नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) ने अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह के पूर्व मुख्य सचिव जितेंद्र नारायण (Jitendra Narain) को गैंगरेप के आरोप में अग्रिम जमानत के लिए निचली अदालत जाने का सोमवार को निर्देश दिया. 21 वर्षीय एक महिला ने नारायण और अन्य के खिलाफ सामूहिक बलात्कार का मामला दर्ज कराया है.
न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी और न्यायमूर्ति एस. रवींद्र भट्ट की पीठ ने आरोपी जितेंद्र नारायण को नौ नवंबर को सत्र अदालत से संपर्क करने को कहा. इसके साथ ही पीठ ने सत्र अदालत को मामले में 11 नवंबर तक फैसला करने का निर्देश दिया. पीठ ने यह भी कहा, 'इस स्तर पर, हम जमानत के लिए आवेदन करने के उनके अधिकार को कम नहीं कर सकते.'
सुनवाई के दौरान, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने न्यायालय से कहा कि आरोपी पहले ही सबूतों से छेड़छाड़ कर चुके हैं. वहीं आरोपी की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने हालांकि कहा कि शिकायत 'प्रेरित' है क्योंकि शिकायतकर्ता एक ऐसे व्यक्ति की बहू है जिसे पूर्व मुख्य सचिव ने सेवा से बर्खास्त कर दिया था.
उन्होंने कहा, 'मेरे मुवक्किल ने 17 दिनों में कुछ नहीं किया है. पुलिस पोर्ट ब्लेयर में पूर्व मुख्य सचिव के आवास के बाहर तैनात है और उनका एक बेदाग करियर रहा है तथा सिर्फ इसलिए कि उन्होंने किसी को नौकरी से निकाल दिया, यह सब हो रहा है.' शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया है कि सरकारी नौकरी का झांसा देकर मुख्य सचिव के आवास पर नारायण और अन्य लोगों ने उसके साथ दुष्कर्म किया.
इस संबंध में प्राथमिकी एक अक्टूबर को दर्ज की गई थी जब नारायण दिल्ली वित्तीय निगम के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक पद पर थे. केंद्र ने उन्हें 17 अक्टूबर को निलंबित कर दिया था. वहीं इस मामले की जांच के लिए एसआईटी का गठन किया गया था. मामला हाईकोर्ट तक पहुंचा जहां हाईकोर्ट ने उन्हें जमानत दे दी थी.
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(एक्स्ट्रा इनपुट पीटीआई-भाषा)