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आंदोलनकारी किसानों और सरकार से अनौपचारिक तौर पर बात कर रहा हूं : मलिक

मेघालय के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने कहा है कि वह आंदोलनकारी किसानों और सरकार से बात कर रहे हैं, ताकि इस गतिरोध का जल्द से जल्द कोई समाधान निकल सके. उन्होंने कहा कि अगर कृषि कानूनों को लेकर जारी गतिरोध का जल्द से जल्द समाधान नहीं निकला तो पश्चिमी उत्तर प्रदेश, हरियाणा और राजस्थान में भाजपा को नुकसान उठाना पड़ेगा.

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Published : Mar 18, 2021, 11:00 PM IST

सत्यपाल मलिक
सत्यपाल मलिक

नई दिल्ली : मेघालय के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने कहा है कि वह विवादित कृषि कानूनों को लेकर जारी गतिरोध का जल्द समाधान निकालने के लिये अनौपचारिक रूप से आंदोलनकारी किसानों और सरकार से बात कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि दोनों पक्षों के भीतर इस बात को लेकर सहमति बन रही है कि जल्द से जल्द इस मसले का हल निकलना चाहिए.

पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बागपत जिले के रहने वाले मलिक ने जोर देकर कहा कि किसानों के मुद्दे का जल्द से जल्द समाधान निकाला जाना चाहिए, वरना इससे पश्चिमी उत्तर प्रदेश, हरियाणा और राजस्थान में भाजपा को नुकसान उठाना पड़ेगा.

उन्होंने इस बात पर भी खेद प्रकट किया कि 100 से अधिक दिन के आंदोलन के दौरान जान गंवाने वाले किसानों की मौत पर किसी ने एक शब्द भी नहीं कहा.

मलिक ने कई दौर की वार्ता के बावजूद प्रदर्शनकारी किसानों और सरकार के बीच जारी गतिरोध का जिक्र करते हुए कहा कि सरकार में कोई विवेकहीन नहीं है और सिर्फ पार्टी को नुकसान पहुंचाने वाले जल्द समाधान निकालने का विरोध कर रहे हैं.

जल्द कोई हल निकलेगा
मलिक ने एक इंटरव्यू में कहा, 'मेरा मानना है कि इस मसले का जल्द से जल्द समाधान निकाला जाना चाहिए. मुझे उम्मीद है कि इसका जल्द कोई हल निकलेगा क्योंकि किसान समुदाय के भीतर और सरकार में भी मसले के जल्द समाधान को लेकर सहमति बनती दिख रही है.'

उन्होंने कहा, 'मैं जल्द समाधान के लिए दोनों पक्षों से अनौपचारिक रूप से बात कर रहा हूं.'

उन्होंने कहा, 'मीडिया मुझसे पूछ रही है कि मैं संवैधानिक पद पर होते हुए इन मुद्दों पर क्यों बोल रहा हूं. अगर एक कुत्ता मरता है तो हर तरफ शोक संदेश आने शुरू हो जाते हैं, जबकि यहां 250 किसानों की मौत हो चुकी है, लेकिन किसी ने एक शब्द नहीं कहा.

यह भी पढ़ें- बीमा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की सीमा 74 प्रतिशत करने वाला विधेयक राज्यसभा में पारित

उन्होंने कहा, 'इस मुद्दे पर न बोलकर हम विपक्ष को पूरा मौका दे रहे हैं और वे इस मसले पर बोलकर राजनीतिक लाभ उठा रहे हैं.'

मलिक ने कहा कि वह किसान समुदाय के बीच पैदा हुए और पले-बढ़े हैं. यही वजह है कि उन्हें इन हालात को लेकर दुख होता है. उन्होंने कहा कि उन्हें इस बात की चिंता नहीं है कि भाजपा के उनके साथी इस मुद्दे पर बयानों को लेकर उनके बारे में क्या सोच रहे होंगे.

'मुझे पद का कोई डर नहीं'
उन्होंने कहा, 'मैं इस समुदाय में पैदा हुआ और पला-बढ़ा. यही वजह है कि आज किसानों की हालत देखकर मुझे दुख होता है. मुझे कोई डर नहीं है और जब भी मेरी पार्टी के नेताओं को लगे कि मैं उनके लिए मुश्किलें खड़ी कर रहा हूं तो मुझे बता दें. मैं फौरन इस्तीफा दे दूंगा और एक आम आदमी की हैसियत से भी उसी तरह आवाज उठाऊंगा.'

