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राजीव गांधी का हत्यारा होगा रिहा, सुप्रीम कोर्ट ने दिए आदेश

पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या के मामले में उम्रकैद की सजा काट रहा ए.जी. पेरारिवलन रिहा होगा (Supreme Court orders release of Rajiv Gandhi assassination convict AG Perarivalan). सुप्रीम कोर्ट ने इसके आदेश दिए हैं.

perarivalan
पेरारिवलन
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Published : May 18, 2022, 11:27 AM IST

Updated : May 18, 2022, 3:23 PM IST

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या के मामले में उम्रकैद की सजा काट रहे दोषियों में से एक ए.जी. पेरारिवलन को रिहा करने का आदेश दिया. पेरारिवलन 30 साल से अधिक समय से जेल में बंद है. न्यायमूर्ति एल. नागेश्वर राव की अध्यक्षता वाली एक पीठ ने अनुच्छेद 142 के तहत अपने विशेषाधिकार का इस्तेमाल करते हुए पेरारिवलन को रिहा करने का आदेश दिया.

पीठ ने कहा, 'राज्य मंत्रिमंडल ने प्रासंगिक विचार-विमर्श के आधार पर अपना फैसला किया था. अनुच्छेद 142 का इस्तेमाल करते हुए, दोषी को रिहा किया जाना उचित होगा.' संविधान का अनुच्छेद 142 उच्चतम न्यायालय को विशेषाधिकार देता है, जिसके तहत संबंधित मामले में कोई अन्य कानून लागू ना होने तक उसका फैसला सर्वोपरि माना जाता है. पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के हत्यारे ए. जी. पेरारिवलन को न्यायालय ने यह देखते हुए नौ मार्च को जमानत दे दी थी कि सजा काटने और पैरोल के दौरान उसके आचरण को लेकर किसी तरह की शिकायत नहीं मिली.

family members of perarivalan
पेरारिवलन के परिवार वाले

शीर्ष अदालत 47 वर्षीय पेरारिवलन की उस याचिका पर सुनाई कर रही थी, जिसमें उसने 'मल्टी डिसिप्लिनरी मॉनिटरिंग एजेंसी’ (एमडीएमए) की जांच पूरी होने तक उम्रकैद की सजा निलंबित करने का अनुरोध किया था. इससे पहले 4 मई को भी सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) के न्यायमूर्ति एलएन राव और न्यायमूर्ति बीआर गवई की पीठ ने एजी पेरारविलन की रिहाई से संबंधित याचिका पर सुनवाई की थी.

केंद्र की ओर से एएसजी केएम नटराज ने अदालत को सूचित किया था कि मामला राज्यपाल के बाद राष्ट्रपति के समक्ष लंबित है. इस पर कोर्ट ने सवाल किया था कि क्या संविधान वास्तव में इसकी अनुमति देता है, क्योंकि वह अनुच्छेद 161 के तहत मंत्रिपरिषद की सहायता और सलाह से बाध्य है. कोर्ट ने कहा था कि राज्यपाल, राष्ट्रपति को याचिका नहीं भेज सकते क्योंकि उनकी यहां कोई भूमिका नहीं है. इस पर एएसजी नटराज ने तर्क दिया था कि क्षमा का निर्णय राष्ट्रपति पर छोड़ दिया जाना चाहिए.

  • Supreme Court orders release of AG Perarivalan, one of the convicts serving life imprisonment in connection with the assassination of former Prime Minister Rajiv Gandhi.

    — ANI (@ANI) May 18, 2022 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

1991 में हुई थी राजीव गांधी की हत्या : राजीव गांधी की 21 मई, 1991 की रात को तमिलनाडु के श्रीपेरंबुदूर में एक महिला आत्मघाती हमलावर द्वारा हत्या कर दी गई थी, जिसकी पहचान धनु के रूप में हुई थी. मई 1999 के अपने आदेश में, शीर्ष अदालत ने चार दोषियों पेरारिवलन, मुरुगन, संथम और नलिनी की मौत की सजा को बरकरार रखा था. 18 फरवरी, 2014 को शीर्ष अदालत ने केंद्र द्वारा उनकी दया याचिका पर फैसला करने में 11 साल की देरी के आधार पर पेरारिवलन की मौत की सजा को दो अन्य कैदियों - संथान और मुरुगन के साथ उम्रकैद में बदल दिया था.

