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काेर्ट ने पूछा, 'आपके खिलाफ कार्रवाई क्याें न की जाए' - NGO Suraj India Trust Chairperson Rajiv Dahiya Case

उच्चतम न्यायालय ने एक गैर-सरकारी संगठन (एनजीओ) के चेयरपर्सन को अवमानना का नोटिस जारी करके पूछा है कि अदालत को बदनाम करने के लिए क्यों न उनके खिलाफ कार्रवाई की जाए और उन्हें सजा सुनाई जाए.

अदालत
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Published : Jul 11, 2021, 3:49 PM IST

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने फरवरी में एनजीओ सुराज इंडिया ट्रस्ट के चेयरपर्सन राजीव दहिया के खिलाफ जमानती वारंट जारी किए थे. उनके खिलाफ बिना किसी सफलता के सालों तक 64 जनहित याचिकाएं दायर करने और शीर्ष न्यायालय के न्यायाधिकार का लगातार दुरुपयोग करने के लिए लगाए गए 25 लाख रुपये के जुर्माने की रकम जमा नहीं कराने के लिए वारंट जारी किए गए थे.

न्यायमूर्ति एस के कौल की पीठ ने नौ जुलाई को दिए आदेश में कहा कि दहिया द्वारा दी गई तमाम तरह की दलीलें और लिखे गए पत्र अदालत को बदनाम करने के लिए थे. पीठ में न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता भी शामिल थे.

पीठ ने कहा कि रिकॉर्ड पर गौर करने पर हमें पता चला कि यह मामला इस अदालत के फैसले के अनुसार ट्रस्ट/दहिया से केवल राशि बरामद करने का है, लेकिन जो दलीलें दी गयीं, पत्र लिखे गए वे केवल अदालत को बदनाम करने और अदालत को धनराशि बरामद करने के लिए कार्रवाई करने से रोकने के लिए थे. यह स्पष्ट रूप से अदालत को डराने-धमकाने का प्रयास है और अदालत इसे बर्दाश्त नहीं करेगी.

इसे भी पढ़ें : 'अदालत के प्रति सम्मान अपने आप आना चाहिए, ये मांगा नहीं जाना चाहिए'
न्यायालय ने कहा कि राजीव दहिया को अवमानना नोटिस जारी किया जाए कि क्यों न उनके खिलाफ कार्रवाई की जाए और उन्हें अदालत को बदनाम करने के लिए सजा दी जाए.
(पीटीआई-भाषा)

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने फरवरी में एनजीओ सुराज इंडिया ट्रस्ट के चेयरपर्सन राजीव दहिया के खिलाफ जमानती वारंट जारी किए थे. उनके खिलाफ बिना किसी सफलता के सालों तक 64 जनहित याचिकाएं दायर करने और शीर्ष न्यायालय के न्यायाधिकार का लगातार दुरुपयोग करने के लिए लगाए गए 25 लाख रुपये के जुर्माने की रकम जमा नहीं कराने के लिए वारंट जारी किए गए थे.

न्यायमूर्ति एस के कौल की पीठ ने नौ जुलाई को दिए आदेश में कहा कि दहिया द्वारा दी गई तमाम तरह की दलीलें और लिखे गए पत्र अदालत को बदनाम करने के लिए थे. पीठ में न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता भी शामिल थे.

पीठ ने कहा कि रिकॉर्ड पर गौर करने पर हमें पता चला कि यह मामला इस अदालत के फैसले के अनुसार ट्रस्ट/दहिया से केवल राशि बरामद करने का है, लेकिन जो दलीलें दी गयीं, पत्र लिखे गए वे केवल अदालत को बदनाम करने और अदालत को धनराशि बरामद करने के लिए कार्रवाई करने से रोकने के लिए थे. यह स्पष्ट रूप से अदालत को डराने-धमकाने का प्रयास है और अदालत इसे बर्दाश्त नहीं करेगी.

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न्यायालय ने कहा कि राजीव दहिया को अवमानना नोटिस जारी किया जाए कि क्यों न उनके खिलाफ कार्रवाई की जाए और उन्हें अदालत को बदनाम करने के लिए सजा दी जाए.
(पीटीआई-भाषा)

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