नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने उच्च न्यायालय द्वारा केंद्र को जारी अवमानना नोटिस पर रोक लगा दी है. कोर्ट ने कहा, अधिकारियों को जेल में डालने से शहर में ऑक्सीजन नहीं आएगी, हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि जिंदगियां बचें. इस दौरान कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि स्टे लगाने से हाईकोर्ट की कार्यवाही प्रतिबंधित नहीं होगी.
न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति एमआर शाह की पीठ ने राजधानी में आक्सीजन की आपूर्ति के आदेश के अनुपालन के मामले में कोताही के कारण दिल्ली उच्च न्यायालय की अवमानना नोटिस के खिलाफ केन्द्र सरकार को याचिका पर बुधवार को सुनवाई की.
विशेष पीठ की सुनवाई आज दोपहर करीब 1 बजे सुनवाई की और एक घंटे से अधिक की सुनवाई के बाद अदालत ने केंद्र को कल सुबह 10:30 बजे एक व्यापक योजना प्रस्तुत करने का निर्देश दिया कि वह दिल्ली को 700MT ऑक्सीजन की आपूर्ति कैसे करेगी.
केंद्र को आपूर्ति के स्रोतों, परिवहन की स्थिति और अन्य रसद आवश्यकता पर विवरण देना होगा. कॉर्ट ने कहा कि बिस्तर ऑक्सीजन की आवश्यकता के निर्धारण के सूत्र को भी अनदेखा करने की आवश्यकता है क्योंकि यह वैज्ञानिक नहीं है और धारणा पर आधारित है.
ऑक्सीजन मुद्दे से निपटने के लिए मुंबई मॉडल की प्रशंसा करते हुए, अदालत ने केंद्र से पूछा कि क्या इसे दिल्ली में दोहराया जा सकता है और केंद्र और दिल्ली के मुख्य सचिवों को बीएमसी के साथ इस बारे में चर्चा करने के लिए कहा है.
अदालत ने केंद्र को निर्देश दिया है कि वह जीएनसीटीडी और अधिकारियों की टीम के साथ एक आभासी बैठक आयोजित करे ताकि समाधान हो सके. मामले की सुनवाई कल सुबह 10:30 बजे फिर से होगी.
इससे पहले जिरह के दौरान सॉलीसीटर जनरल ने उच्चतम न्यायालय से कहा, यह प्रतिकूल मुकदमेबाजी नहीं है; केंद्र, दिल्ली सरकार निर्वाचित सरकारें हैं और कोविड-19 मरीजों की सेवा के लिए भरसक कोशिश कर रहीं हैं.
उच्चतम न्यायालय ने केंद्र से पूछा हमें बताइए कि आपने पिछले तीन दिन में दिल्ली को कितनी ऑक्सीजन आवंटित की है.
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बता दें कि, इस याचिका में राष्ट्रीय राजधानी में कोविड-19 मरीजों के इलाज के लिए ऑक्सीजन आपूर्ति का अनुपालन नहीं करने को लेकर जारी अवमानना के नोटिस और केंद्र के अधिकारियों की व्यक्तिगत उपस्थिति के निर्देश को चुनौती दी गई है. उच्च न्यायालय ने मंगलवार को केंद्र सरकार को कारण बताओ नोटिस जारी कर पूछा था कि कोविड-19 मरीजों के उपचार के लिए ऑक्सीजन की आपूर्ति के बारे में उसके आदेश का अनुपालन करने में विफल रहने पर उसके खिलाफ अवमानना की कार्यवाही क्यों नहीं की जाए.
सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता यह मामला प्रधान न्यायाधीश एन वी रमण की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष उठाया क्योंकि देश में कोविड-19 प्रबंधन पर स्वतं: संज्ञान लेकर सुनवाई कर रही न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ की पीठ बुधवार को उपलब्ध नहीं थी. प्रधान न्यायाधीश नीत पीठ ने केंद्र की याचिका न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया.
तुषार मेहता इस मामले पर बुधवार को ही सुनवाई चाहते थे लेकिन पीठ ने इसे न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ की सहूलियत पर छोड़ दिया.