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सुप्रीम कोर्ट ने खोरी गांव में अतिक्रमण तोड़ने को चार सप्ताह का और समय दिया

सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा के खोरी गांव (Khori village Faridabad) में अवैध रूप से बनाए गए घरों को ध्वस्त करने के लिए नगर निगम को चार सप्ताह की और मोहलत दे दी है. निगम ने कोर्ट से और समय देने की अपील की थी, जिस पर कोर्ट ने स्वीकृति दे दी.

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Published : Jul 23, 2021, 6:19 PM IST

नई दिल्ली : हरियाणा के खोरी गांव (Khori village Faridabad) में प्रशासन को थोड़ी राहत मिल गई है. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Cour) ने शुक्रवार को फरीदाबाद नगर निगम (Faridabad Muncipal Corporation) को चार सप्ताह की और मोहलत दे दी है. यानी वन भूमि पर अवैध रूप से बनाए गए घरों को ध्वस्त करने के लिए चार सप्ताह का समय और दे दिया है.

न्यायमूर्ति एएम खानविलकर और न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी की पीठ लगभग 10,000 घरों को गिराने से संबंधित याचिका पर सुनवाई कर रही थी. निगम ने न्यायालय को जानकारी दी कि 150 एकड़ में से 74 एकड़ भूमि वापस निगम के कब्जे में आ गई है, बाकी के लिए तीन सप्ताह और समय की जरूरत है. इस पर कोर्ट ने उन्हें चार सप्ताह की मोहलत दे दी.

इसके साथ ही अदालत ने पुनर्वास को लेकर भी चिंता जताई. वकील कॉलिन गोंजाल्विस को पुनर्वास नीति पर अपने सुझाव कल तक नगर निगम आयुक्त को सौंपने को कहा. साथ ही निगम को अगले सप्ताह यह काम पूरा करने को कहा.

वकीलों ने भोजन और आश्रय न मिलने का दिया तर्क

राज्य ने अपने हलफनामे में अस्थायी आश्रय और भोजन का आश्वासन दिया है लेकिन अधिवक्ताओं का कहना है कि इसका अनुपालन नहीं किया जा रहा है. वरिष्ठ अधिवक्ता मीनाक्षी अरोड़ा ने कहा कि कम से कम 75,000 लोगों के पास आश्रय नहीं है. इस संबंध में कोर्ट ने राज्य को सभी उपायों का पालन करने को कहा. साथ ही कोर्ट ने प्रभावित लोगों से कहा कि यदि लोगों को राहत नहीं दी जाती है तो वह अपनी शिकायत लेकर नगर निगम आयुक्त के पास जाएं. राहत न दिए जाने का कारण रिकॉर्ड में होना चाहिए ताकि अदालत इसकी जांच कर सके.

अलग-अलग नोटिस देने की मांग खारिज

कोर्ट ने विध्वंस से पहले लोगों को नोटिस देने और उन्हें शेल्टर (shleter) ले जाने की प्रार्थना को खारिज कर दिया. कोर्ट ने कहा कि सामूहिक विध्वंस किया जा रहा है. चरणबद्ध तरीके से तोड़फोड़ की जा रही है ऐसे में अलग-अलग व्यक्तियों को नोटिस देना संभव नहीं है.

गोंजाल्विस ने वन भूमि पर अवैध फार्म हाउसों, आश्रमों, होटलों आदि का जिक्र किया, जो अभी तक सुरक्षित हैं. इस पर कोर्ट ने आश्वासन दिया कि बिना किसी अपवाद के निगम सभी अनधिकृत संरचनाओं को हटाएगा . न्यायमूर्ति खानविलकर ने कहा, 'सभी वन भूमि अनधिकृत संरचना... चाहे वह किसान की हो या भवन, हमें कोई सरोकार नहीं है.'

पढ़ें- खोरी गांव तोड़फोड़ मामला: भारत का UN को जवाब, 'आपकी चिंता पद के दुरुपयोग जैसी'

एक मुद्दा यह भी उठाया गया कि दिल्ली की ओर के लोग भी प्रभावित हो रहे हैं. इस पर कोर्ट ने कहा कि दिल्ली को भी लोगों के पुनर्वास के लिए कहा गया है. कोर्ट ने कहा कि ये कार्यवाही खत्म होने के बाद वह दिल्ली के नगर निगम से अलग से निपटेगी.

100 एकड़ जमीन पर अतिक्रमण था

बता दें कि अरावली क्षेत्र के खोरी गांव में करीब 100 एकड़ जमीन पर अतिक्रमण था, नगर निगम ने पिछले वर्ष सितंबर में यहां कार्रवाई की थी. ऐसे ही इस वर्ष दो अप्रैल को भी खोरी गांव में बड़ी तोड़फोड़ की गई थी.

