नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कलकत्ता उच्च न्यायालय के 15 जून के आदेश को चुनौती देने वाली पश्चिम बंगाल सरकार की अपील पर विचार करने से इनकार कर दिया. उच्च न्यायालय ने केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को विभिन्न नगर निकायों में कर्मियों की भर्ती में कथित अनियमितताओं की जांच करने को कहा था.
प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने राज्य सरकार की अपील को खारिज कर दिया. पीठ ने कहा कि कथित नगरपालिका भर्ती घोटाला प्रथम दृष्टया शिक्षक भर्ती मामले से जुड़ा हुआ प्रतीत होता है, जिसकी जांच सीबीआई और ईडी द्वारा की जा रही है.
पीठ ने कहा, 'नहीं, क्षमा करे, इसे खारिज किया जाता है.' पीठ राज्य सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल की इस दलील से भी सहमत नहीं हुई कि यह कहा जाए कि इस मामले की जांच भी सीबीआई और ईडी से कराने के उच्च न्यायालय के आदेश को नजीर नहीं माना जाएगा.
वरिष्ठ वकील सिब्बल ने कई फैसलों का हवाला देते हुए दलील दी कि अगर केंद्रीय एजेंसियों को इस तरह से जांच की अनुमति दी गई तो इस प्रकार के मामलों से निपटने की राज्य सरकार की शक्ति क्षीण हो जाएगी.
सिब्बल ने कहा कि उच्च न्यायालय ने मामले की जांच केंद्रीय एजेंसियों को सौंप कर अपने फैसले में गलती की है क्योंकि इस बात को साबित करने के लिए कोई सामग्री नहीं है कि राज्य कथित घोटाले की जांच नहीं कर सकता.
उन्होंने कहा कि ईडी के पास कोई अधिकार क्षेत्र नहीं है और वह सिर्फ अधिकारियों को 'परेशान' कर रही है. पीठ ने राज्य सरकार की दलील को खारिज करते हुए कहा कि प्रथम दृष्टया दोनों मामलों के बीच संबंध है.
केंद्रीय जांच एजेंसियों की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस वी राजू ने कहा कि ऐसा लगता है कि इसमें कोई बड़ी साजिश हुई है और ऐसा लगता है कि दो घोटाले- 'नगरपालिका भर्ती घोटाला' और 'शिक्षक नियुक्ति घोटाला' आपस में संबद्ध हैं.
कलकत्ता उच्च न्यायालय की एक खंडपीठ ने 15 जून को पश्चिम बंगाल सरकार की उस अपील को खारिज कर दिया था जिसमें राज्य के विभिन्न नगर निकायों में कर्मियों की भर्ती में कथित अनियमितताओं की जांच के लिए एकल पीठ द्वारा केंद्रीय एजेंसियों को दिए गए निर्देश को चुनौती दी गई थी.