पढ़ें- Rajiv Gandhi Assassination: सुप्रीम कोर्ट ने कहा- संविधान के उल्लंघन पर हम आंखें बंद नहीं कर सकते

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या के मामले में उम्रकैद की सजा काट रहे दोषियों में से एक ए.जी. पेरारिवलन को रिहा करने का आदेश दिया. पेरारिवलन 30 साल से अधिक समय से जेल में बंद है. न्यायमूर्ति एल. नागेश्वर राव की अध्यक्षता वाली एक पीठ ने अनुच्छेद 142 के तहत अपने विशेषाधिकार का इस्तेमाल करते हुए पेरारिवलन को रिहा करने का आदेश दिया.

पीठ ने कहा, 'राज्य मंत्रिमंडल ने प्रासंगिक विचार-विमर्श के आधार पर अपना फैसला किया था. अनुच्छेद 142 का इस्तेमाल करते हुए, दोषी को रिहा किया जाना उचित होगा.' संविधान का अनुच्छेद 142 उच्चतम न्यायालय को विशेषाधिकार देता है, जिसके तहत संबंधित मामले में कोई अन्य कानून लागू ना होने तक उसका फैसला सर्वोपरि माना जाता है. पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के हत्यारे ए. जी. पेरारिवलन को न्यायालय ने यह देखते हुए नौ मार्च को जमानत दे दी थी कि सजा काटने और पैरोल के दौरान उसके आचरण को लेकर किसी तरह की शिकायत नहीं मिली.

family members of perarivalan
पेरारिवलन के परिवार वाले

शीर्ष अदालत 47 वर्षीय पेरारिवलन की उस याचिका पर सुनाई कर रही थी, जिसमें उसने 'मल्टी डिसिप्लिनरी मॉनिटरिंग एजेंसी’ (एमडीएमए) की जांच पूरी होने तक उम्रकैद की सजा निलंबित करने का अनुरोध किया था. इससे पहले 4 मई को भी सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) के न्यायमूर्ति एलएन राव और न्यायमूर्ति बीआर गवई की पीठ ने एजी पेरारविलन की रिहाई से संबंधित याचिका पर सुनवाई की थी.

केंद्र की ओर से एएसजी केएम नटराज ने अदालत को सूचित किया था कि मामला राज्यपाल के बाद राष्ट्रपति के समक्ष लंबित है. इस पर कोर्ट ने सवाल किया था कि क्या संविधान वास्तव में इसकी अनुमति देता है, क्योंकि वह अनुच्छेद 161 के तहत मंत्रिपरिषद की सहायता और सलाह से बाध्य है. कोर्ट ने कहा था कि राज्यपाल, राष्ट्रपति को याचिका नहीं भेज सकते क्योंकि उनकी यहां कोई भूमिका नहीं है. इस पर एएसजी नटराज ने तर्क दिया था कि क्षमा का निर्णय राष्ट्रपति पर छोड़ दिया जाना चाहिए.

  • Supreme Court orders release of AG Perarivalan, one of the convicts serving life imprisonment in connection with the assassination of former Prime Minister Rajiv Gandhi.

    — ANI (@ANI) May 18, 2022 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

1991 में हुई थी राजीव गांधी की हत्या : राजीव गांधी की 21 मई, 1991 की रात को तमिलनाडु के श्रीपेरंबुदूर में एक महिला आत्मघाती हमलावर द्वारा हत्या कर दी गई थी, जिसकी पहचान धनु के रूप में हुई थी. मई 1999 के अपने आदेश में, शीर्ष अदालत ने चार दोषियों पेरारिवलन, मुरुगन, संथम और नलिनी की मौत की सजा को बरकरार रखा था. 18 फरवरी, 2014 को शीर्ष अदालत ने केंद्र द्वारा उनकी दया याचिका पर फैसला करने में 11 साल की देरी के आधार पर पेरारिवलन की मौत की सजा को दो अन्य कैदियों - संथान और मुरुगन के साथ उम्रकैद में बदल दिया था.

पढ़ें- Rajiv Gandhi Assassination: सुप्रीम कोर्ट ने कहा- संविधान के उल्लंघन पर हम आंखें बंद नहीं कर सकते

Last Updated : May 18, 2022, 3:23 PM IST
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