ETV Bharat / bharat

ऑक्सीजन की आपूर्ति के लिए बीएमसी द्वारा उठाए गए उपाय देशभर में हों लागू : सुप्रीम कोर्ट - ऑक्सीजन की कमी

मुंबई में कोरोना का कहर लगातार जारी है. कोरोने के कारण मरीजों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है, जिससे ऑक्सीजन की भारी कमी हो गई है. हालांकि बीएमसी ने ऑक्सीजन की कमी से निपटने के लिए कई उपाए किए हैं. इन उपाय के कारण दूसरे स्थानों के मुकाबले में मुंबई में ऑक्सीजन को लेकर इतनी हाहाकार नहीं है.

ऑक्सीजन की आपूर्ति
ऑक्सीजन की आपूर्ति
author img

By

Published : May 6, 2021, 3:53 PM IST

Updated : May 7, 2021, 4:22 PM IST

मुंबई : पिछले साल से मुंबई में शुरू हुआ कोरोना संकट इस साल भी जारी है. हालांकि कुछ समय से कोरोना के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं, जिससे ऑक्सीजन की भारी कमी हो गई है. हाल ही में ऑक्सीजन की कमी के कारण 168 मरीजों को एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल लेकर दौड़ना पड़ा. इस घटना के बाद नगरपालिक ने तुरंत कई उपाय किए.

दरअसल, बीएमसी ने पिछले साल ऑक्सीजन की कमी से बचने के लिए ड्यूरा सिलेंडर के बजाय कई अस्पतालों और कोविड केंद्रों में लिक्विड ऑक्सीजन टैंक स्थापित किए थे. यह टैंक लगभग 4 दिनों के लिए ऑक्सीजन की आपूर्ति करता है.

बीएमसी द्वारा किए गए इन उपायों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि इस तरह के उपायों को पूरे देश में लागू किया जाना चाहिए. जानें क्या है वह उपाय:-

लिक्विड ऑक्सीजन टैंक स्थापित किए

मुंबई को हर दिन 235 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की जरूरत है. बीएमसी ने पिछले साल ऑक्सीजन की कमी से बचने के लिए ड्यूरा सिलेंडर के बजाय कई अस्पतालों और कोविड केंद्रों में लिक्विड ऑक्सीजन टैंक स्थापित किए थे.

यह टैंक लगभग 4 दिनों के लिए ऑक्सीजन की आपूर्ति करता है. मरीजों की संख्या अधिक होने पर दो दिन में एक बार टैंक भरना पड़ता है. इसके लिए निगम ने दो ठेकेदार नियुक्त किए हैं.

जानकारी देते संवाददाता

इतना ही नहीं अगर एक अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी है, तो अधिक ऑक्सीजन वाले दूसरे अस्पताल में कमी को रोकने में मदद मिलती है और इसलिए मुंबई में ऑक्सीजन की अपेक्षाकृत कम कमी है.

ऑक्सीजन की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए 6 नोडल अधिकारी नियुक्त-

ऑक्सीजन की कमी नहीं हो इस के लिए नगर पालिका ने 6 नोडल अधिकारियों को नियुक्त किया है, जो उन स्थानों पर ऑक्सीजन की समय पर डिलीवरी सुनिश्चित करते हैं, जहां इसकी आवश्यकता है. मुंबई के सभी अस्पतालों का डेटा गूगल शीट पर दर्ज किया गया है.

नतीजतन, वे पहले से ही जानते हैं कि कहां और कब, उन्हें ऑक्सीजन की आपूर्ति करने की आवश्यकता है. जिन अस्पतालों को ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है, वे अपने आपूर्तिकर्ताओं को 24 घंटे पहले सूचित करते हैं. यदि आपूर्तिकर्ता ऑक्सीजन की आपूर्ति नहीं करता है, तो नगरपालिका को 16 घंटे पहले सूचित किया जाता है.

ऑक्सीजन उत्पादकों और आपूर्तिकर्ताओं ने प्रशासनिक तंत्र के साथ-साथ 'मिशन मोड' पर भी काम करना शुरू कर दिया है.

नगर आयुक्त इकबाल सिंह चहल ने बताया कि ऑक्सीजन की कमी के कारण कोई असुविधाजनक घटना न हो इसलिए इन अधिकारियों को ऑक्सीजन सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी दी गई है.

