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Justice Subhash Reddy Retirement : तेलंगाना के पहले सुप्रीम कोर्ट जज आर सुभाष रेड्डी सेवानिवृत्त, मौजूदा न्याय प्रणाली पर जताई चिंता

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Published : Jan 4, 2022, 9:56 PM IST

सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस सुभाष रेड्डी सेवानिवृत्त (sc justice subhash reddy retirement) हो गए. उन्होंने वर्चुअल फेयरवेल के दौरान कहा कि न्याय की दक्षता और गुणवत्ता में गिरावट आई है क्योंकि मूल्यों और नैतिकता में तेजी से बदलाव आया है. उन्होंने कहा कि जरूरत को लालच से बदल दिया गया है. जस्टिस सुभाष के रिटायरमेंट के मौके पर चीफ जस्टिस एनवी रमना ने उनके योगदान की सराहना की. रमना ने कहा कि न्यायमूर्ति सुभाष ने लोगों की स्वतंत्रता की रक्षा की. गौरतलब है कि न्यायमूर्ति रेड्डी दो नवंबर 2018 में शीर्ष न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किये गए थे. वह तेलंगाना से उच्चतम न्यायालय में नियुक्त होने वाले प्रथम न्यायाधीश थे.

sc
सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली : जस्टिस आर सुभाष रेड्डी सुप्रीम कोर्ट से सेवानिवृत्त (sc justice subhash reddy retirement) हो गए. वर्चुअल विदाई समारोह में जस्टिस रेड्डी ने सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (SCBA) के वकीलों और सुप्रीम कोर्ट न्यायाधीशों की मौजूदगी में संबोधित किया. जस्टिस रेड्डी ने कहा कि मानवीय मूल्यों में गिरावट आई है जिससे बढ़ते मामले और अपराध हो रहे हैं और हर साल मामले बढ़ते जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि अदालतें जनता की अपेक्षाओं को पूरा करने में सक्षम नहीं हो रही हैं. जस्टिस आर सुभाष उच्चतम न्यायालय में तीन साल से अधिक समय तक सेवा देने के बाद मंगलवार को सेवानिवृत्त हुए. उनकी सेवानिवृत्ति के बाद शीर्ष न्यायालय में न्यायाधीशों की संख्या घट कर 32 रह जाएगी, जबकि कुल मंजूर पदों की संख्या 34 है.

अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल के सुझाव का हवाला देते हुए, न्यायमूर्ति आर सुभाष रेड्डी (Justice R Subhash Reddy) ने कहा कि हाईकोर्ट के ऊपर अपील की एक अदालत जो दीवानी और आपराधिक मामलों में अंतिम फैसला देती है, मददगार हो सकती है. उन्होंने कहा कि 19 वीं शताब्दी में निर्धारित समय लेने वाली पारंपरिक प्रक्रियाओं को आधुनिक बनाने की जरूरत है. जस्टिस रेड्डी ने कहा कि कई अध्ययनों में यह बात स्पष्ट हुई है कि एक मजबूत और कुशल न्यायिक प्रणाली के सकारात्मक लाभ हैं.

उन्होंने कहा कि न्यायिक स्वतंत्रता कितनी है, इसका संबंध आर्थिक विकास से भी है. जस्टिस रेड्डी ने कहा कि न्याय वितरण प्रणाली एक राष्ट्र के विकास का आकलन करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. रेड्डी ने कहा, मुकदमों के निपटारे के लिए एक तंत्र की आवश्यकता (timeless mechanism for case disposal) है. उन्होंने वकीलों से कहा कि वे पैसे को ज्यादा महत्व न दें और मुवक्किलों के लिए ईमानदारी से काम करें.

न्यायपालिका में अपनी यात्रा के बारे में बात करते हुए, न्यायमूर्ति रेड्डी ने कहा कि उन्होंने अपने पैतृक गांव में एक ऐसे स्कूल में शिक्षा हासिल की जहां केवल एक शिक्षक थे. उन्होंने बताया कि कॉन्वेंट स्कूलों के छात्रों या शहरी क्षेत्रों के छात्रों के साथ प्रतिस्पर्धा करना उनके लिए मुश्किल था, लेकिन उनके माता-पिता और उनके चाचा ने शिक्षा का पूरा ख्याल रखा.

