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ट्रिब्यूनल रिफॉर्म्स बिल पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से पूछे ये सवाल - TRIBUNALS RRFORMS ACT 2021

भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना की अगुवाई वाली सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने ट्रिब्यूनल रिफॉर्म्स ऑर्डिनेंस, 2021 काे लेकर केंद्र सरकार से कई अहम सवाल पूछे हैं. पढ़ें पूरी खबर...

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Published : Aug 16, 2021, 6:17 PM IST

नई दिल्ली : भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना की अगुवाई वाली सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने केंद्र सरकार से सवाल किया कि वह ट्रिब्यूनल रिफॉर्म्स (रेशनलाइजेशन एंड कंडीशंस ऑफ सर्विस) ऑर्डिनेंस, 2021 को संसद में क्यों पारित किया था, जब इसे अदालत द्वारा खारिज कर दिया गया था.

पीठ ने कहा कि इन सब (अदालत के निर्देशों) के बावजूद, कुछ दिन पहले हमने देखा है कि जिस अध्यादेश को रद्द कर दिया गया था, उसे फिर से पारित कर दिया गया.

मुख्य न्यायाधीश ने स्पष्ट किया कि हम संसद की कार्यवाही पर टिप्पणी नहीं कर रहे हैं. बेशक, विधायिका के पास कानून बनाने का विशेषाधिकार है. उन्होंने कहा, कम से कम हमें यह जानना चाहिए कि इसे अदालत द्वारा खारिज किए जाने के बावजूद सरकार ने विधेयक क्यों पेश किया है. संसद में (बिल को लेकर) कोई बहस नहीं हुई है.

CJI ने कहा, 'कई समाचार पत्राें में यह रिपाेर्ट में मैंने पढ़ा जिसमें मंत्री ने इस पर केवल एक लाइन कहा कि कोर्ट ने संवैधानिकता पर अध्यादेश को रद्द नहीं किया है.
इसके अलावा अदालत ने विभिन्न आदेशों के बावजूद देश भर के न्यायाधिकरणों में बड़ी संख्या में रिक्त पड़े जगहाें के लिए केंद्र को भी फटकार लगाई. इस पर एसजी तुषार मेहता ने अदालत को बताया कि नियुक्ति प्रक्रिया जारी है और मामले पर बहस करने के लिए 2 सप्ताह का समय मांगा.

इसे भी पढ़ें : 127वां संविधान संशोधन बिल में क्या है, जिस पर नाराज विपक्ष भी सरकार से सुर मिलाने लगा

अदालत ने कहा कि जब भी वे नियुक्तियों के बारे में पूछते हैं, तो उन्हें बताया जाता है कि यह प्रक्रिया में है. अदालत ने नोटिस जारी किया और सरकार को नियुक्तियां करने के लिए 10 दिन का समय दिया है.

नई दिल्ली : भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना की अगुवाई वाली सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने केंद्र सरकार से सवाल किया कि वह ट्रिब्यूनल रिफॉर्म्स (रेशनलाइजेशन एंड कंडीशंस ऑफ सर्विस) ऑर्डिनेंस, 2021 को संसद में क्यों पारित किया था, जब इसे अदालत द्वारा खारिज कर दिया गया था.

पीठ ने कहा कि इन सब (अदालत के निर्देशों) के बावजूद, कुछ दिन पहले हमने देखा है कि जिस अध्यादेश को रद्द कर दिया गया था, उसे फिर से पारित कर दिया गया.

मुख्य न्यायाधीश ने स्पष्ट किया कि हम संसद की कार्यवाही पर टिप्पणी नहीं कर रहे हैं. बेशक, विधायिका के पास कानून बनाने का विशेषाधिकार है. उन्होंने कहा, कम से कम हमें यह जानना चाहिए कि इसे अदालत द्वारा खारिज किए जाने के बावजूद सरकार ने विधेयक क्यों पेश किया है. संसद में (बिल को लेकर) कोई बहस नहीं हुई है.

CJI ने कहा, 'कई समाचार पत्राें में यह रिपाेर्ट में मैंने पढ़ा जिसमें मंत्री ने इस पर केवल एक लाइन कहा कि कोर्ट ने संवैधानिकता पर अध्यादेश को रद्द नहीं किया है.
इसके अलावा अदालत ने विभिन्न आदेशों के बावजूद देश भर के न्यायाधिकरणों में बड़ी संख्या में रिक्त पड़े जगहाें के लिए केंद्र को भी फटकार लगाई. इस पर एसजी तुषार मेहता ने अदालत को बताया कि नियुक्ति प्रक्रिया जारी है और मामले पर बहस करने के लिए 2 सप्ताह का समय मांगा.

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अदालत ने कहा कि जब भी वे नियुक्तियों के बारे में पूछते हैं, तो उन्हें बताया जाता है कि यह प्रक्रिया में है. अदालत ने नोटिस जारी किया और सरकार को नियुक्तियां करने के लिए 10 दिन का समय दिया है.

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