नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने फरवरी में एनजीओ सुराज इंडिया ट्रस्ट के चेयरपर्सन राजीव दहिया के खिलाफ जमानती वारंट जारी किए थे. उनके खिलाफ बिना किसी सफलता के सालों तक 64 जनहित याचिकाएं दायर करने और शीर्ष न्यायालय के न्यायाधिकार का लगातार दुरुपयोग करने के लिए लगाए गए 25 लाख रुपये के जुर्माने की रकम जमा नहीं कराने के लिए वारंट जारी किए गए थे.
न्यायमूर्ति एस के कौल की पीठ ने नौ जुलाई को दिए आदेश में कहा कि दहिया द्वारा दी गई तमाम तरह की दलीलें और लिखे गए पत्र अदालत को बदनाम करने के लिए थे. पीठ में न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता भी शामिल थे.
पीठ ने कहा कि रिकॉर्ड पर गौर करने पर हमें पता चला कि यह मामला इस अदालत के फैसले के अनुसार ट्रस्ट/दहिया से केवल राशि बरामद करने का है, लेकिन जो दलीलें दी गयीं, पत्र लिखे गए वे केवल अदालत को बदनाम करने और अदालत को धनराशि बरामद करने के लिए कार्रवाई करने से रोकने के लिए थे. यह स्पष्ट रूप से अदालत को डराने-धमकाने का प्रयास है और अदालत इसे बर्दाश्त नहीं करेगी.
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न्यायालय ने कहा कि राजीव दहिया को अवमानना नोटिस जारी किया जाए कि क्यों न उनके खिलाफ कार्रवाई की जाए और उन्हें अदालत को बदनाम करने के लिए सजा दी जाए.
(पीटीआई-भाषा)