नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने चिकित्सा पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए नीट परीक्षा में आरक्षण के संबंध में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) तय करने की खातिर आठ लाख रुपये वार्षिक आय की सीमा निर्धारित करने के केंद्र के फैसले पर उससे तीखे सवाल पूछे.
शीर्ष अदालत ने सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय तथा कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग को मामले में पक्ष बनाने की अनुमति देते हुए उनसे इस बारे में हलफनामा दाखिल करने को कहा कि ईडब्ल्यूएस श्रेणी तय करने के लिए वार्षिक आय सीमा आठ लाख रुपये निर्धारित करने का क्या आधार था.
केंद्र ने कहा कि ईडब्ल्यूएस श्रेणी के लिए आठ लाख रुपये की वार्षिक आय सीमा तय करना राष्ट्रीय जीवन निर्वाह व्यय सूचकांक पर आधारित नीतिगत विषय है. न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति विक्रमनाथ और न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना की पीठ ने केंद्र से स्पष्ट करने को कहा कि आयसीमा तय करने का क्या आधार और मानदंड है और क्या इस विषय पर विचार-विमर्श किया गया है या अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) श्रेणी में क्रीमी लेयर को तय करने की सीमा से आठ लाख रुपये आय का आंकड़ा ले लिया गया है.
केंद्र और चिकित्सा परामर्श समिति (एमसीसी) के 29 जुलाई के नोटिस को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर शीर्ष अदालत सुनवाई कर रही थी, जिनमें राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (नीट) में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए 27 प्रतिशत और ईडब्ल्यूएस श्रेणी के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण प्रदान करने की बात कही गयी थी.