नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने नोएडा में सुपरटेक एमराल्ड कोर्ट के दो 40 मंजिला टावरों को दो सप्ताह के भीतर ध्वस्त करने का आदेश दिया. कोर्ट ने नोएडा सीईओ को 72 घंटे के भीतर सभी संबंधित एजेंसियों की बैठक बुलाने का निर्देश दिया है ताकि ट्विन टावर को गिराने को अंतिम रूप दिया जा सके.
नोएडा के सेक्टर 93-A स्थित सुपरटेक ट्विन टावर मामले में बिल्डरों और नोएडा प्राधिकरण के अधिकारियों की साठगांठ खुलकर उजागर हुई थी. न्यायमूर्ति डी. वाई. चंद्रचूड़ ने नोएडा के सीईओ निर्देश दिया 72 घंटे के भीतर एक बैठक बुलाकर कार्यक्रम और विध्वंस की तारीखों को अंतिम रूप दें.
शीर्ष अदालत को सूचित किया गया था कि गेल की एनओसी की आवश्यकता है, क्योंकि वहां एक उच्च दबाव वाली भूमिगत प्राकृतिक गैस पाइपलाइन है, जो संबंधित स्थल से 15 मीटर की दूरी और 3 मीटर की गहराई से गुजर रही है. अदालत को यह भी सूचित किया गया था कि रक्षा मंत्रालय विध्वंस के लिए विस्फोटक प्रदान करेगा.
अपने 31 अगस्त के फैसले में, सुप्रीम कोर्ट ने नोएडा में सुपरटेक ट्विन टावरों के विध्वंस और फ्लैट खरीदारों के लिए रिफंड के आदेश के अलावा, उत्तर प्रदेश शहरी विकास (यूपीयूडी) अधिनियम की धारा 49 के तहत दोषी नोएडा और रियल एस्टेट कंपनी के अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा चलाने का आदेश दिया. अदालत ने यह फैसला अधिकारियों की मिलीभगत को देखते हुए लिया था, जिसके परिणामस्वरूप टावरों का निर्माण हुआ.
17 जनवरी को, नोएडा का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता रवींद्र कुमार ने न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ और सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष प्रस्तुत किया कि विध्वंस एजेंसी, एडिफिस इंजीनियरिंग को टावरों के विध्वंस को अंजाम देने के लिए अंतिम रूप दिया गया है.
सुपरटेक का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता पराग त्रिपाठी ने कहा कि उनके मुवक्किल को विध्वंस प्रक्रिया के संबंध में अनिवार्य अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) प्राप्त करने के लिए अतिरिक्त दो सप्ताह की आवश्यकता होगी. उदाहरण के लिए बताया गया कि टावर्स को गिराने के लिए विस्फोटकों को स्टोर करने को लेकर अग्निशमन विभाग से एनओसी की भी जरूरत है. त्रिपाठी का विरोध करते हुए, कुमार ने कहा कि रियल एस्टेट फर्म विध्वंस एजेंसी के साथ समझौते पर हस्ताक्षर कर सकती है और एनओसी प्राप्त करने की प्रक्रिया जारी रह सकती है. उन्होंने कहा कि समझौते पर हस्ताक्षर करने के लिए एक सप्ताह पर्याप्त है.
दलीलें सुनने के बाद, शीर्ष अदालत ने सुपरटेक को एक सप्ताह के भीतर प्राधिकरण एजेंसी द्वारा अंतिम रूप दिए गए भवन विध्वंस के साथ समझौते को निष्पादित करने के लिए कहा, ताकि इसके दो 40-मंजिला टावरों को गिराया जा सके.
सुप्रीम कोर्ट ने लगाई थी फटकार
गौरतलब है कि उच्चतम न्यायालय (SC) ने नोएडा में 40 मंजिला दो टावरों (Supertech Emerald Case) को गिराने के आदेश का पालन नहीं करने के लिए जनवरी में रियल्टी कंपनी सुपरटेक लिमिटेड की खिंचाई (SC pulls up Supertech) की थी. अदालत से 'खिलवाड़' के लिए निदेशकों को जेल भेजने को लेकर चेताया था.
शीर्ष अदालत ने पिछले साल घर खरीदारों को किए जाने वाले भुगतान में कटौती का भी संज्ञान लेते हुए कहा था कि रियल्टी कंपनी 'सब कुछ दुरुस्त' कर ले या 'गंभीर परिणाम भुगतने' के लिए तैयार रहे.
बताया जा रहा है कि टावर काे तोड़ने में करीब 10 करोड़ रुपये से ज्यादा का खर्च आएगा. वहीं कम समय टावर को गिरने के बावजूद भी उसे हटाने में करीब 26 सप्ताह लग जाएगा, क्योंकि गिराने वाली कंपनी और प्राधिकरण का मानना है कि मलबा ज्यादा होने के चलते उसे हटाने में समय लगेगा.
फिलहाल सुपरटेक द्वारा NOC लेने की प्रक्रिया तेज की गई है (Supertech applied for NOC) और वह प्रोसेस में है. जिस के संबंध में सुपरटेक द्वारा विस्फोट के भंडारण, परिवहन और उसके इस्तेमाल के लिए प्रदूषण नियंत्रण एजेंसी और यातायात विभाग की योजनाओं के लिए 10 विभागों से NOC के लिए आवेदन दिया था.
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