नई दिल्ली : मैट्रिकोत्तर छात्रवृत्ति योजना (Post-Matric Scholarship Scheme) के तहत पंजाब के अनुसूचित जाति के छात्रों (Scheduled Caste Students of Punjab) को होने वाली तकलीफों के मुद्दे पर कई नोटिस की अनदेखी करने के बाद, पंजाब सरकार ने गुरुवार को अपने तीन अधिकारियों के माध्यम से राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग (NCSC) के अध्यक्ष विजय सांपला (Vijay Sampla) के सामने अपना मामला पेश किया.
एनसीएससी के एक अधिकारी के मुताबिक, मुख्यालय में तीन घंटे की सुनवाई में पी. श्रीवास्तव (आईएएस, प्रधान सचिव, सामाजिक न्याय, अधिकारिता और अल्पसंख्यक विभाग), रमेश कुमार गंता (आईएएस, प्रमुख सचिव, उच्च शिक्षा) और सामाजिक न्याय, अधिकारिता एवं अल्पसंख्यक विभाग के निदेशक एम.एस. जग्गी एनसीएससी के अध्यक्ष सांपला द्वारा पूछे गए प्रश्नों के उत्तर नहीं दे सके.
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आयोग ने कहा कि पंजाब के मुख्य सचिव ने एनसीएससी के अध्यक्ष से आज की सुनवाई से छूट देने का अनुरोध किया, जिसके बाद विजय सांपला ने इसे 29 जून के लिए निर्धारित किया और पंजाब के मुख्य सचिव विन्नी महाजन को एक अद्यतन कार्रवाई रिपोर्ट और सभी प्रासंगिक दस्तावेजों के साथ व्यक्तिगत रूप से पेश होने के लिए कहा.
विजय सांपला ने एक बयान में कहा, 'पंजाब सरकार ने 25 मई को जारी पहले 15 दिन के नोटिस और उसके बाद 7 और 10 जून के नोटिस का जवाब दिया होता, तो अधिकारियों को बुलाने की जरूरत नहीं पड़ती, लेकिन दुर्भाग्य से आज भी वे बिना तैयारी के आए.'
उन्होंने कहा, 'अध्यक्ष के रूप में मैं अनुसूचित जातियों के अधिकारों को सुरक्षित रखने और यह सुनिश्चित करने के लिए कर्तव्यबद्ध हूं कि उन्हें हर तरह से न्याय मिले.'
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