नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को तेलंगाना उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया.
ईडी ने आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री जगनमोहन रेड्डी की पत्नी वाई.एस. भारती रेड्डी (YS Bharathi Reddy) की मनी लॉन्ड्रिंग मामले में जब्त की गई संपत्ति को सावधि जमा से बदलने के लिए याचिका दायर की थी. दरअसल ईडी ने भारती सीमेंट से जुड़े भ्रष्टाचार के मामले में मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप के तहत संपत्ति कुर्क की थी.
न्यायमूर्ति एएस ओका और न्यायमूर्ति संजय करोल की पीठ ने केंद्रीय एजेंसी का प्रतिनिधित्व कर रहे वकील से पूछा कि क्या कुर्क की गई अचल संपत्ति कथित अपराध की आय थी? रेड्डी का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील ने उच्च न्यायालय के आदेश के कई हिस्सों का हवाला दिया, जिसमें यह स्थापित किया गया कि कुर्क की गई संपत्ति कथित अपराध की वास्तविक आय नहीं थी.
वहीं, ईडी का प्रतिनिधित्व कर रहे अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस. राजू ने तर्क दिया कि नहीं, लेकिन उसी के समतुल्य थी. शीर्ष अदालत ने पाया कि कुर्क की गई संपत्ति वास्तविक नहीं थी, जो अपराध की आय से अर्जित की गई थी और यह निष्कर्ष ईडी द्वारा विवादित नहीं है.
शीर्ष अदालत ने कहा कि, 'कुर्क की गई संपत्ति वह वास्तविक संपत्ति नहीं थी जो अपराध की आय से अर्जित की गई थी. यह निष्कर्ष याचिकाकर्ता (ईडी) द्वारा विवादित नहीं है. इसके अलावा, याचिकाकर्ता का मामला यह नहीं है कि तेलंगाना उच्च न्यायालय के आदेश में उल्लिखित संलग्न संपत्ति का मूल्य गलत है. इस तथ्यात्मक स्थिति को देखते हुए, हम विशेष अनुमति याचिका पर विचार करने से इनकार करते हैं.'
ईडी ने भ्रष्टाचार के एक मामले में मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप के तहत संपत्ति कुर्क की थी, जिसमें भारती सीमेंट भी शामिल था.
ईडी का ये था तर्क : पिछले साल नवंबर में पारित उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ अपील में ईडी ने तर्क दिया था कि उच्च न्यायालय ने गलती से 1,36,91,285 रुपये के फिक्स्ड डिपॉजिट के बदले प्रतिवादी (रेड्डी) से संबंधित पुष्टि की गई कुर्क अचल संपत्ति को जारी करने का निर्देश दिया था. केंद्रीय एजेंसी ने तर्क दिया था कि यह आदेश धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 की भावना और उद्देश्य के लिए हानिकारक था.