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दिल्ली में SKM की बैठक में फैसला, 21 मार्च को करेंगे प्रदर्शन

SKM की यह बैठक दीनदयाल उपाध्याय मार्ग पर गांधी पीस फाउंडेशन में हुई, जिसमें तय किया गया कि लखीमपुर खेरी कांड पर सरकार की भूमिका और किसान आंदोलन को दिए आश्वासनों पर वादाखिलाफी के मुद्दे को लेकर संयुक्त किसान मोर्चा 21 मार्च को देशभर में रोष प्रदर्शन करेगा. वहीं, 28 और 29 मार्च को ट्रेड यूनियन की ओर से आहूत भारत बंद का संयुक्त किसान मोर्चा समर्थन कर रहा है. इस भारत बंद आंदोलन में भी देशभर में किसान बढ़-चढ़कर शामिल होंगे.

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Published : Mar 14, 2022, 10:07 PM IST

नई दिल्ली : संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) की एक दिवसीय बैठक सोमवार को हुई, जिसमें संगठन ने राष्ट्रव्यापी अभियान के अगले चरण के कार्यक्रम का ऐलान किया है. बैठक में किसानों से किए गए वादों पर केंद्र द्वारा अभी तक की गयी प्रगति की समीक्षा की गई. इन वादों में न्यूनतम समर्थन मूल्य पर समिति गठित करना भी शामिल है. साथ ही भविष्य के कदमों पर निर्णय लिया गया.

जानकारी के मुताबिक, SKM की यह बैठक दीनदयाल उपाध्याय मार्ग पर गांधी पीस फाउंडेशन में हुई, जिसमें तय किया गया कि लखीमपुर खेरी कांड पर सरकार की भूमिका और किसान आंदोलन को दिए आश्वासनों पर वादाखिलाफी के मुद्दे को लेकर संयुक्त किसान मोर्चा 21 मार्च को देशभर में रोष प्रदर्शन करेगा. वहीं, 28 और 29 मार्च को ट्रेड यूनियन की ओर से आहूत भारत बंद का संयुक्त किसान मोर्चा समर्थन कर रहा है. इस भारत बंद आंदोलन में भी देशभर में किसान बढ़-चढ़कर शामिल होंगे.

इसके साथ ही 11 से 17 अप्रैल के बीच एमएसपी की कानूनी गारंटी सप्ताह मनाए जाने का फैसला किया गया है. इस दौरान राष्ट्रव्यापी अभियान की शुरुआत की जाएगी. इस सप्ताह के दौरान संयुक्त किसान मोर्चा से जुड़े सभी घटक संगठन सभी किसानों को अपने सभी कृषि उत्पाद पर स्वामीनाथन कमीशन द्वारा निर्धारित (C2+50 फीसदी) न्यूनतम समर्थन मूल्य की कानूनी गारंटी की मांग को लेकर धरना, प्रदर्शन, संगोष्ठी का आयोजन किया जाएगा.

बैठक में लखीमपुर खीरी कांड में चल रही कानूनी प्रक्रिया की समीक्षा कर इस बात पर चिंता जताई गई. एसकेएम ने आरोप लगाया कि पुलिस प्रशासन और अभियोक्ता मिलकर अपराधियों को बचाने और बेकसूर किसानों को फंसाने की कोशिश कर रहे हैं. वक्ताओं ने कहा कि यह आश्चर्य की बात है कि ऐसे संगीन मामले में केंद्रीय मंत्री के बेटे को इतनी जल्दी जमानत मिल गई जबकि इसी मामले में फंसाए गए किसान अभी भी जेल में बंद हैं. संयुक्त किसान मोर्चा इस खबर से क्षुब्ध है कि मोनू मिश्रा के बाहर निकलने के बाद इस मामले के एक प्रमुख गवाह पर हमला किया गया है. मोर्चे ने तय किया कि इस मामले में कानूनी लड़ाई में कोई ढील नहीं बरती जाएगी और मोर्चे की तरफ से किसानों के परिवारों को पूरी कानूनी मदद दी जाएगी.

SKM ने भारत सरकार की ओर से नौ दिसंबर को संयुक्त किसान मोर्चा को दिए लिखित आश्वासनों की समीक्षा की और यह पाया कि तीन महीने बीत जाने के बाद भी सरकार ने अपने प्रमुख आश्वासनों पर कुछ भी नहीं किया है. एमएसपी पर जो कमेटी बनाने का आश्वासन था, उसका नामोनिशान भी नहीं है. हरियाणा को छोड़कर अन्य राज्यों में किसानों के विरुद्ध आंदोलन के दौरान बने केस वापस नहीं लिए गए हैं. दिल्ली पुलिस ने कुछ मामलों को आंशिक रूप से वापस लेने की बात कही है, लेकिन उसकी भी कोई ठोस सूचना नहीं है. देशभर में रेल रोको के मामलों के बारे में भी कुछ नहीं किया गया है.

संयुक्त किसान मोर्चा की कोऑर्डिनेशन कमेटी द्वारा बुलाई गई इस राष्ट्रीय बैठक में पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, बिहार, झारखंड, आसाम, त्रिपुरा, ओडिशा, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडु, केरल, महाराष्ट्र, गुजरात, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के किसान संगठनों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया.

