नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने सीबीएसई और सीआईएससीई को 10वीं और 12वीं बोर्ड परीक्षाओं में बैठने वाले छात्रों के लिए केवल ऑफलाइन माध्यम के बजाय हाइब्रिड माध्यम (hybrid mode option) (ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों) का विकल्प उपलब्ध कराने का आदेश देने से बृहस्पतिवार को इनकार कर दिया और कहा कि इस स्तर पर प्रक्रिया में बाधा डालना उचित नहीं होगा.
उच्चतम न्यायालय ने कहा कि केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) की पहले सत्र की परीक्षाएं 16 नवंबर से शुरू हो गयी हैं जबकि काउंसिल फॉर द इंडियन स्कूल सर्टिफिकेट एग्जामिनेशंस (सीआईएससीई) की बोर्ड परीक्षाओं के पहले सेमेस्टर की परीक्षाएं 22 नवंबर से शुरू होनी हैं.
सीबीएसई की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने न्यायमूर्ति ए एम खानविल्कर और न्यायमूर्ति सी टी रविकुमार की पीठ को बताया कि ऑफलाइन माध्यम से बोर्ड परीक्षाएं कराने के लिए सभी एहतियात बरते गए हैं और परीक्षा केंद्रों की संख्या 6,500 से बढ़ाकर 15,000 तक कर दी गयी है.
पीठ ने कहा कि ‘‘वह उम्मीद और विश्वास’’ करती है कि प्राधिकारी यह सुनिश्चित करने के लिए सभी एहतियात और उपाय करेंगे कि परीक्षा के दौरान किसी के भी साथ कुछ अप्रिय नहीं हो.
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शीर्ष अदालत बोर्ड परीक्षाएं दे रहे छह छात्रों की याचिका पर सुनवाई कर रही थी. याचिका में सीबीएसई और सीआईएससीई को 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षाएं कोविड-19 महामारी के बीच केवल ऑफलाइन माध्यम के बजाय हाइब्रिड माध्यम में कराने के लिए संशोधित परिपत्र जारी करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया था.