नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कथित जालसाज सुकेश चंद्रशेखर को तिहाड़ जेल से दिल्ली के बाहर जेल में स्थानांतरित करने की मांग वाली रिट याचिका पर सुनवाई 13 जुलाई तक के लिए स्थगित की. जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जेबी पारदीवाला की अवकाश पीठ ने यह देखते हुए मामले को स्थगित कर दिया कि प्रवर्तन निदेशालय (ED) के बयान के जवाब में याचिकाकर्ताओं द्वारा दायर हलफनामा अभी रिकॉर्ड में नहीं है. हालांकि, याचिकाकर्ताओं की ओर से सीनियर एडवोकेट आर बसंत ने निकट तिथि का अनुरोध किया, लेकिन पीठ ने इनकार कर दिया.
जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि मामले में कोई तात्कालिकता नहीं है. जब सीनियर वकील ने जेल में जान को खतरे की आशंका जताई तो जस्टिस सूर्यकांत ने 17 जून को जस्टिस बोपन्ना की अगुवाई वाली अवकाश पीठ द्वारा पारित आदेश का हवाला दिया, जिसमें कहा गया कि सुकेश को तिहाड़ जेल से बाहर स्थानांतरित किया जाना है. उन्होंने कहा, "जस्टिस बोपन्ना के आदेश के बाद कोई भी आपको नहीं छुएगा."
पिछले सप्ताह ED ने प्रस्ताव दिया था कि याचिकाकर्ताओं को दिल्ली के भीतर ही मंडोली जेल में स्थानांतरित किया जा सकता है. हालांकि, याचिकाकर्ताओं ने इस प्रस्ताव का विरोध किया और मांग की कि उसे दिल्ली से बाहर स्थानांतरित किया जाए. जस्टिस सूर्यकांत ने गुरुवार को अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू से पूछा कि क्या गुरुग्राम की भोंडसी जेल विकल्प के रूप में मानी जा सकती है. एएसजी ने उत्तर दिया कि यह व्यवहार्य विकल्प नहीं है.
सुकेश ने भारत के संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत रिट याचिका दायर कर आरोप लगाया कि तिहाड़ में अधिकारी पैसे की अपनी मांगों को पूरा नहीं करने के लिए उसे प्रताड़ित कर रहे हैं. ED ने आरोपों का विरोध करते हुए कहा कि सुकेश कुछ अधिकारियों की मिलीभगत से जेल से अपना रंगदारी रैकेट चला रहा है, जिसके खिलाफ अब कार्रवाई की गई है. महानिदेशक (कारागार), दिल्ली ने हलफनामा दायर कर कहा कि जेल में सुकेश चंद्रशेखर का आचरण असंतोषजनक है और उसे जानबूझकर जेल नियमों का उल्लंघन करते पाया गया है.
महानिदेशक ने अपने आरोपों का भी खंडन किया कि जेल के भीतर उसके साथ मारपीट की गई. दीन दयाल उपाध्याय अस्पताल द्वारा 17 मई को की गई मेडिकल जांच में उसे किसी बाहरी चोट की सूचना नहीं मिली. उन्होंने जोर देकर कहा कि वह चौबीसों घंटे सीसीटीवी निगरानी के साथ दिल्ली जेल में सुरक्षित हिरासत में हैं. हलफनामे में कहा गया कि उसकी पत्नी को भी महिला अनुभाग में उसी जेल में रखा गया है और उसे भी जान का कोई खतरा नहीं है.