बता दें कि, SKM ने केंद्र के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ एक साल लंबे आंदोलन का नेतृत्व किया था. उसने पिछले साल नौ दिसंबर को उस समय आंदोलन बंद कर दिया था, जब सरकार ने विवादित कानूनों को वापस ले लिया था और उनकी छह मांगों पर विचार करने पर राजी हो गयी थी, जिनमें आंदोलन के दौरान किसानों के खिलाफ दर्ज मामलों को वापस लेना, न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर कानूनी गारंटी देना और प्रदर्शन के दौरान मारे गए किसानों के परिजन को मुआवजा देना शामिल है.

नई दिल्ली : संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) की एक दिवसीय बैठक सोमवार को हुई, जिसमें संगठन ने राष्ट्रव्यापी अभियान के अगले चरण के कार्यक्रम का ऐलान किया है. बैठक में किसानों से किए गए वादों पर केंद्र द्वारा अभी तक की गयी प्रगति की समीक्षा की गई. इन वादों में न्यूनतम समर्थन मूल्य पर समिति गठित करना भी शामिल है. साथ ही भविष्य के कदमों पर निर्णय लिया गया.

जानकारी के मुताबिक, SKM की यह बैठक दीनदयाल उपाध्याय मार्ग पर गांधी पीस फाउंडेशन में हुई, जिसमें तय किया गया कि लखीमपुर खेरी कांड पर सरकार की भूमिका और किसान आंदोलन को दिए आश्वासनों पर वादाखिलाफी के मुद्दे को लेकर संयुक्त किसान मोर्चा 21 मार्च को देशभर में रोष प्रदर्शन करेगा. वहीं, 28 और 29 मार्च को ट्रेड यूनियन की ओर से आहूत भारत बंद का संयुक्त किसान मोर्चा समर्थन कर रहा है. इस भारत बंद आंदोलन में भी देशभर में किसान बढ़-चढ़कर शामिल होंगे.

इसके साथ ही 11 से 17 अप्रैल के बीच एमएसपी की कानूनी गारंटी सप्ताह मनाए जाने का फैसला किया गया है. इस दौरान राष्ट्रव्यापी अभियान की शुरुआत की जाएगी. इस सप्ताह के दौरान संयुक्त किसान मोर्चा से जुड़े सभी घटक संगठन सभी किसानों को अपने सभी कृषि उत्पाद पर स्वामीनाथन कमीशन द्वारा निर्धारित (C2+50 फीसदी) न्यूनतम समर्थन मूल्य की कानूनी गारंटी की मांग को लेकर धरना, प्रदर्शन, संगोष्ठी का आयोजन किया जाएगा.

बैठक में लखीमपुर खीरी कांड में चल रही कानूनी प्रक्रिया की समीक्षा कर इस बात पर चिंता जताई गई. एसकेएम ने आरोप लगाया कि पुलिस प्रशासन और अभियोक्ता मिलकर अपराधियों को बचाने और बेकसूर किसानों को फंसाने की कोशिश कर रहे हैं. वक्ताओं ने कहा कि यह आश्चर्य की बात है कि ऐसे संगीन मामले में केंद्रीय मंत्री के बेटे को इतनी जल्दी जमानत मिल गई जबकि इसी मामले में फंसाए गए किसान अभी भी जेल में बंद हैं. संयुक्त किसान मोर्चा इस खबर से क्षुब्ध है कि मोनू मिश्रा के बाहर निकलने के बाद इस मामले के एक प्रमुख गवाह पर हमला किया गया है. मोर्चे ने तय किया कि इस मामले में कानूनी लड़ाई में कोई ढील नहीं बरती जाएगी और मोर्चे की तरफ से किसानों के परिवारों को पूरी कानूनी मदद दी जाएगी.

SKM ने भारत सरकार की ओर से नौ दिसंबर को संयुक्त किसान मोर्चा को दिए लिखित आश्वासनों की समीक्षा की और यह पाया कि तीन महीने बीत जाने के बाद भी सरकार ने अपने प्रमुख आश्वासनों पर कुछ भी नहीं किया है. एमएसपी पर जो कमेटी बनाने का आश्वासन था, उसका नामोनिशान भी नहीं है. हरियाणा को छोड़कर अन्य राज्यों में किसानों के विरुद्ध आंदोलन के दौरान बने केस वापस नहीं लिए गए हैं. दिल्ली पुलिस ने कुछ मामलों को आंशिक रूप से वापस लेने की बात कही है, लेकिन उसकी भी कोई ठोस सूचना नहीं है. देशभर में रेल रोको के मामलों के बारे में भी कुछ नहीं किया गया है.

संयुक्त किसान मोर्चा की कोऑर्डिनेशन कमेटी द्वारा बुलाई गई इस राष्ट्रीय बैठक में पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, बिहार, झारखंड, आसाम, त्रिपुरा, ओडिशा, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडु, केरल, महाराष्ट्र, गुजरात, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के किसान संगठनों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया.

बता दें कि, SKM ने केंद्र के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ एक साल लंबे आंदोलन का नेतृत्व किया था. उसने पिछले साल नौ दिसंबर को उस समय आंदोलन बंद कर दिया था, जब सरकार ने विवादित कानूनों को वापस ले लिया था और उनकी छह मांगों पर विचार करने पर राजी हो गयी थी, जिनमें आंदोलन के दौरान किसानों के खिलाफ दर्ज मामलों को वापस लेना, न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर कानूनी गारंटी देना और प्रदर्शन के दौरान मारे गए किसानों के परिजन को मुआवजा देना शामिल है.

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