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सुप्रीम कोर्ट ने कॉलेजियम सिस्टम के खिलाफ टिप्पणियां खारिज की - Comments against collegium system rejected

मीडिया में छपी खबर के आधार पर यह याचिका दाखिल की गई है. सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को सुनवाई करते हुए कहा कि इस पर कोई आदेश नहीं दिया जा सकता.

Etv Bharat Comments against collegium system rejected
Etv Bharat सुप्रीम कोर्ट ने कॉलेजियम सिस्टम के खिलाफ टिप्पणियां खारिज की
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Published : Dec 9, 2022, 11:11 AM IST

Updated : Dec 9, 2022, 11:35 AM IST

नई दिल्ली: देश की सर्वोच्च अदालत ने शुक्रवार को अहम फैसला सुनाते हुए कहा कि कॉलेजियम के फैसले सार्वजनिक किए जाते हैं, लेकिन उससे पहले हुई चर्चा की जानकारी आरटीआई के तहत नहीं मांगी जा सकती है. इस टिप्पणी के साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने एक याचिका खारिज कर दी है जिसमें 12 दिसंबर 2018 को कॉलेजियम की तरफ से नए जजों की नियुक्ति को लेकर लिए गए फैसले को सार्वजनिक करने की मांग की गई थी. कोर्ट ने कहा कि उस दिन सिर्फ चर्चा हुई थी. मीडिया में छपी खबर के आधार पर याचिका दाखिल की गई है. कोर्ट ने कहा कि इस पर कोई आदेश नहीं दिया जा सकता.

बता दें, जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस एएस ओका और जस्टिस विक्रम नाथ की पीठ कोर्ट द्वारा निर्धारित समय सीमा के भीतर कॉलेजियम की सिफारिशों को मंजूरी नहीं देने के लिए केंद्र के खिलाफ दायर एक अवमानना याचिका पर सुनवाई कर रही थी.

सुनवाई के दौरान, पीठ को कॉलेजियम प्रणाली के खिलाफ 'संवैधानिक पदों पर बैठे लोगों' द्वारा की गई कुछ टिप्पणियों के बारे में बताया गया. सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष, सीनियर एडवोकेट विकास सिंह ने अनुमेय अवधि से परे सिफारिशों पर बैठने के लिए सरकार के खिलाफ परमादेश रिट जारी करने या अवमानना कार्यवाही शुरू करने का आग्रह करते हुए कहा कि संवैधानिक पदों पर बैठे लोग कह रहे हैं कि सुप्रीम कोर्ट के पास न्यायिक समीक्षा करने की शक्ति नहीं है. यह संविधान की मूल संरचना का एक हिस्सा है. यह थोड़ा परेशान करने वाला है.

पढ़ें: सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम सिस्टम को चुनौती देने वाली याचिका पर करेगा सुनवाई

केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू भी कॉलेजियम प्रणाली की आलोचना करते हुए कई सार्वजनिक बयान दिए, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने पिछली सुनवाई के दौरान अस्वीकार कर दिया था.

नई दिल्ली: देश की सर्वोच्च अदालत ने शुक्रवार को अहम फैसला सुनाते हुए कहा कि कॉलेजियम के फैसले सार्वजनिक किए जाते हैं, लेकिन उससे पहले हुई चर्चा की जानकारी आरटीआई के तहत नहीं मांगी जा सकती है. इस टिप्पणी के साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने एक याचिका खारिज कर दी है जिसमें 12 दिसंबर 2018 को कॉलेजियम की तरफ से नए जजों की नियुक्ति को लेकर लिए गए फैसले को सार्वजनिक करने की मांग की गई थी. कोर्ट ने कहा कि उस दिन सिर्फ चर्चा हुई थी. मीडिया में छपी खबर के आधार पर याचिका दाखिल की गई है. कोर्ट ने कहा कि इस पर कोई आदेश नहीं दिया जा सकता.

बता दें, जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस एएस ओका और जस्टिस विक्रम नाथ की पीठ कोर्ट द्वारा निर्धारित समय सीमा के भीतर कॉलेजियम की सिफारिशों को मंजूरी नहीं देने के लिए केंद्र के खिलाफ दायर एक अवमानना याचिका पर सुनवाई कर रही थी.

सुनवाई के दौरान, पीठ को कॉलेजियम प्रणाली के खिलाफ 'संवैधानिक पदों पर बैठे लोगों' द्वारा की गई कुछ टिप्पणियों के बारे में बताया गया. सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष, सीनियर एडवोकेट विकास सिंह ने अनुमेय अवधि से परे सिफारिशों पर बैठने के लिए सरकार के खिलाफ परमादेश रिट जारी करने या अवमानना कार्यवाही शुरू करने का आग्रह करते हुए कहा कि संवैधानिक पदों पर बैठे लोग कह रहे हैं कि सुप्रीम कोर्ट के पास न्यायिक समीक्षा करने की शक्ति नहीं है. यह संविधान की मूल संरचना का एक हिस्सा है. यह थोड़ा परेशान करने वाला है.

पढ़ें: सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम सिस्टम को चुनौती देने वाली याचिका पर करेगा सुनवाई

केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू भी कॉलेजियम प्रणाली की आलोचना करते हुए कई सार्वजनिक बयान दिए, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने पिछली सुनवाई के दौरान अस्वीकार कर दिया था.

Last Updated : Dec 9, 2022, 11:35 AM IST
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