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सुप्रीम कोर्ट ने 6,000 NGO के FCRA लाइसेंस बढ़ाने की मांग वाली याचिका खारिज की

सुप्रीम कोर्ट ने एफसीआरए लाइसेंस जारी रखने की अनुमति देने के लिए अंतरिम राहत की मांग वाली याचिका खारिज कर दी. सुनवाई के दौरान केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि कट-ऑफ तारीख के भीतर आवेदन करने वाले 11,594 गैर सरकारी संगठनों के एफसीआरए पंजीकरण बढ़ा दिए गए हैं. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी.

FCRA licenses of 6000 NGOs
सुप्रीम कोर्ट
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Published : Jan 25, 2022, 6:49 PM IST

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने 6000 से अधिक गैर सरकारी संगठनों (NGO) को राहत देने से इनकार कर दिया है. शीर्ष अदालत ने मंगलवार को एफसीआरए लाइसेंस जारी रखने की अनुमति देने के लिए अंतरिम राहत की मांग वाली याचिका खारिज कर दी. सुनवाई के दौरान केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि कट-ऑफ तारीख के भीतर आवेदन करने वाले 11,594 गैर सरकारी संगठनों के एफसीआरए पंजीकरण बढ़ा दिए गए हैं. बता दें, विदेशी योगदान नियमन अधिनियम (FCRA) के तहत 6000 से अधिक गैर सरकारी संगठनों के लाइसेंस की समाप्ति को चुनौती देते हुए जनहित याचिका दायर की गई थी.

केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि कट-ऑफ तिथि के भीतर आवेदन करने वाले 11,594 एनजीओ का विदेशी अंशदान विनियमन अधिनियम (एफसीआरए) पंजीकरण पहले ही बढ़ा दिया गया है. सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता की दलील पर गौर करते हुए न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर, न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी और न्यायमूर्ति सी टी रविकुमार की पीठ ने इस संबंध में कोई अंतरिम निर्देश पारित करने से इनकार किया कि सभी संगठनों का एफसीआरए पंजीकरण जो पिछले साल 30 सितंबर तक वैध था, उसे अगले आदेश तक जारी रखा जाना चाहिए.

विदेशी कोष प्राप्त करने के लिए किसी भी संगठन और एनजीओ के लिए एफसीआरए पंजीकरण अनिवार्य है. मेहता ने शीर्ष अदालत को बताया कि 11,594 एनजीओ ने कट-ऑफ तिथि के भीतर आवेदन किया था और उनके पंजीकरण को फिलहाल के लिए बढ़ा दिया गया है. शीर्ष अदालत अमेरिका आधारित एक एनजीओ द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें केंद्र के उस कथित फैसले को रद्द करने का आग्रह किया गया है जिसके चलते 5,789 संस्थाओं ने एफसीआरए पंजीकरण गंवा दिया.

मेहता की दलील का संदर्भ देते हुए शीर्ष अदालत ने कहा कि मामले में उसका ऐसा कोई अंतरिम निर्देश पारित करने का इरादा नहीं है जिसका कि आग्रह किया गया है. दलीलों के दौरान, पीठ ने मेहता से पूछा कि क्या एफसीआरए पंजीकरण के लिए आवेदन करने वालों के नाम सार्वजनिक रूप से ऑनलाइन प्रदर्शित होते हैं. मेहता ने कहा कि उनके पास इस संबंध में कोई निर्देश नहीं है. उन्होंने कहा कि याचिकाकर्ता संगठन अमेरिका के ह्यूस्टन आधारित है.

यह भी पढ़ें- चुनाव में मुफ्त के वादों पर सुप्रीम कोर्ट सख्त, EC और केंद्र को जारी किया नोटिस

याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता संजय हेगड़े ने कहा कि उनके पास वह जानकारी है जो सार्वजनिक रूप से उपलब्ध है और इसके अनुसार लगभग 6,000 एनजीओ का पंजीकरण नहीं बढ़ाया गया है. पीठ ने हेगड़े को बताया कि सॉलिसिटर जनरल ने कहा है कि जिन संगठनों ने आवेदन किया, उनका पंजीकरण बढ़ा दिया गया है. अदालत ने कहा, 'अगर उन 6,000 एनजीओ ने पंजीकरण के लिए आवेदन नहीं करने का विकल्प चुना है, तो इसका मतलब है कि वे वर्तमान व्यवस्था में बने रहना नहीं चाहते हैं.' पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता उन अधिकारियों के समक्ष अभ्यावेदन दे सकते हैं जिनके द्वारा उन पर विचार किया जा सकता है.

