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SC on Air Quality : दिशा-निर्देश नहीं मानेंगे, तो टास्क फोर्स का गठन करेंगे

सुप्रीम कोर्ट (SC on Air Quality) ने राज्य सरकारों - दिल्ली, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, पंजाब और हरियाणा को दिल्ली-एनसीआर (Delhi air pollution) में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग द्वारा जारी निर्देशों का पालन करने का निर्देश दिया और उनसे अनुपालन रिपोर्ट मांगी. वहीं पीठ ने केंद्र को एक हलफनामा दायर कर यह बताने को कहा कि दिल्ली में केंद्र सरकार के अंतर्गत आने वाले क्षेत्रों में वायु प्रदूषण (Delhi air pollution) को रोकने के लिए सरकार ने क्या कदम उठाए हैं.

Delhi air pollution etv bharat
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Published : Nov 29, 2021, 3:33 PM IST

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि अगर राज्य सरकारें वायु प्रदूषण (Delhi air pollution) पर अंकुश लगाने के लिए शीर्ष अदालत, केंद्र और वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (SC on Air Quality) द्वारा जारी दिशा-निर्देशों को लागू नहीं करती हैं, तो अदालत इन निर्देशों के कार्यान्वयन के लिए एक टास्क फोर्स (independent task force ) का गठन करेगी. मुख्य न्यायाधीश एन.वी. रमना की अध्यक्षता वाली और न्यायमूर्ति डी.वाई. चंद्रचूड़ और सूर्यकांत की पीठ ने कहा, 'एक स्वतंत्र टास्क फोर्स (independent task force ) बनाने के करीब (वायु प्रदूषण को रोकने के उपाय के रूप में) .. अगर राज्य कार्रवाई नहीं कर रहे हैं.'

शीर्ष अदालत ने जोर देकर कहा कि निर्देश जारी किए गए हैं और अधिकारियों को उम्मीद है कि सब अच्छा होगा. पीठ ने कहा, 'लेकिन, जमीन पर परिणाम शून्य हैं.'
सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकारों - दिल्ली, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, पंजाब और हरियाणा को दिल्ली-एनसीआर (Delhi air pollution) में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग द्वारा जारी निर्देशों का पालन करने का निर्देश दिया और उनसे अनुपालन रिपोर्ट मांगी. अगली सुनवाई गुरुवार को होगी.

शीर्ष अदालत ने राजधानी में बढ़ते वायु प्रदूषण (SC on Air Quality) के संबंध में गहरी चिंता व्यक्त की. मुख्य न्यायाधीश ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा, 'केंद्र का कहना है कि वह कदम उठा रहा है, फिर भी राजधानी में प्रदूषण का स्तर दिन-ब-दिन खराब होता जा रहा है और कोरोनावायरस (coronavirus new variant air pollution) का भी खतरा मंडरा रहा है. मुख्य न्यायाधीश ने इसपर कहा, 'क्या करना है?'

याचिकाकर्ता नाबालिग आदित्य दुबे की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह ने दलील दी कि सेंट्रल विस्टा परियोजना के संबंध में चल रही निर्माण गतिविधि भी दिल्ली में वायु प्रदूषण को बढ़ा रही है और अदालत से इसे रोकने के लिए निर्देश जारी करने का आग्रह किया. पीठ ने मेहता से एक हलफनामा दायर कर यह बताने को कहा कि दिल्ली में केंद्र सरकार के अंतर्गत आने वाले क्षेत्रों में वायु प्रदूषण को रोकने के लिए सरकार ने क्या कदम उठाए हैं.

पीठ ने मेहता से पूछा कि एनसीआर क्षेत्र में वायु गुणवत्ता सूचकांक की निगरानी के लिए बनाया गया आयोग क्या कर रहा है? 'यह सिर्फ राज्यों को निर्देश (शीर्ष अदालत द्वारा जारी) पारित कर रहा है.'

पीठ ने मेहता से निर्देशों को लागू करने के लिए राज्य सरकारों द्वारा उठाए जा रहे कदमों के बारे में भी पूछा. पीठ ने कहा, 'हमें बताएं कि कौन से राज्य निर्देशों का पालन नहीं कर रहे हैं. हम स्पष्टीकरण मांगेंगे.'

