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अस्पतालों में ज्यादा चार्ज पर सुप्रीम कोर्ट ने मांगा केंद्र से जवाब - मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना

सुप्रीम कोर्ट ने देश में स्वास्थ्य सुविधाओं की खराब स्थिति, चिकित्सा कर्मियों की कमी, रोगियों से ज्यादा शुल्क वसूले जाने संबंधी एक याचिका पर केंद्र सरकार से जवाब मांगा है.

सुप्रीम कोर्ट
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Published : Jul 27, 2021, 4:38 PM IST

Updated : Jul 27, 2021, 5:35 PM IST

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court ) ने देश में स्वास्थ्य सुविधाओं की खराब स्थिति, चिकित्सा कर्मियों की कमी, रोगियों के ज्यादा शुल्क वसूले जाने (OVERCHARGING) संबंधी याचिका पर केंद्र सरकार (Central government) को नोटिस (notice) जारी किया है.

भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना (NV Ramana) की अगुवाई वाली सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने केंद्र सरकार से जवाब मांगा है. मंगलवार को सुनवाई के दौरान अदालत को सूचित किया गया कि 70% स्वास्थ्य देखभाल निजी हाथों में है.

याचिकाकर्ता जन स्वास्थ्य अभियान (Jan Swasthya Abhiyan) की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता संजय पारिख ने अदालत को बताया कि उन्होंने सरकार को एक अभ्यावेदन भी भेजा है लेकिन कोई प्रतिक्रिया नहीं हुई है. स्वास्थ्य देखभाल प्रतिष्ठानों और समान उपचार प्रोटोकॉल के लिए मानक दिशानिर्देश होने चाहिए. NHRC और स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक 'रोगी चार्टर' तैयार किया है जिसे लागू नहीं किया गया है.

पढ़ें- भिखारियों को लेकर दायर याचिका पर SC ने केंद्र और राज्य सरकार से मांगा जवाब

इस पर सीजेआई रमना ने कहा 'सवाल यह है कि हमें व्यावहारिक होने की आवश्यकता है. हम उम्मीद करते हैं कि छोटे नैदानिक ​​​​केंद्रों और प्रयोगशालाओं में एमबीबीएस, एमडी, डॉक्टरों सहित योग्य आवश्यक कर्मचारी हैं. उनमें कई पर बहुत बोझ है ... अंततः वे मरीजों पर बोझ डालते हैं. सीजेआई रमना ने कहा, 'हम नोटिस जारी करेंगे. उम्मीद करते हैं कि सरकार जवाब देगी.'

गौरतलब है कि बॉम्बे हाई कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार की उस अधिसूचना को रद्द कर दिया था, जिसमें उसने कोविड रोगियों के लिए निजी अस्पतालों और नर्सिंग होम को मरीजों के उपचार की शुल्क सीमा तय की थी. हाल ही में महाराष्ट्र सरकार इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट भी गई थी, लेकिन शीर्ष कोर्ट ने हस्तक्षेप से इनकार कर दिया था.

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court ) ने देश में स्वास्थ्य सुविधाओं की खराब स्थिति, चिकित्सा कर्मियों की कमी, रोगियों के ज्यादा शुल्क वसूले जाने (OVERCHARGING) संबंधी याचिका पर केंद्र सरकार (Central government) को नोटिस (notice) जारी किया है.

भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना (NV Ramana) की अगुवाई वाली सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने केंद्र सरकार से जवाब मांगा है. मंगलवार को सुनवाई के दौरान अदालत को सूचित किया गया कि 70% स्वास्थ्य देखभाल निजी हाथों में है.

याचिकाकर्ता जन स्वास्थ्य अभियान (Jan Swasthya Abhiyan) की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता संजय पारिख ने अदालत को बताया कि उन्होंने सरकार को एक अभ्यावेदन भी भेजा है लेकिन कोई प्रतिक्रिया नहीं हुई है. स्वास्थ्य देखभाल प्रतिष्ठानों और समान उपचार प्रोटोकॉल के लिए मानक दिशानिर्देश होने चाहिए. NHRC और स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक 'रोगी चार्टर' तैयार किया है जिसे लागू नहीं किया गया है.

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इस पर सीजेआई रमना ने कहा 'सवाल यह है कि हमें व्यावहारिक होने की आवश्यकता है. हम उम्मीद करते हैं कि छोटे नैदानिक ​​​​केंद्रों और प्रयोगशालाओं में एमबीबीएस, एमडी, डॉक्टरों सहित योग्य आवश्यक कर्मचारी हैं. उनमें कई पर बहुत बोझ है ... अंततः वे मरीजों पर बोझ डालते हैं. सीजेआई रमना ने कहा, 'हम नोटिस जारी करेंगे. उम्मीद करते हैं कि सरकार जवाब देगी.'

गौरतलब है कि बॉम्बे हाई कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार की उस अधिसूचना को रद्द कर दिया था, जिसमें उसने कोविड रोगियों के लिए निजी अस्पतालों और नर्सिंग होम को मरीजों के उपचार की शुल्क सीमा तय की थी. हाल ही में महाराष्ट्र सरकार इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट भी गई थी, लेकिन शीर्ष कोर्ट ने हस्तक्षेप से इनकार कर दिया था.

Last Updated : Jul 27, 2021, 5:35 PM IST
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