई नया मामला नहीं है. बिजली लाइन के भूमिगत होने से ट्रांसमिशन में कोई कमी नहीं आती है और दुर्घटनाएं भी कम होती हैं. ऐसा करने से पक्षियों की मृत्यु दर में भी कमी आएगी.

विभिन्न राज्यों की रिपोर्टों का हवाला देते हुए दिवान ने कहा, बिजली लाइनों को भूमिगत करने के लिए अनेक टेंडर भी उपलब्ध हैं और ऐसा गुजरात के कच्छ क्षेत्र के खादर में राजहंस (फ्लेमिंग बर्ड) के लिए किया गया है.

एडवोकेट दीवान ने मांग उठाई है कि गुजरात और राजस्थान राज्य में चिन्हित इलाकों में बर्ड डायवर्टर लगाना चाहिए और महत्वपूर्ण क्षेत्रों में बिजली लाइनों को भूमिगत करने की मांग की.

राजस्थान बिजली विभाग का प्रस्ताव

जबकि राजस्थान बिजली विभाग ने प्रस्ताव दिया कि 22 केवी से ऊपर की लाइनें भूमिगत होने पर घातक होंगी. उच्च वोल्टेज लाइनों के 1,285 किमी के लिए लागत लगभग 185 करोड़ होगी. हालांकि, राजस्थान कम वोल्टेज लाइनों के लिए भूमिगत करने के लिए तैयार हो गया है.

पढ़ें : वन्यजीव संरक्षण अधिनियम के अधिकार क्षेत्र को एनजीटी को सौंपने पर हो विचार : SC

सीजेआई इस महीने 23 अप्रैल को सेवानिवृत्त हो रहे हैं, इसलिए इस तारीख से पहले ही इस पर फैसला दे सकते हैं.

बता दें कि ग्रेट इंडियन बस्टर्ड पक्षी भारतीय उपमहाद्वीप में पाया जाता है. यह विशाल पक्षी शुतुरमुर्ग जैसा दिखता है और भारी उड़ने वाले पक्षियों में से एक है.

नई दिल्ली : बिजली की लाइनों से टकराने के कारण गंभीर रूप से लुप्तप्राय ग्रेट इंडियन बस्टर्ड पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा है. ये बिजली लाइनें गुजरात और राजस्थान राज्यों में ग्रेट इंडियन बस्टर्ड के प्राकृतिक आवास से गुजरती हैं. याचिकाकर्ता ने तर्क दिया था कि ग्रेट इंडियन बस्टर्ड एक लुप्तप्राय पक्षी के लिए खतरनाक है और इन पक्षियों को 'ओवर हेड पावर लाइन' से ज्यादा खतरा है.

सीजेआई बोबड़े, न्यायमूर्ति बोपन्ना और न्यायमूर्ति रामसुब्रमण्यम ने लगभग तीन घंटे तक मामले की सुनवाई की. सुनवाई के दौरान यूनियन ऑफ इंडिया और राजस्थान राज्य ने हाई वोल्टेड ट्रांसमिशन लाइनों को भूमिगत करने का विरोध किया और कहा कि यह संभव नहीं है. ऐसा करने से उन किसानों और मजदूरों के लिए भी खतरा पैदा हो सकता है जो पूरे दिन खेतों में काम करते हैं.

एडवोकेट दीवान ने रखा अपना पक्ष

वरिष्ठ अधिवक्ता श्याम दीवान ने आज अदालत के समक्ष अपना पक्ष प्रस्तुत किया और कहा कि ग्रेट इंडियन बस्टर्ड सबसे भारी उड़ने वाले पक्षियों में से एक है. इसके 90% से अधिक निवास स्थान नष्ट हो गए हैं और यदि बिजली लाइनों को भूमिगत नहीं रखा गया, तो ग्रेट इंडियन बस्टर्ड का विलुप्त होना तय है.

बिजली लाइनों को भूमिगत करने पर सरकार की आपत्ति पर दीवान ने कहा कि भारत में 8,000 किमी तक की सभी वोल्टेज की बिजली लाइनें भूमिगत हैं और यह संभव है. भारत में यह कोई नया मामला नहीं है. बिजली लाइन के भूमिगत होने से ट्रांसमिशन में कोई कमी नहीं आती है और दुर्घटनाएं भी कम होती हैं. ऐसा करने से पक्षियों की मृत्यु दर में भी कमी आएगी.

विभिन्न राज्यों की रिपोर्टों का हवाला देते हुए दिवान ने कहा, बिजली लाइनों को भूमिगत करने के लिए अनेक टेंडर भी उपलब्ध हैं और ऐसा गुजरात के कच्छ क्षेत्र के खादर में राजहंस (फ्लेमिंग बर्ड) के लिए किया गया है.

एडवोकेट दीवान ने मांग उठाई है कि गुजरात और राजस्थान राज्य में चिन्हित इलाकों में बर्ड डायवर्टर लगाना चाहिए और महत्वपूर्ण क्षेत्रों में बिजली लाइनों को भूमिगत करने की मांग की.

राजस्थान बिजली विभाग का प्रस्ताव

जबकि राजस्थान बिजली विभाग ने प्रस्ताव दिया कि 22 केवी से ऊपर की लाइनें भूमिगत होने पर घातक होंगी. उच्च वोल्टेज लाइनों के 1,285 किमी के लिए लागत लगभग 185 करोड़ होगी. हालांकि, राजस्थान कम वोल्टेज लाइनों के लिए भूमिगत करने के लिए तैयार हो गया है.

पढ़ें : वन्यजीव संरक्षण अधिनियम के अधिकार क्षेत्र को एनजीटी को सौंपने पर हो विचार : SC

सीजेआई इस महीने 23 अप्रैल को सेवानिवृत्त हो रहे हैं, इसलिए इस तारीख से पहले ही इस पर फैसला दे सकते हैं.

बता दें कि ग्रेट इंडियन बस्टर्ड पक्षी भारतीय उपमहाद्वीप में पाया जाता है. यह विशाल पक्षी शुतुरमुर्ग जैसा दिखता है और भारी उड़ने वाले पक्षियों में से एक है.

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