नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने मंगलवार को केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि 10 लाख से अधिक आबादी वाले और महीने में 300 किलोलीटर से अधिक का कारोबार करने वाले विभिन्न शहरों में स्थित सभी खुदरा पेट्रोलियम आउटलेट वेपर रिकवरी सिस्टम (VRS) निर्धारित समय सीमा के अंदर स्थापित करें. बता दें कि वीआरएस वह प्रक्रिया है जो पेट्रोलियम उत्पादों से निकलने वाले हानिकारक कार्बनिक यौगिकों को रोक सकती है.
इस संबंध में न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया (Justice Sudhanshu Dhulia) और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला (Justice JB Pardiwala) की पीठ ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के एक आदेश के खिलाफ इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड और अन्य द्वारा दायर अपीलों के एक आदेश का निस्तारण करते हुए कहा कि वीआरएस तंत्र को सीपीसीबी द्वारा निर्धारित नई समय सीमा के भीतर स्थापित किया जाएगा. साथ ही सीपीसीबी यह सुनिश्चित करेगा कि 10 लाख से अधिक आबादी वाले और 300 केएल/माह से अधिक के कारोबार वाले विभिन्न शहरों में स्थित सभी खुदरा पेट्रोलियम आउटलेट अपने परिपत्र 4 जून 2021 में निर्धारित नई समय सीमा के भीतर वीआरएस तंत्र स्थापित करेंगे.
पीठ ने कहा, इसे दूसरे शब्दों में कहें तो सीपीसीबी यह सुनिश्चित करेगा कि एनजीटी द्वारा दिए गए आदेश में जारी निर्देशों का पूरी तरह से पालन किया जाए. पीठ ने कहा, 'यह सुनिश्चित करना सभी राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों का कानूनी दायित्व होगा कि वीआरएस तंत्र की स्थापना के संबंध में एनजीटी द्वारा जारी निर्देशों का अनुपालन सीपीसीबी द्वारा निर्धारित नई समयसीमा के भीतर किया जाए.' साथ ही सीपीसीबी को सभी 43 राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों को यह निर्देश देने का निर्देश दिया कि वे 7 जनवरी, 2020 के कार्यालय ज्ञापन द्वारा जारी दिशा-निर्देशों का कड़ाई से पालन सुनिश्चित करें.
पीठ ने कहा, 'अगर 7 जनवरी, 2020 के ऑफिस मेमोरेंडम के जरिए सीपीसीबी द्वारा जारी किसी भी दिशा-निर्देश का उल्लंघन होता है, तो संबंधित राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड जल्द से जल्द कानून के अनुसार गलती करने वाले आउटलेट के खिलाफ कार्रवाई करेगा.' शीर्ष अदालत ने कहा कि उसने इस तथ्य का संज्ञान लिया है कि सीपीसीबी ने पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय के परामर्श से वीआरएस लगाने के लिए समय-समय पर परिपत्र/दिशानिर्देश जारी किए हैं. कोर्ट ने कहा कि हम वीआरएस की स्थापना के संबंध में एनजीटी, चेन्नई द्वारा जारी किए गए विवादित निर्देशों को समाप्त नहीं करना चाहते हैं.
सीपीसीबी यह सुनिश्चित करेगा कि इन निर्देशों का ईमानदारी से पालन किया जाए और इनका अनुपालन किया जाए. शीर्ष अदालत ने एनजीटी, चेन्नई के दिसंबर, 2021 के आदेश को चुनौती देने वाली तेल विपणन कंपनियों द्वारा दायर अपीलों पर अपना फैसला सुनाया. बता दें कि एनजीटी, चेन्नई का आदेश शहर के निवासी वीबीआर मेनन की याचिका पर आया था, जिसमें तेल विपणन कंपनियों (ओएमसी) द्वारा चलाए जा रहे आउटलेट्स पर वेपर रिकवरी सिस्टम्स (वीआरएस) की गैर-स्थापना का मुद्दा उठाया गया था.
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