नई दिल्ली : हेट स्पीच मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बहुत ही महत्वपूर्ण फैसला दिया है. कोर्ट ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को आदेश दिया है कि वे इस तरह के मामलों में स्वतः ही एफआईआर दर्ज कर लें, अगर किसी ने शिकायत नहीं की है तो. इस आदेश को सुनाते हुए कोर्ट ने बहुत ही महत्वपूर्ण टिप्पणी भी की.
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Supreme Court directs all the States and Union Territories to ensure that as and when any hate speech is made, they shall take suo moto action for registration of FIR even without any complaints.
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— ANI (@ANI) April 28, 2023
Supreme Court makes it clear that such action shall be taken irrespective of the… pic.twitter.com/yFOlG6QQnqSupreme Court directs all the States and Union Territories to ensure that as and when any hate speech is made, they shall take suo moto action for registration of FIR even without any complaints.
— ANI (@ANI) April 28, 2023
Supreme Court makes it clear that such action shall be taken irrespective of the… pic.twitter.com/yFOlG6QQnq
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमारी प्रस्तावना में धर्मनिरपेक्षता को सुरक्षित रखने का संकल्प लिया गया है, इसलिए इसे हर हाल में सुरक्षित रखना होगा. कोर्ट ने कहा कि इस तरह की स्पीच चाहे जो कोई भी दे, और वह किसी भी धर्म का क्यों न हो, उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज होनी ही चाहिए.
आपको बता दें कि शुरुआती तौर पर सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और दिल्ली को दिया गया था. पर आज के फैसले में कोर्ट ने देश के सभी राज्यों को शामिल कर लिया. मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस केएफ जोसेफ ने कहा कि इस तरह का मामला देश के ताने बाने को प्रभावित करता है. जज ने कहा कि यह कोई छोटा मोटा अपराध नहीं, बल्कि गंभीर अपराध है. यह रिपब्लिक की गरिमा पर आघात करता है.
कोर्ट ने कहा कि हेट स्पीच पर किसी से कोई भी समझौता नहीं किया जा सकता है. जज ने कहा कि पहले राज्य सरकार को स्वीकार करना होगा कि हेट स्पीच गंभीर अपराध है और यह एक समस्या है, तभी सरकार उसके खिलाफ कदम उठा सकती है.
शीर्ष अदालत ने चेतावनी दी कि अगर इस फैसले को लागू करने में देरी की जाएगी, तो इसे कोर्ट की अवमानना की कैटेगरी में डाला जाएगा. आपको बता दें कि याचिका शाहीन अब्दुल्ला ने दाखिल की थी. वह एक पत्रकार हैं. उन्होंने अपनी याचिका में यूपी, उत्तराखंड और दिल्ली का ही जिक्र किया था. कोर्ट ने तब इन्हीं तीनों राज्यों को आदेश दिया था. लेकिन बाद में अब्दुल्ला ने अपनी याचिका में सभी राज्यों के नामों को डाल दिया. आज कोर्ट ने इस पर ही अपना फैसला सुनाया.
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