चीफ जस्टिस रमना को याद आया 30 साल का साथ

न्यायमूर्ति आर. सुभाष रेड्डी के योगदान का जिक्र करते हुए प्रधान न्यायाधीश रमना ने कहा कि उन्होंने लोगों की स्वतंत्रता को बरकरार रखा और उसकी रक्षा की तथा सामाजिक वास्तविकताओं के प्रति करूणा एवं चेतना प्रदर्शित की. सीजेआई ने कहा, '30 साल साथ रहने के दौरान मुझे उनका मजबूत सहयोग और मित्र भाव मिला. मैं अपनी सर्वश्रेष्ठ शुभकामनाएं देता हूं. न्यायमूर्ति रेड्डी तेलंगाना राज्य का गठन होने के बाद वहां से उच्चतम न्यायालय के प्रथम न्यायाधीश हैं.' न्यायमूर्ति रमना ने कहा कि न्यायमूर्ति रेड्डी भी उनकी तरह ही कृषक परिवार से हैं और एक कानूनी पेशेवर के रूप में उन्होंने अपने सफर में कई उपलब्धियां हासिल कीं.

प्रधान न्यायाधीश ने कहा, 'विभिन्न उच्च न्यायालयों में 20 साल तक न्यायाधीश के तौर पर अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने सदा ही लोगों की स्वतंत्रता को बरकरार रखा और उसकी रक्षा की. उन्होंने उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश के तौर पर अपने कार्यकाल के दौरान कानून के कई संवेदनशील प्रश्नों का समाधान किया और 100 से अधिक फैसले लिखे. मैंने भी उनके साथ पीठ साझा की और उनके विचारों से लाभान्वित हुआ.'

उन्होंने कहा कि न्यायमूर्ति रेड्डी सामाजिक वास्तविकताओं के प्रति अपनी करूणा और चेतना को लेकर जाने जाते हैं. उन्होंने कहा कि निवर्तमान न्यायाधीश शीर्ष न्यायालय के प्रशासनिक कार्य के प्रति अपने समर्पण को लेकर याद रखे जाएंगे. सीजेआई ने कहा, 'उनकी विशेषज्ञता संवैधानिक कानून में है.'

यह भी पढ़ें- न्यायपालिका में 50 फीसद महिलाएं हों, चीफ जस्टिस रमना भी कर चुके हैं वकालत : एनसीपी सांसद

न्यायमूर्ति रेड्डी, न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति हीमा कोहली के साथ दोपहर में रस्मी सुनवाई के लिए बैठे सीजेआई उनकी (न्यायमूर्ति रेड्डी की) सराहना करते हुए भाव विभोर हो गए. इस अवसर पर अटार्नी जनरल के.के. वेणुगोपाल, सॉलीसीटर जनरल तुषार मेहता और सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन अध्यक्ष विकास सिंह सहित अन्य ने भी न्यायमूर्ति रेड्डी के योगदान का उल्लेख किया.

(इनपुट-पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली : जस्टिस आर सुभाष रेड्डी सुप्रीम कोर्ट से सेवानिवृत्त (sc justice subhash reddy retirement) हो गए. वर्चुअल विदाई समारोह में जस्टिस रेड्डी ने सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (SCBA) के वकीलों और सुप्रीम कोर्ट न्यायाधीशों की मौजूदगी में संबोधित किया. जस्टिस रेड्डी ने कहा कि मानवीय मूल्यों में गिरावट आई है जिससे बढ़ते मामले और अपराध हो रहे हैं और हर साल मामले बढ़ते जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि अदालतें जनता की अपेक्षाओं को पूरा करने में सक्षम नहीं हो रही हैं. जस्टिस आर सुभाष उच्चतम न्यायालय में तीन साल से अधिक समय तक सेवा देने के बाद मंगलवार को सेवानिवृत्त हुए. उनकी सेवानिवृत्ति के बाद शीर्ष न्यायालय में न्यायाधीशों की संख्या घट कर 32 रह जाएगी, जबकि कुल मंजूर पदों की संख्या 34 है.

अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल के सुझाव का हवाला देते हुए, न्यायमूर्ति आर सुभाष रेड्डी (Justice R Subhash Reddy) ने कहा कि हाईकोर्ट के ऊपर अपील की एक अदालत जो दीवानी और आपराधिक मामलों में अंतिम फैसला देती है, मददगार हो सकती है. उन्होंने कहा कि 19 वीं शताब्दी में निर्धारित समय लेने वाली पारंपरिक प्रक्रियाओं को आधुनिक बनाने की जरूरत है. जस्टिस रेड्डी ने कहा कि कई अध्ययनों में यह बात स्पष्ट हुई है कि एक मजबूत और कुशल न्यायिक प्रणाली के सकारात्मक लाभ हैं.

