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सामाजिक सुरक्षा लाभ संबंधी याचिका पर केंद्र, उबर और जोमैटो से SC ने मांगा जवाब

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Published : Dec 13, 2021, 1:18 PM IST

Updated : Dec 13, 2021, 4:55 PM IST

सुप्रीम कोर्ट ने जोमैटो, स्विगी, ओला, उबर आदि जैसे ऑनलाइन फूड डिलीवरी, कूरियर और टैक्स एग्रीगेटर्स कंपनियों के कर्मियों (gig workers) के लिए सामाजिक सुरक्षा अधिकारों की मांग वाली रिट याचिका पर केंद्र सरकार व संबंधित कंपनियों को नोटिस जारी किया है.

कर्मियों के लिए सामाजिक सुरक्षा की मांग
कर्मियों के लिए सामाजिक सुरक्षा की मांग

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने असंगठित क्षेत्र के कामगारों के लिए कानून के तहत उपलब्ध सामाजिक सुरक्षा अधिकारों की मांग करने वाले परिवहन कर्मियों के एक संगठन की याचिका पर सोमवार को केंद्र सरकार, उबर और जोमैटो समेत अन्य ऐप आधारित सेवा प्रदाता कंपनियों से जवाब मांगा.

इंडियन फेडरेशन ऑफ ऐप-बेस्ड ट्रांसपोर्ट वर्कर्स (IFAT) की याचिका में ऐसे कामगारों के लिए प्राथमिकता के आधार पर स्वास्थ्य बीमा, मातृत्व लाभ, पेंशन, वृद्धावस्था सहायता, विकलांगता भत्ता और एग्रीगेटर्स लागत पर टीकाकरण कराने जैसी कल्याणकारी योजनाएं तैयार करने की मांग की गई है.

न्यायमूर्ति एल. नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति बीआर गवई की पीठ ने आईएफएटी की ओर से पेश हुईं वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह की दलीलें सुनने के बाद कहा, 'हम नोटिस जारी करेंगे. मामले की सुनववाई चार सप्ताह बाद के लिए होगी.'

जयसिंह ने कहा कि ड्राइवर या डिलीवरी श्रमिकों को भी असंगठित श्रमिक अधिनियम की योजनाओं और श्रमिक निकाय के लिए बनाई गई सभी सामाजिक कल्याण योजनाओं के तहत कामगार घोषित करने का अनुरोध किया गया है. उन्होंने कहा कि असंगठित क्षेत्रों के कामगारों मिलने वाले लाभ उन्हें भी उपलब्ध कराए जाएं.

इस संबंध में उन्होंने ब्रिटेन की शीर्ष अदालत के फैसले का हवाला दिया और कहा कि नौकरी के अनुबंधों का विश्लेषण किया गया और पाया गया कि उबर के साथ कार्यरत व्यक्ति वास्तव में कामगार थे.

इसके बाद पीठ ने कहा कि पिछले साल संसद द्वारा पारित नए कानून सामाजिक सुरक्षा कोड 2020 (Social Security Code 2020) में 'Gig workers' के कल्याण के लिए समर्पित एक अध्याय है.

इस पर इंदिरा जयसिंह ने कहा कि याचिकाकर्ता एक घोषणा की मांग कर रहे हैं कि Gig workers पहले से मौजूद कानूनों के तहत भी 'असंगठित श्रमिकों' के रूप में सुरक्षा के हकदार थे.

यह भी पढ़ें- BSF के क्षेत्रीय अधिकार बढ़ाने के केंद्र के फैसले को SC में चुनौती

याचिका में उबर इंडिया और जोमैटो लिमिटेड के अलावा केंद्रीय मंत्रालयों - वाणिज्य और उद्योग, खाद्य और सार्वजनिक वितरण, इलेक्ट्रॉनिक्स मंत्रालय को भी पक्षकार बनाया गया है.

याचिका में यह घोषित करने मकी मांग की गई है कि 'गिग वर्कर' (gig workers) और 'ऐप आधारित वर्कर' असंगठित श्रमिक अधिनियम की 'असंगठित श्रमिकों' की परिभाषा के तहत आते हैं और इसलिए वैधानिक कल्याण लाभों के हकदार हैं.

(एजेंसी इनपुट)

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने असंगठित क्षेत्र के कामगारों के लिए कानून के तहत उपलब्ध सामाजिक सुरक्षा अधिकारों की मांग करने वाले परिवहन कर्मियों के एक संगठन की याचिका पर सोमवार को केंद्र सरकार, उबर और जोमैटो समेत अन्य ऐप आधारित सेवा प्रदाता कंपनियों से जवाब मांगा.

इंडियन फेडरेशन ऑफ ऐप-बेस्ड ट्रांसपोर्ट वर्कर्स (IFAT) की याचिका में ऐसे कामगारों के लिए प्राथमिकता के आधार पर स्वास्थ्य बीमा, मातृत्व लाभ, पेंशन, वृद्धावस्था सहायता, विकलांगता भत्ता और एग्रीगेटर्स लागत पर टीकाकरण कराने जैसी कल्याणकारी योजनाएं तैयार करने की मांग की गई है.

न्यायमूर्ति एल. नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति बीआर गवई की पीठ ने आईएफएटी की ओर से पेश हुईं वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह की दलीलें सुनने के बाद कहा, 'हम नोटिस जारी करेंगे. मामले की सुनववाई चार सप्ताह बाद के लिए होगी.'

जयसिंह ने कहा कि ड्राइवर या डिलीवरी श्रमिकों को भी असंगठित श्रमिक अधिनियम की योजनाओं और श्रमिक निकाय के लिए बनाई गई सभी सामाजिक कल्याण योजनाओं के तहत कामगार घोषित करने का अनुरोध किया गया है. उन्होंने कहा कि असंगठित क्षेत्रों के कामगारों मिलने वाले लाभ उन्हें भी उपलब्ध कराए जाएं.

इस संबंध में उन्होंने ब्रिटेन की शीर्ष अदालत के फैसले का हवाला दिया और कहा कि नौकरी के अनुबंधों का विश्लेषण किया गया और पाया गया कि उबर के साथ कार्यरत व्यक्ति वास्तव में कामगार थे.

इसके बाद पीठ ने कहा कि पिछले साल संसद द्वारा पारित नए कानून सामाजिक सुरक्षा कोड 2020 (Social Security Code 2020) में 'Gig workers' के कल्याण के लिए समर्पित एक अध्याय है.

इस पर इंदिरा जयसिंह ने कहा कि याचिकाकर्ता एक घोषणा की मांग कर रहे हैं कि Gig workers पहले से मौजूद कानूनों के तहत भी 'असंगठित श्रमिकों' के रूप में सुरक्षा के हकदार थे.

यह भी पढ़ें- BSF के क्षेत्रीय अधिकार बढ़ाने के केंद्र के फैसले को SC में चुनौती

याचिका में उबर इंडिया और जोमैटो लिमिटेड के अलावा केंद्रीय मंत्रालयों - वाणिज्य और उद्योग, खाद्य और सार्वजनिक वितरण, इलेक्ट्रॉनिक्स मंत्रालय को भी पक्षकार बनाया गया है.

याचिका में यह घोषित करने मकी मांग की गई है कि 'गिग वर्कर' (gig workers) और 'ऐप आधारित वर्कर' असंगठित श्रमिक अधिनियम की 'असंगठित श्रमिकों' की परिभाषा के तहत आते हैं और इसलिए वैधानिक कल्याण लाभों के हकदार हैं.

(एजेंसी इनपुट)

Last Updated : Dec 13, 2021, 4:55 PM IST
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