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SC extends protection Editors Guild: कोर्ट ने एडिटर्स गिल्ड के सदस्यों को गिरफ्तारी से सुरक्षा की अवधि बढ़ाई

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By PTI

Published : Sep 11, 2023, 2:03 PM IST

सुप्रीम कोर्ट ने मणिपुर में एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया के खिलाफ दर्ज दो मामलों में आज सुरक्षा की अवधि बढ़ाई बढ़ा दी. संगठन के चार सदस्यों के खिलाफ विभिन्न धाराओं में मामले दर्ज हैं.

SC extends protection of Editors Guild members in two FIRs lodged against them in Manipur
न्यायालय ने ‘एडिटर्स गिल्ड’ के सदस्यों को गिरफ्तारी से सुरक्षा की अवधि बढ़ाई

नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने दो समुदायों के बीच वैमनस्व को बढ़ावा देने सहित अन्य कथित अपराधों को लेकर ‘एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया’ (ईजीआई) के चार सदस्यों के खिलाफ दर्ज दो प्राथमिकियों के सिलसिले में उनके खिलाफ कोई कठोर कदम नहीं उठाने के अपने आदेश की अवधि 15 सितंबर तक बढ़ा दी. प्रधान न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ ने कहा कि वह ‘एडिटर्स गिल्ड’ की याचिका पर छह सितंबर को पारित आदेश के लागू रहने की अवधि शुक्रवार तक बढ़ाएगी. मामले में आगे सुनवाई शुक्रवार को ही होनी है.

राज्य सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुनवाई की शुरुआत में कहा कि ईजीआई सदस्यों को कुछ और समय के लिए सुरक्षा प्रदान की जा सकती है और इस मामले को अन्य मामलों की तरह मणिपुर उच्च न्यायालय में भेजा जाए. ईजीआई की ओर से पेश वरिष्ठ वकीलों कपिल सिब्बल और श्याम दीवान ने इस दलील का विरोध किया और कहा कि मामले की सुनवाई शीर्ष अदालत में ही की जानी चाहिए क्योंकि तथ्यान्वेषी रिपोर्ट के आधार पर प्राथमिकी दर्ज की गई हैं.

पीठ ने कहा, 'हम शुक्रवार को इस मामले पर सुनवाई करेंगे.' उसने कहा कि वह शुक्रवार को ही राज्य सरकार के जवाब पर गौर करेगा. मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने चार सितंबर को कहा था कि एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया के अध्यक्ष और तीन सदस्यों के खिलाफ एक शिकायत के आधार पर पुलिस में मामला दर्ज किया गया है और उन पर राज्य में संघर्ष भड़काने की कोशिश करने के आरोप हैं.

मानहानि के अतिरिक्त आरोप के साथ गिल्ड के चार सदस्यों के खिलाफ एक अन्य प्राथमिकी भी दर्ज की गई थी. पीठ ने कहा था, 'सुनवाई की अगली तारीख तक, प्राथमिकियों के सिलसिले में (चार) याचिकाकर्ताओं के खिलाफ कोई कठोर कदम नहीं उठाया जाए.' एडिटर्स गिल्ड ने दो सितंबर को प्रकाशित एक रिपोर्ट में मणिपुर में इंटरनेट प्रतिबंध को मीडिया रिपोर्टिंग के लिए नुकसानदेह बताया था तथा मीडिया कवरेज की आलोचना की थी.

ये भी पढ़ें-Hearing On Petition Of Editors Guild: एडिटर्स गिल्ड की याचिका पर आज सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट

गिल्ड ने दावा किया था कि मणिपुर में जातीय हिंसा पर मीडिया में आयी खबरें एकतरफा हैं. इसके साथ ही उसने संघर्ष के दौरान राज्य नेतृत्व पर पक्षपातपूर्ण रवैया अपनाने का आरोप भी लगाया था. मुख्यमंत्री ने कहा था, 'वे राज्य विरोधी, राष्ट्र विरोधी और सत्ता विरोधी (लोग) हैं जो जहर उगलने आए थे. अगर मुझे पहले पता होता तो मैं उन्हें प्रवेश की ही अनुमति नहीं देता.'

नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने दो समुदायों के बीच वैमनस्व को बढ़ावा देने सहित अन्य कथित अपराधों को लेकर ‘एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया’ (ईजीआई) के चार सदस्यों के खिलाफ दर्ज दो प्राथमिकियों के सिलसिले में उनके खिलाफ कोई कठोर कदम नहीं उठाने के अपने आदेश की अवधि 15 सितंबर तक बढ़ा दी. प्रधान न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ ने कहा कि वह ‘एडिटर्स गिल्ड’ की याचिका पर छह सितंबर को पारित आदेश के लागू रहने की अवधि शुक्रवार तक बढ़ाएगी. मामले में आगे सुनवाई शुक्रवार को ही होनी है.

राज्य सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुनवाई की शुरुआत में कहा कि ईजीआई सदस्यों को कुछ और समय के लिए सुरक्षा प्रदान की जा सकती है और इस मामले को अन्य मामलों की तरह मणिपुर उच्च न्यायालय में भेजा जाए. ईजीआई की ओर से पेश वरिष्ठ वकीलों कपिल सिब्बल और श्याम दीवान ने इस दलील का विरोध किया और कहा कि मामले की सुनवाई शीर्ष अदालत में ही की जानी चाहिए क्योंकि तथ्यान्वेषी रिपोर्ट के आधार पर प्राथमिकी दर्ज की गई हैं.

पीठ ने कहा, 'हम शुक्रवार को इस मामले पर सुनवाई करेंगे.' उसने कहा कि वह शुक्रवार को ही राज्य सरकार के जवाब पर गौर करेगा. मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने चार सितंबर को कहा था कि एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया के अध्यक्ष और तीन सदस्यों के खिलाफ एक शिकायत के आधार पर पुलिस में मामला दर्ज किया गया है और उन पर राज्य में संघर्ष भड़काने की कोशिश करने के आरोप हैं.

मानहानि के अतिरिक्त आरोप के साथ गिल्ड के चार सदस्यों के खिलाफ एक अन्य प्राथमिकी भी दर्ज की गई थी. पीठ ने कहा था, 'सुनवाई की अगली तारीख तक, प्राथमिकियों के सिलसिले में (चार) याचिकाकर्ताओं के खिलाफ कोई कठोर कदम नहीं उठाया जाए.' एडिटर्स गिल्ड ने दो सितंबर को प्रकाशित एक रिपोर्ट में मणिपुर में इंटरनेट प्रतिबंध को मीडिया रिपोर्टिंग के लिए नुकसानदेह बताया था तथा मीडिया कवरेज की आलोचना की थी.

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गिल्ड ने दावा किया था कि मणिपुर में जातीय हिंसा पर मीडिया में आयी खबरें एकतरफा हैं. इसके साथ ही उसने संघर्ष के दौरान राज्य नेतृत्व पर पक्षपातपूर्ण रवैया अपनाने का आरोप भी लगाया था. मुख्यमंत्री ने कहा था, 'वे राज्य विरोधी, राष्ट्र विरोधी और सत्ता विरोधी (लोग) हैं जो जहर उगलने आए थे. अगर मुझे पहले पता होता तो मैं उन्हें प्रवेश की ही अनुमति नहीं देता.'

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