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हैदरपोरा मुठभेड़ के आरोपी के अंतिम संस्कार की मांग करने वाली याचिका पर SC का आदेश सुरक्षित - Justice JB Pardiwala

हैदरपोरा एनकाउंटर के मृतक के परिजनों के द्वारा दायर की गई याचिका पर आदेश सुरक्षित रख लिया है. परिजनों ने दफन स्थल पर इस्लामिक रीति रिवाजों के मुताबिक अंतिम संस्कार करने की डिमांड की थी.

Supreme court
सुप्रीम कोर्ट
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Published : Aug 29, 2022, 5:19 PM IST

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) ने सोमवार को हैदरपोरा एनकाउंटर के मृतक के परिजनों द्वारा दायर याचिका पर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया, जिसमें दफन स्थल पर इस्लामिक रीति-रिवाजों के अनुसार अंतिम संस्कार करने की मांग की गई थी. न्यायमूर्ति सूर्यकांत (Justice SuryaKant) और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला (Justice JB Pardiwala) की पीठ ने मामले की सुनवाई की. याचिकाकर्ता ने अदालत के समक्ष कहा कि सुरक्षा को कोई खतरा नहीं है और वह सिर्फ यह चाहता है कि शव से बेटे का अंतिम संस्कार किया जा सके.

वहीं याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता आनंद ग्रोवर ने तर्क दिया कि मृतक को धोने के बाद उसकी बाद लाश को ढक दिया जाता है, तब चेहरा दिखाई देता है और परिवार चेहरे को चूमता है. उन्होंने कहा कि उन लोगों ने सामुदायिक भागीदारी को छोड़ दिया है ताकि सुरक्षा को कोई खतरा न हो लेकिन फिर भी इसकी अनुमति नहीं दी जा रही है. ग्रोवर ने तर्क दिया कि दुर्भाग्य से एक बार जब आपको आतंकवादी करार दिया जाता है, तो परिवार को भी निशाना बनाया जाता है.

उन्होंने कहा कि मैं दिखा सकता हूं कि वह आतंकवादी नहीं था, लेकिन मैं इसमें नहीं पड़ रहा हूं, मैं केवल संस्कार करना चाहता हूं. इस पर जम्मू-कश्मीर के वकील ने विरोध किया और कहा कि उनके आतंकवादी होने पर कोई विवाद नहीं है और एचसी के समक्ष प्रस्तुत सीडी से पता चलता है कि सभी इस्लामी संस्कार पहले ही किए जा चुके हैं. साथ ही उन्होंने कहा कि इसके अलावा शरीर भी दफन के बाद विघटित हो जाता है. जम्मू-कश्मीर ने एक घटना का भी हवाला दिया जब आतंकवादी का शव दिया गया था और तर्क दिया कि अगर इसकी अनुमति दी जाती है तो अदालत अंतिम संस्कार करने की मांग करने वाली दलीलों से भर जाएगी.

मामले में जम्मू-कश्मीर के वकील ने तर्क दिया कि 8 महीने बीत चुके हैं और अब खुदाई करने से कानून-व्यवस्था की समस्या ही पैदा होगी. हां उसने अपने बेटे को खो दिया है लेकिन वह एक आतंकवादी था. नफिलहाल कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए फैसला सुरक्षित रख लिया है.

ये भी पढ़ें - हैदरपोरा मुठभेड़ : कोर्ट के आदेश के बाद भी परिवार को बेटे का शव मिलने का इंतजार

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) ने सोमवार को हैदरपोरा एनकाउंटर के मृतक के परिजनों द्वारा दायर याचिका पर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया, जिसमें दफन स्थल पर इस्लामिक रीति-रिवाजों के अनुसार अंतिम संस्कार करने की मांग की गई थी. न्यायमूर्ति सूर्यकांत (Justice SuryaKant) और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला (Justice JB Pardiwala) की पीठ ने मामले की सुनवाई की. याचिकाकर्ता ने अदालत के समक्ष कहा कि सुरक्षा को कोई खतरा नहीं है और वह सिर्फ यह चाहता है कि शव से बेटे का अंतिम संस्कार किया जा सके.

वहीं याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता आनंद ग्रोवर ने तर्क दिया कि मृतक को धोने के बाद उसकी बाद लाश को ढक दिया जाता है, तब चेहरा दिखाई देता है और परिवार चेहरे को चूमता है. उन्होंने कहा कि उन लोगों ने सामुदायिक भागीदारी को छोड़ दिया है ताकि सुरक्षा को कोई खतरा न हो लेकिन फिर भी इसकी अनुमति नहीं दी जा रही है. ग्रोवर ने तर्क दिया कि दुर्भाग्य से एक बार जब आपको आतंकवादी करार दिया जाता है, तो परिवार को भी निशाना बनाया जाता है.

उन्होंने कहा कि मैं दिखा सकता हूं कि वह आतंकवादी नहीं था, लेकिन मैं इसमें नहीं पड़ रहा हूं, मैं केवल संस्कार करना चाहता हूं. इस पर जम्मू-कश्मीर के वकील ने विरोध किया और कहा कि उनके आतंकवादी होने पर कोई विवाद नहीं है और एचसी के समक्ष प्रस्तुत सीडी से पता चलता है कि सभी इस्लामी संस्कार पहले ही किए जा चुके हैं. साथ ही उन्होंने कहा कि इसके अलावा शरीर भी दफन के बाद विघटित हो जाता है. जम्मू-कश्मीर ने एक घटना का भी हवाला दिया जब आतंकवादी का शव दिया गया था और तर्क दिया कि अगर इसकी अनुमति दी जाती है तो अदालत अंतिम संस्कार करने की मांग करने वाली दलीलों से भर जाएगी.

मामले में जम्मू-कश्मीर के वकील ने तर्क दिया कि 8 महीने बीत चुके हैं और अब खुदाई करने से कानून-व्यवस्था की समस्या ही पैदा होगी. हां उसने अपने बेटे को खो दिया है लेकिन वह एक आतंकवादी था. नफिलहाल कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए फैसला सुरक्षित रख लिया है.

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