उन्होंने कहा, 'अगर आप आंदोलन को बदनाम करेंगे तो मैं आपको बता दूं कि किसान समुदाय में इस बात को लेकर भारी नाराजगी और आक्रोश है.'

इससे पहले रविवार को मलिक ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह से किसानों को नाराज नहीं करने का आग्रह किया था.

नई दिल्ली : मेघालय के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने कहा है कि वह विवादित कृषि कानूनों को लेकर जारी गतिरोध का जल्द समाधान निकालने के लिये अनौपचारिक रूप से आंदोलनकारी किसानों और सरकार से बात कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि दोनों पक्षों के भीतर इस बात को लेकर सहमति बन रही है कि जल्द से जल्द इस मसले का हल निकलना चाहिए.

पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बागपत जिले के रहने वाले मलिक ने जोर देकर कहा कि किसानों के मुद्दे का जल्द से जल्द समाधान निकाला जाना चाहिए, वरना इससे पश्चिमी उत्तर प्रदेश, हरियाणा और राजस्थान में भाजपा को नुकसान उठाना पड़ेगा.

उन्होंने इस बात पर भी खेद प्रकट किया कि 100 से अधिक दिन के आंदोलन के दौरान जान गंवाने वाले किसानों की मौत पर किसी ने एक शब्द भी नहीं कहा.

मलिक ने कई दौर की वार्ता के बावजूद प्रदर्शनकारी किसानों और सरकार के बीच जारी गतिरोध का जिक्र करते हुए कहा कि सरकार में कोई विवेकहीन नहीं है और सिर्फ पार्टी को नुकसान पहुंचाने वाले जल्द समाधान निकालने का विरोध कर रहे हैं.

जल्द कोई हल निकलेगा
मलिक ने एक इंटरव्यू में कहा, 'मेरा मानना है कि इस मसले का जल्द से जल्द समाधान निकाला जाना चाहिए. मुझे उम्मीद है कि इसका जल्द कोई हल निकलेगा क्योंकि किसान समुदाय के भीतर और सरकार में भी मसले के जल्द समाधान को लेकर सहमति बनती दिख रही है.'

उन्होंने कहा, 'मैं जल्द समाधान के लिए दोनों पक्षों से अनौपचारिक रूप से बात कर रहा हूं.'

उन्होंने कहा, 'मीडिया मुझसे पूछ रही है कि मैं संवैधानिक पद पर होते हुए इन मुद्दों पर क्यों बोल रहा हूं. अगर एक कुत्ता मरता है तो हर तरफ शोक संदेश आने शुरू हो जाते हैं, जबकि यहां 250 किसानों की मौत हो चुकी है, लेकिन किसी ने एक शब्द नहीं कहा.

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उन्होंने कहा, 'इस मुद्दे पर न बोलकर हम विपक्ष को पूरा मौका दे रहे हैं और वे इस मसले पर बोलकर राजनीतिक लाभ उठा रहे हैं.'

मलिक ने कहा कि वह किसान समुदाय के बीच पैदा हुए और पले-बढ़े हैं. यही वजह है कि उन्हें इन हालात को लेकर दुख होता है. उन्होंने कहा कि उन्हें इस बात की चिंता नहीं है कि भाजपा के उनके साथी इस मुद्दे पर बयानों को लेकर उनके बारे में क्या सोच रहे होंगे.

'मुझे पद का कोई डर नहीं'
उन्होंने कहा, 'मैं इस समुदाय में पैदा हुआ और पला-बढ़ा. यही वजह है कि आज किसानों की हालत देखकर मुझे दुख होता है. मुझे कोई डर नहीं है और जब भी मेरी पार्टी के नेताओं को लगे कि मैं उनके लिए मुश्किलें खड़ी कर रहा हूं तो मुझे बता दें. मैं फौरन इस्तीफा दे दूंगा और एक आम आदमी की हैसियत से भी उसी तरह आवाज उठाऊंगा.'

उन्होंने कहा, 'अगर आप आंदोलन को बदनाम करेंगे तो मैं आपको बता दूं कि किसान समुदाय में इस बात को लेकर भारी नाराजगी और आक्रोश है.'

इससे पहले रविवार को मलिक ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह से किसानों को नाराज नहीं करने का आग्रह किया था.

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