कोलकाता : तृणमूल कांग्रेस (Trinamool Congress-TMC) के पश्चिम बंगाल महासचिव कुणाल घोष (Kunal Ghosh) ने शारदा चिटफंड घोटाले (Sharada Chitfund Scam) में प्रवर्तन निदेशालय (Enforcement Directorate) द्वारा दायर एक मामले में यहां की एक विशेष अदालत के समक्ष आत्मसमर्पण किया. कुणाल घोष के आत्मसमर्पण करने के बाद आज अदालत ने उन्हें अंतरिम जमानत दे दी है.
विशेष सीबीआई अदालत (Special CBI Court) ने घोष को 20,000 रुपये के जमानत बांड के साथ ही 10,000 रुपये के दो मुचलके प्रस्तुत करने और पीएमएलए मामले में जांच अधिकारी की सहायता करने का निर्देश दिया. सारदा मामले में धनशोधन के आरोपों की जांच कर रहे प्रवर्तन निदेशालय के अनुरोध पर अदालत ने 27 अगस्त को तृणमूल कांग्रेस नेता (TMC Leader) और दो अन्य को 20 सितंबर को पेश होने के लिए समन जारी किया था.
पढ़ें : शारदा घोटाला: तृणमूल कांग्रेस नेता कुणाल घोष, पत्रकार सुमन चट्टोपाध्याय के खिलाफ आरोपपत्र दायर
घोष के वकील ने दावा किया कि उन्होंने अदालत द्वारा समन जारी होने की सूचना मिलने के तुरंत बाद बृहस्पतिवार को अदालत के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया. उन्होंने कहा कि वह कानून का पालन करने वाले नागरिक हैं और बेगुनाह हैं. जमानत अर्जी का विरोध करते हुए प्रवर्तन निदेशालय के विशेष लोक अभियोजक अभिजीत भद्रा ने अदालत को बताया कि आरोपी एक प्रभावशाली व्यक्ति हैं और मामले में उनके मुकदमे से बचने की पूरी गुंजाइश है.
घोष पर मुख्य आरोपी सुदीप्त सेन को अपराध और धनशोधन की आय हासिल करने में मदद करने का आरोप लगाया गया है. विशेष सीबीआई न्यायाधीश जस्टिस अनुपम मुखर्जी ने घोष के संबंध में सारदा मामले में प्रवर्तन निदेशालय की जांच पूरी होने पर गौर करते हुए कहा कि उन्हें सलाखों के पीछे रखने का कोई कारण नहीं है.
बता दें कि सारदा समूह ने पश्चिम बंगाल में कई पोंजी योजनाओं के जरिये कथित तौर पर लाखों लोगों को ठगा.
(पीटीआई-भाषा)