उन्होंने कहा कि न्यायिक स्वतंत्रता कितनी है, इसका संबंध आर्थिक विकास से भी है. जस्टिस रेड्डी ने कहा कि न्याय वितरण प्रणाली एक राष्ट्र के विकास का आकलन करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. रेड्डी ने कहा, मुकदमों के निपटारे के लिए एक तंत्र की आवश्यकता (timeless mechanism for case disposal) है. उन्होंने वकीलों से कहा कि वे पैसे को ज्यादा महत्व न दें और मुवक्किलों के लिए ईमानदारी से काम करें.

न्यायपालिका में अपनी यात्रा के बारे में बात करते हुए, न्यायमूर्ति रेड्डी ने कहा कि उन्होंने अपने पैतृक गांव में एक ऐसे स्कूल में शिक्षा हासिल की जहां केवल एक शिक्षक थे. उन्होंने बताया कि कॉन्वेंट स्कूलों के छात्रों या शहरी क्षेत्रों के छात्रों के साथ प्रतिस्पर्धा करना उनके लिए मुश्किल था, लेकिन उनके माता-पिता और उनके चाचा ने शिक्षा का पूरा ख्याल रखा.

चीफ जस्टिस रमना को याद आया 30 साल का साथ

न्यायमूर्ति आर. सुभाष रेड्डी के योगदान का जिक्र करते हुए प्रधान न्यायाधीश रमना ने कहा कि उन्होंने लोगों की स्वतंत्रता को बरकरार रखा और उसकी रक्षा की तथा सामाजिक वास्तविकताओं के प्रति करूणा एवं चेतना प्रदर्शित की. सीजेआई ने कहा, '30 साल साथ रहने के दौरान मुझे उनका मजबूत सहयोग और मित्र भाव मिला. मैं अपनी सर्वश्रेष्ठ शुभकामनाएं देता हूं. न्यायमूर्ति रेड्डी तेलंगाना राज्य का गठन होने के बाद वहां से उच्चतम न्यायालय के प्रथम न्यायाधीश हैं.' न्यायमूर्ति रमना ने कहा कि न्यायमूर्ति रेड्डी भी उनकी तरह ही कृषक परिवार से हैं और एक कानूनी पेशेवर के रूप में उन्होंने अपने सफर में कई उपलब्धियां हासिल कीं.

प्रधान न्यायाधीश ने कहा, 'विभिन्न उच्च न्यायालयों में 20 साल तक न्यायाधीश के तौर पर अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने सदा ही लोगों की स्वतंत्रता को बरकरार रखा और उसकी रक्षा की. उन्होंने उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश के तौर पर अपने कार्यकाल के दौरान कानून के कई संवेदनशील प्रश्नों का समाधान किया और 100 से अधिक फैसले लिखे. मैंने भी उनके साथ पीठ साझा की और उनके विचारों से लाभान्वित हुआ.'

उन्होंने कहा कि न्यायमूर्ति रेड्डी सामाजिक वास्तविकताओं के प्रति अपनी करूणा और चेतना को लेकर जाने जाते हैं. उन्होंने कहा कि निवर्तमान न्यायाधीश शीर्ष न्यायालय के प्रशासनिक कार्य के प्रति अपने समर्पण को लेकर याद रखे जाएंगे. सीजेआई ने कहा, 'उनकी विशेषज्ञता संवैधानिक कानून में है.'

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न्यायमूर्ति रेड्डी, न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति हीमा कोहली के साथ दोपहर में रस्मी सुनवाई के लिए बैठे सीजेआई उनकी (न्यायमूर्ति रेड्डी की) सराहना करते हुए भाव विभोर हो गए. इस अवसर पर अटार्नी जनरल के.के. वेणुगोपाल, सॉलीसीटर जनरल तुषार मेहता और सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन अध्यक्ष विकास सिंह सहित अन्य ने भी न्यायमूर्ति रेड्डी के योगदान का उल्लेख किया.

(इनपुट-पीटीआई-भाषा)

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