नयी दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को गो फर्स्ट एयरलाइन के अंतरिम समाधान पेशेवर (आईआरपी) की उस याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया, जिसमें पट्टेदारों को अपने विमानों का निरीक्षण और रखरखाव करने की अनुमति देने वाले दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती दी गई थी. देश के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने याचिका पर विचार करने में अनिच्छा व्यक्त करते हुए कहा कि दिल्ली हाईकोर्ट पहले से ही दिन-प्रतिदिन के आधार पर मामले की सुनवाई कर रहा है.
आईआरपी का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ वकील श्याम दीवान ने पीठ के समक्ष दलील दी. पीठ में न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा भी शामिल थे. इसमें कहा गया कि यदि पट्टादाताओं को विमान के संबंध में पट्टानामा रद्द करने की अनुमति दी गई तो यह कंपनी को पुनर्जीवित करने के प्रयासों पर प्रतिकूल प्रभाव डालेगा. आईआरपी ने उच्च न्यायालय की खंडपीठ के आदेश को चुनौती दी है, जिसने मामले में एकल न्यायाधीश पीठ के फैसले को बरकरार रखा था.
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सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह इस स्तर पर याचिका पर विचार करने के लिए उत्सुक नहीं है और अधिकार क्षेत्र के मुद्दों को भी उच्च न्यायालय के एकल न्यायाधीश के समक्ष संबोधित किया जाना चाहिए. हाईकोर्ट की एकल पीठ ने 5 जुलाई को गो फर्स्ट के पट्टेदारों को महीने में कम से कम दो बार अपने विमानों का निरीक्षण करने और रखरखाव करने की अनुमति दी और कहा कि याचिकाकर्ता पट्टेदारों के विमानों को उनके संरक्षण के लिए रखरखाव की आवश्यकता है. हाईकोर्ट का अंतरिम आदेश किसी भी अन्य नुकसान को कम करने के लिए पट्टादाताओं द्वारा दायर कई याचिकाओं पर आया. हाईकोर्ट ने गो फर्स्ट और उसके प्रतिनिधियों और एनसीएलटी द्वारा नियुक्त आईआरपी को किसी भी हिस्से या घटकों को हटाने, बदलने या बाहर निकालने से भी रोक दिया था. गो फर्स्ट ने 3 मई को उड़ान बंद कर दी.