पीठ ने कहा कि उसे केंद्र, शीर्ष अदालत और वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग द्वारा जारी किए गए उपायों का कड़ाई से पालन करने की जरूरत है. शीर्ष अदालत ने राज्य सरकारों से वायु प्रदूषण के खतरे के संबंध में किए गए उपायों की व्याख्या करने के लिए कहा और मामले की अगली सुनवाई गुरुवार को निर्धारित की.

(आईएएनएस)

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि अगर राज्य सरकारें वायु प्रदूषण (Delhi air pollution) पर अंकुश लगाने के लिए शीर्ष अदालत, केंद्र और वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (SC on Air Quality) द्वारा जारी दिशा-निर्देशों को लागू नहीं करती हैं, तो अदालत इन निर्देशों के कार्यान्वयन के लिए एक टास्क फोर्स (independent task force ) का गठन करेगी. मुख्य न्यायाधीश एन.वी. रमना की अध्यक्षता वाली और न्यायमूर्ति डी.वाई. चंद्रचूड़ और सूर्यकांत की पीठ ने कहा, 'एक स्वतंत्र टास्क फोर्स (independent task force ) बनाने के करीब (वायु प्रदूषण को रोकने के उपाय के रूप में) .. अगर राज्य कार्रवाई नहीं कर रहे हैं.'

शीर्ष अदालत ने जोर देकर कहा कि निर्देश जारी किए गए हैं और अधिकारियों को उम्मीद है कि सब अच्छा होगा. पीठ ने कहा, 'लेकिन, जमीन पर परिणाम शून्य हैं.'
सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकारों - दिल्ली, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, पंजाब और हरियाणा को दिल्ली-एनसीआर (Delhi air pollution) में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग द्वारा जारी निर्देशों का पालन करने का निर्देश दिया और उनसे अनुपालन रिपोर्ट मांगी. अगली सुनवाई गुरुवार को होगी.

शीर्ष अदालत ने राजधानी में बढ़ते वायु प्रदूषण (SC on Air Quality) के संबंध में गहरी चिंता व्यक्त की. मुख्य न्यायाधीश ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा, 'केंद्र का कहना है कि वह कदम उठा रहा है, फिर भी राजधानी में प्रदूषण का स्तर दिन-ब-दिन खराब होता जा रहा है और कोरोनावायरस (coronavirus new variant air pollution) का भी खतरा मंडरा रहा है. मुख्य न्यायाधीश ने इसपर कहा, 'क्या करना है?'

याचिकाकर्ता नाबालिग आदित्य दुबे की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह ने दलील दी कि सेंट्रल विस्टा परियोजना के संबंध में चल रही निर्माण गतिविधि भी दिल्ली में वायु प्रदूषण को बढ़ा रही है और अदालत से इसे रोकने के लिए निर्देश जारी करने का आग्रह किया. पीठ ने मेहता से एक हलफनामा दायर कर यह बताने को कहा कि दिल्ली में केंद्र सरकार के अंतर्गत आने वाले क्षेत्रों में वायु प्रदूषण को रोकने के लिए सरकार ने क्या कदम उठाए हैं.

पीठ ने मेहता से पूछा कि एनसीआर क्षेत्र में वायु गुणवत्ता सूचकांक की निगरानी के लिए बनाया गया आयोग क्या कर रहा है? 'यह सिर्फ राज्यों को निर्देश (शीर्ष अदालत द्वारा जारी) पारित कर रहा है.'

पीठ ने मेहता से निर्देशों को लागू करने के लिए राज्य सरकारों द्वारा उठाए जा रहे कदमों के बारे में भी पूछा. पीठ ने कहा, 'हमें बताएं कि कौन से राज्य निर्देशों का पालन नहीं कर रहे हैं. हम स्पष्टीकरण मांगेंगे.'

पीठ ने कहा कि उसे केंद्र, शीर्ष अदालत और वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग द्वारा जारी किए गए उपायों का कड़ाई से पालन करने की जरूरत है. शीर्ष अदालत ने राज्य सरकारों से वायु प्रदूषण के खतरे के संबंध में किए गए उपायों की व्याख्या करने के लिए कहा और मामले की अगली सुनवाई गुरुवार को निर्धारित की.

(आईएएनएस)

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