अब गांव खोरी सूरजकुंड क्षेत्र (फरीदाबाद) के अलावा प्रहलादपुर क्षेत्र, राजधानी दिल्ली तक फैला हुआ है. अधिकतर अतिक्रमण करने वालों ने बिजली और पानी का इंतजाम दिल्ली से ही किया हुआ है.

पढ़ें- खोरी गांव में घरों के तोड़फोड़ पर रोक की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका

नई दिल्ली : हरियाणा के खोरी गांव (Khori village Faridabad) में प्रशासन को थोड़ी राहत मिल गई है. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Cour) ने शुक्रवार को फरीदाबाद नगर निगम (Faridabad Muncipal Corporation) को चार सप्ताह की और मोहलत दे दी है. यानी वन भूमि पर अवैध रूप से बनाए गए घरों को ध्वस्त करने के लिए चार सप्ताह का समय और दे दिया है.

न्यायमूर्ति एएम खानविलकर और न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी की पीठ लगभग 10,000 घरों को गिराने से संबंधित याचिका पर सुनवाई कर रही थी. निगम ने न्यायालय को जानकारी दी कि 150 एकड़ में से 74 एकड़ भूमि वापस निगम के कब्जे में आ गई है, बाकी के लिए तीन सप्ताह और समय की जरूरत है. इस पर कोर्ट ने उन्हें चार सप्ताह की मोहलत दे दी.

इसके साथ ही अदालत ने पुनर्वास को लेकर भी चिंता जताई. वकील कॉलिन गोंजाल्विस को पुनर्वास नीति पर अपने सुझाव कल तक नगर निगम आयुक्त को सौंपने को कहा. साथ ही निगम को अगले सप्ताह यह काम पूरा करने को कहा.

वकीलों ने भोजन और आश्रय न मिलने का दिया तर्क

राज्य ने अपने हलफनामे में अस्थायी आश्रय और भोजन का आश्वासन दिया है लेकिन अधिवक्ताओं का कहना है कि इसका अनुपालन नहीं किया जा रहा है. वरिष्ठ अधिवक्ता मीनाक्षी अरोड़ा ने कहा कि कम से कम 75,000 लोगों के पास आश्रय नहीं है. इस संबंध में कोर्ट ने राज्य को सभी उपायों का पालन करने को कहा. साथ ही कोर्ट ने प्रभावित लोगों से कहा कि यदि लोगों को राहत नहीं दी जाती है तो वह अपनी शिकायत लेकर नगर निगम आयुक्त के पास जाएं. राहत न दिए जाने का कारण रिकॉर्ड में होना चाहिए ताकि अदालत इसकी जांच कर सके.

अलग-अलग नोटिस देने की मांग खारिज

कोर्ट ने विध्वंस से पहले लोगों को नोटिस देने और उन्हें शेल्टर (shleter) ले जाने की प्रार्थना को खारिज कर दिया. कोर्ट ने कहा कि सामूहिक विध्वंस किया जा रहा है. चरणबद्ध तरीके से तोड़फोड़ की जा रही है ऐसे में अलग-अलग व्यक्तियों को नोटिस देना संभव नहीं है.

गोंजाल्विस ने वन भूमि पर अवैध फार्म हाउसों, आश्रमों, होटलों आदि का जिक्र किया, जो अभी तक सुरक्षित हैं. इस पर कोर्ट ने आश्वासन दिया कि बिना किसी अपवाद के निगम सभी अनधिकृत संरचनाओं को हटाएगा . न्यायमूर्ति खानविलकर ने कहा, 'सभी वन भूमि अनधिकृत संरचना... चाहे वह किसान की हो या भवन, हमें कोई सरोकार नहीं है.'

पढ़ें- खोरी गांव तोड़फोड़ मामला: भारत का UN को जवाब, 'आपकी चिंता पद के दुरुपयोग जैसी'

एक मुद्दा यह भी उठाया गया कि दिल्ली की ओर के लोग भी प्रभावित हो रहे हैं. इस पर कोर्ट ने कहा कि दिल्ली को भी लोगों के पुनर्वास के लिए कहा गया है. कोर्ट ने कहा कि ये कार्यवाही खत्म होने के बाद वह दिल्ली के नगर निगम से अलग से निपटेगी.

100 एकड़ जमीन पर अतिक्रमण था

बता दें कि अरावली क्षेत्र के खोरी गांव में करीब 100 एकड़ जमीन पर अतिक्रमण था, नगर निगम ने पिछले वर्ष सितंबर में यहां कार्रवाई की थी. ऐसे ही इस वर्ष दो अप्रैल को भी खोरी गांव में बड़ी तोड़फोड़ की गई थी.

अब गांव खोरी सूरजकुंड क्षेत्र (फरीदाबाद) के अलावा प्रहलादपुर क्षेत्र, राजधानी दिल्ली तक फैला हुआ है. अधिकतर अतिक्रमण करने वालों ने बिजली और पानी का इंतजाम दिल्ली से ही किया हुआ है.

पढ़ें- खोरी गांव में घरों के तोड़फोड़ पर रोक की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका

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