नई दिल्ली : संयुक्त किसान मोर्चा में चल रहे आपसी मतभेदों को अब विराम लगने की संभावना जताई जा रही है. आठ जून को दिल्ली में एसकेएम की एक बड़ी बैठक बुलाई गई है. बैठक में पंजाब की उन 16 जत्थेबंदी फिर से किसान मोर्चा में शामिल होंगी, जिन्हें विधानसभा चुनाव लड़ने के कारण एसकेएम से अलग कर दिया गया था. वहीं, 28 मई को लुधियाना में होने वाले पंजाब के 22 किसान संगठन, जो एसकेएम के अहम हिस्से हैं, उनकी बैठक बुलाई गई है. बताया जा रहा है कि इस बैठक में आपसी मतभेदों को दूर कर संयुक्त किसान मोर्चा एक बार फिर प्रतिबंधित किसान संगठनों को अपने साथ शामिल कर लेगा.
गौरतलब है कि तीन कृषि कानूनों को रद्द करने और एमएसपी गारंटी कानून बनाने की मांग के साथ देश के अलग-अलग राज्यों ने संयुक्त किसान मोर्चा का गठन किया था. एक साल के आंदोलन के बाद जब प्रधानमंत्री ने तीन कृषि कानून रद्द करने की घोषणा की, तब किसान मोर्चा ने आंदोलन वापस लिया. लेकिन आंदोलन में मुख्य भूमिका निभाने वाले पंजाब के 22 किसान संगठनों में से 16 संगठनों ने पंजाब विधानसभा चुनाव लड़ने का निर्णय लिया और संयुक्त समाज मोर्चा नाम से राजनीतिक पार्टी बना ली.
इसके बाद इन संगठनों और उनके नेताओं को एसकेएम से सस्पेंड कर दिया गया था. चुनाव में मिली करारी हार के बाद इन 16 किसान जत्थेबंदियों की तरफ से एक बार फिर संयुक्त किसान मोर्चा में शामिल होकर एमएसपी गारंटी की मांग को आगे बढ़ाने की इच्छा जाहिर की गई थी. राजनीतिक और गैर-राजनीतिक पक्षों के बीच मतभेद भी खुल कर सामने आए थे और ऐसा कहा जा रहा था कि किसान संगठनों के बीच आपसी टकराव के करण अब एमएसपी की मुहिम कमजोर पड़ रही है. लेकिन अब एसकेएम से जुड़े किसान नेता न केवल आपसी मतभेद सुलझा कर एकजुट होने की बात कह रहे हैं, बल्कि सरकार की तरफ से प्रस्तावित एमएसपी कमिटी में भी शामिल होने के लिए सहमत हो गए हैं.
सरकार की ओर से मार्च महीने में एमएसपी कमेटी के गठन के लिए संयुक्त किसान मोर्चा से तीन किसान नेताओं के नाम मांगे गए थे, जिस पर पहले संयुक्त किसान मोर्चा ने इनकार कर दिया था. बाद में सहमति बन जाने पर मई के आखिरी हफ्ते में बैठक कर तीन नाम चुने जाने की बात थी, लेकिन यह बैठक अब तक नहीं हो सकी है. ऑल इंडिया किसान सभा के अध्यक्ष और संयुक्त किसान मोर्चा कोर कमेटी के सदस्य डॉ. अशोक धावले ने ईटीवी भारत से बातचीत में बताया कि अब यह बैठक आठ जून को दिल्ली में होगी, जिसमें संयुक्त किसान मोर्चा से जुड़े सभी किसान संगठन के नेता मौजूद रहेंगे.
सरकार की तरफ से एमएसपी कमेटी के गठन के प्रस्ताव को दो से ज्यादा महीने बीत चुके हैं. पहले किसान मोर्चा की तरफ से आरोप लगते रहे कि सरकार अपने वादे से मुकर रही है और एमएसपी पर कमेटी बनाने में देरी कर रही है, लेकिन अब किसान मोर्चा की तरफ से ही नाम देने में देरी के कारण अब तक कमेटी का गठन नहीं हो पाया है.
हालांकि, किसान नेता युद्धवीर सिंह ने ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए कहा कि अब सभी किसान संगठन एमएसपी कमेटी में शामिल होने पर सहमत हो गए हैं और आठ जून की बैठक के बाद तीन किसान नेताओं के नाम की घोषणा भी कर दी जाएगी. किसानों के लिए घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य को और प्रभावी बनाने के लिए जो कमेटी बनाई जानी है. उसमें किसान नेताओं के अलावा कृषि अर्थशास्त्री, विशेषज्ञ और केंद्र व राज्य सरकार के अधिकारी भी शामिल होंगे.