(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने 6000 से अधिक गैर सरकारी संगठनों (NGO) को राहत देने से इनकार कर दिया है. शीर्ष अदालत ने मंगलवार को एफसीआरए लाइसेंस जारी रखने की अनुमति देने के लिए अंतरिम राहत की मांग वाली याचिका खारिज कर दी. सुनवाई के दौरान केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि कट-ऑफ तारीख के भीतर आवेदन करने वाले 11,594 गैर सरकारी संगठनों के एफसीआरए पंजीकरण बढ़ा दिए गए हैं. बता दें, विदेशी योगदान नियमन अधिनियम (FCRA) के तहत 6000 से अधिक गैर सरकारी संगठनों के लाइसेंस की समाप्ति को चुनौती देते हुए जनहित याचिका दायर की गई थी.

केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि कट-ऑफ तिथि के भीतर आवेदन करने वाले 11,594 एनजीओ का विदेशी अंशदान विनियमन अधिनियम (एफसीआरए) पंजीकरण पहले ही बढ़ा दिया गया है. सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता की दलील पर गौर करते हुए न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर, न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी और न्यायमूर्ति सी टी रविकुमार की पीठ ने इस संबंध में कोई अंतरिम निर्देश पारित करने से इनकार किया कि सभी संगठनों का एफसीआरए पंजीकरण जो पिछले साल 30 सितंबर तक वैध था, उसे अगले आदेश तक जारी रखा जाना चाहिए.

विदेशी कोष प्राप्त करने के लिए किसी भी संगठन और एनजीओ के लिए एफसीआरए पंजीकरण अनिवार्य है. मेहता ने शीर्ष अदालत को बताया कि 11,594 एनजीओ ने कट-ऑफ तिथि के भीतर आवेदन किया था और उनके पंजीकरण को फिलहाल के लिए बढ़ा दिया गया है. शीर्ष अदालत अमेरिका आधारित एक एनजीओ द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें केंद्र के उस कथित फैसले को रद्द करने का आग्रह किया गया है जिसके चलते 5,789 संस्थाओं ने एफसीआरए पंजीकरण गंवा दिया.

मेहता की दलील का संदर्भ देते हुए शीर्ष अदालत ने कहा कि मामले में उसका ऐसा कोई अंतरिम निर्देश पारित करने का इरादा नहीं है जिसका कि आग्रह किया गया है. दलीलों के दौरान, पीठ ने मेहता से पूछा कि क्या एफसीआरए पंजीकरण के लिए आवेदन करने वालों के नाम सार्वजनिक रूप से ऑनलाइन प्रदर्शित होते हैं. मेहता ने कहा कि उनके पास इस संबंध में कोई निर्देश नहीं है. उन्होंने कहा कि याचिकाकर्ता संगठन अमेरिका के ह्यूस्टन आधारित है.

यह भी पढ़ें- चुनाव में मुफ्त के वादों पर सुप्रीम कोर्ट सख्त, EC और केंद्र को जारी किया नोटिस

याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता संजय हेगड़े ने कहा कि उनके पास वह जानकारी है जो सार्वजनिक रूप से उपलब्ध है और इसके अनुसार लगभग 6,000 एनजीओ का पंजीकरण नहीं बढ़ाया गया है. पीठ ने हेगड़े को बताया कि सॉलिसिटर जनरल ने कहा है कि जिन संगठनों ने आवेदन किया, उनका पंजीकरण बढ़ा दिया गया है. अदालत ने कहा, 'अगर उन 6,000 एनजीओ ने पंजीकरण के लिए आवेदन नहीं करने का विकल्प चुना है, तो इसका मतलब है कि वे वर्तमान व्यवस्था में बने रहना नहीं चाहते हैं.' पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता उन अधिकारियों के समक्ष अभ्यावेदन दे सकते हैं जिनके द्वारा उन पर विचार किया जा सकता है.

(पीटीआई-भाषा)

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