'नए ऑक्सीजन संयंत्रों' से लैस किए गए 12 स्थान-

ऑक्सीजन की कमी को रोकने के लिए ऑक्सीजन संयंत्र स्थापित करने की व्यवस्थाएं अंतिम चरण में हैं. इसके लिए मुंबई में 12 स्थानों को आवंटित किया गया है, जिनमें कुछ अस्पताल और कोरोना जंबो केंद्र शामिल हैं.

अगले एक महीने में सभी 12 स्थानों पर ऑक्सीजन प्लांट प्रोजेक्ट स्थापित किए जाएंगे और निर्बाध रूप से ऑक्सीजन की आपूर्ति की जाएगी.

अतिरिक्त नगर आयुक्त पी एस वेलरासू का कहना है कि एक जंबो सेंटर या अस्पताल में ऑक्सीजन प्लांट प्रोजेक्ट स्थापित करने से एक घंटे में 2,000 से 5,000 क्यूबिक मीटर ऑक्सीजन उपलब्ध होगी. इसमें एक साथ 25 से 30 मरीजों को आपूर्ति करने की क्षमता होगी.

पढ़ें - ऑक्सीजन एक्सप्रेस के टैंकर से O2 लीक होता रहा, ट्रेन दौड़ती रही

कुछ अन्य स्थानों पर, ऑक्सीजन संयंत्र परियोजनाएं इस तरह से स्थापित की गई हैं कि वहां के अस्पतालों को ऑक्सीजन ठीक से प्राप्त करने में कोई समस्या नहीं होगी.

ऑक्सीजन परियोजना की लागत, जो वर्तमान में 'ट्रामा केयर अस्पताल' में स्थापित की जा रही है, लगभग 2.5 करोड़ रुपये थी.

ऑक्सीजन की कमी -

बता दें कि मुंबई में कोरोना का आगमन पिछले साल मार्च में हुआ था, जैसे ही कोरोना की तीव्रता में कमी आई, इस साल फरवरी में कोरोना की दूसरी लहर आ गई.इसके साथ ही शहर में मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ने लगी. प्रतिदिन 7 से 11 हजार सक्रिय मरीज आने लगे. परिणामस्वरूप मरीजों को ऑक्सीजन, आईसीयू और वेंटिलेटर की कमी का सामना करना पड़ा.

पिछले महीने 168 मरीजों को ऑक्सीजन की अपर्याप्त आपूर्ति के कारण नगर निगम के अस्पतालों से दूसरे अस्पतालों में स्थानांतरित किया गया.

मुंबई : पिछले साल से मुंबई में शुरू हुआ कोरोना संकट इस साल भी जारी है. हालांकि कुछ समय से कोरोना के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं, जिससे ऑक्सीजन की भारी कमी हो गई है. हाल ही में ऑक्सीजन की कमी के कारण 168 मरीजों को एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल लेकर दौड़ना पड़ा. इस घटना के बाद नगरपालिक ने तुरंत कई उपाय किए.

दरअसल, बीएमसी ने पिछले साल ऑक्सीजन की कमी से बचने के लिए ड्यूरा सिलेंडर के बजाय कई अस्पतालों और कोविड केंद्रों में लिक्विड ऑक्सीजन टैंक स्थापित किए थे. यह टैंक लगभग 4 दिनों के लिए ऑक्सीजन की आपूर्ति करता है.

बीएमसी द्वारा किए गए इन उपायों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि इस तरह के उपायों को पूरे देश में लागू किया जाना चाहिए. जानें क्या है वह उपाय:-

लिक्विड ऑक्सीजन टैंक स्थापित किए

मुंबई को हर दिन 235 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की जरूरत है. बीएमसी ने पिछले साल ऑक्सीजन की कमी से बचने के लिए ड्यूरा सिलेंडर के बजाय कई अस्पतालों और कोविड केंद्रों में लिक्विड ऑक्सीजन टैंक स्थापित किए थे.

यह टैंक लगभग 4 दिनों के लिए ऑक्सीजन की आपूर्ति करता है. मरीजों की संख्या अधिक होने पर दो दिन में एक बार टैंक भरना पड़ता है. इसके लिए निगम ने दो ठेकेदार नियुक्त किए हैं.

जानकारी देते संवाददाता

इतना ही नहीं अगर एक अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी है, तो अधिक ऑक्सीजन वाले दूसरे अस्पताल में कमी को रोकने में मदद मिलती है और इसलिए मुंबई में ऑक्सीजन की अपेक्षाकृत कम कमी है.

ऑक्सीजन की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए 6 नोडल अधिकारी नियुक्त-

ऑक्सीजन की कमी नहीं हो इस के लिए नगर पालिका ने 6 नोडल अधिकारियों को नियुक्त किया है, जो उन स्थानों पर ऑक्सीजन की समय पर डिलीवरी सुनिश्चित करते हैं, जहां इसकी आवश्यकता है. मुंबई के सभी अस्पतालों का डेटा गूगल शीट पर दर्ज किया गया है.

नतीजतन, वे पहले से ही जानते हैं कि कहां और कब, उन्हें ऑक्सीजन की आपूर्ति करने की आवश्यकता है. जिन अस्पतालों को ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है, वे अपने आपूर्तिकर्ताओं को 24 घंटे पहले सूचित करते हैं. यदि आपूर्तिकर्ता ऑक्सीजन की आपूर्ति नहीं करता है, तो नगरपालिका को 16 घंटे पहले सूचित किया जाता है.

ऑक्सीजन उत्पादकों और आपूर्तिकर्ताओं ने प्रशासनिक तंत्र के साथ-साथ 'मिशन मोड' पर भी काम करना शुरू कर दिया है.

नगर आयुक्त इकबाल सिंह चहल ने बताया कि ऑक्सीजन की कमी के कारण कोई असुविधाजनक घटना न हो इसलिए इन अधिकारियों को ऑक्सीजन सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी दी गई है.

'नए ऑक्सीजन संयंत्रों' से लैस किए गए 12 स्थान-

ऑक्सीजन की कमी को रोकने के लिए ऑक्सीजन संयंत्र स्थापित करने की व्यवस्थाएं अंतिम चरण में हैं. इसके लिए मुंबई में 12 स्थानों को आवंटित किया गया है, जिनमें कुछ अस्पताल और कोरोना जंबो केंद्र शामिल हैं.

अगले एक महीने में सभी 12 स्थानों पर ऑक्सीजन प्लांट प्रोजेक्ट स्थापित किए जाएंगे और निर्बाध रूप से ऑक्सीजन की आपूर्ति की जाएगी.

अतिरिक्त नगर आयुक्त पी एस वेलरासू का कहना है कि एक जंबो सेंटर या अस्पताल में ऑक्सीजन प्लांट प्रोजेक्ट स्थापित करने से एक घंटे में 2,000 से 5,000 क्यूबिक मीटर ऑक्सीजन उपलब्ध होगी. इसमें एक साथ 25 से 30 मरीजों को आपूर्ति करने की क्षमता होगी.

पढ़ें - ऑक्सीजन एक्सप्रेस के टैंकर से O2 लीक होता रहा, ट्रेन दौड़ती रही

कुछ अन्य स्थानों पर, ऑक्सीजन संयंत्र परियोजनाएं इस तरह से स्थापित की गई हैं कि वहां के अस्पतालों को ऑक्सीजन ठीक से प्राप्त करने में कोई समस्या नहीं होगी.

ऑक्सीजन परियोजना की लागत, जो वर्तमान में 'ट्रामा केयर अस्पताल' में स्थापित की जा रही है, लगभग 2.5 करोड़ रुपये थी.

ऑक्सीजन की कमी -

बता दें कि मुंबई में कोरोना का आगमन पिछले साल मार्च में हुआ था, जैसे ही कोरोना की तीव्रता में कमी आई, इस साल फरवरी में कोरोना की दूसरी लहर आ गई.इसके साथ ही शहर में मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ने लगी. प्रतिदिन 7 से 11 हजार सक्रिय मरीज आने लगे. परिणामस्वरूप मरीजों को ऑक्सीजन, आईसीयू और वेंटिलेटर की कमी का सामना करना पड़ा.

पिछले महीने 168 मरीजों को ऑक्सीजन की अपर्याप्त आपूर्ति के कारण नगर निगम के अस्पतालों से दूसरे अस्पतालों में स्थानांतरित किया गया.

Last Updated : May 7, 2021, 4:22 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.