जयपुर : करीब 15 दिन पहले अपनी बिटिया की शादी के लिए बैंक पहुंचे रिटायर्ड फौजी से जब 10 लाख रुपए किसी ने चुरा लिया तो, उनकी आंखों के आगे अंधेरा सा छा गया. उन्हें कोई उम्मीद नहीं थी कि पैसा वापस मिल जाएगा और चोर भी पकड़े जा सकते हैं, लेकिन झुंझुनू कोतवाली पुलिस की 15 दिन की अथक मेहनत ने ऐसी गैंग के पास पहुंचा दिया, जिसने केवल एक फौजी ही नहीं, बल्कि सैकड़ों लोगों के सपनों को कुतर दिया था.
झुंझुनू कोतवाली थाना अधिकारी मदन कड़वासरा के नेतृत्व में झुंझुनू कोतवाली पुलिस ने राजगढ़ मध्यप्रदेश की ऐसी गैंग को पकड़ने में सफलता प्राप्त की है, जिसने हरियाणा, गुजरात, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में करीब 100 से ज्यादा वारदातें की हैं. लेकिन आज तक पकड़े नहीं गए थे. इस बारे में खुलासा करते हुए जिला पुलिस अधीक्षक मनीष त्रिपाठी ने बताया, जब गैंग से कड़ाई से पूछताछ की गई तो पता लगा, वारदातों की एक लंबी सूची तो केवल दो साल की है. जो उन्होंने की है, बल्कि उससे पुरानी तो उनको याद भी नहीं है.
इतने शातिर की कुछ भी नहीं छोड़ते सुराग
ऐसे में सोचा जा सकता है कि कितनी शातिर गैंग रही होगी, जो न तो मोबाइल का उपयोग करती है और गाड़ियों की नंबर प्लेट भी फर्जी रखती है. इसके अलावा जहां भी वारदात करते हैं, उससे करीब 100 किलोमीटर दूर ही अपना डेरा डालते हैं. इसलिए पुलिस की पहुंच से लगभग दूर होते हैं. कोतवाली थाना अधिकारी मदन कड़वासरा ने बताया, मामले में 28 वारदातें तो उन्होंने राजस्थान में करना कबूल किया है. यह भी कहा, सैकड़ों वारदातें तो उन्हें याद भी नहीं हैं.
अभी गैंग के 4 लोग आए गिरफ्त में
पुलिस ने मामले में मध्यप्रदेश के राजगढ़ में कड़िया गांव के रहने वाले ओम पुत्र अशोक, बाबू पुत्र विक्रम, कैलाश पुत्र बलवंत और रीतिक पुत्र महेश को गिरफ्तार किया है. चारों आरोपियों ने पुलिस पूछताछ में स्वीकारा है, वे राजस्थान, हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और गुजरात में बैंक, शादियों से पैसे चुराते हैं. साथ ही जेब काटने में भी माहिर हैं.
राजस्थान में 28 वारदात
पुलिस की गिरफ्त में आए इन चार आरोपियों ने राजस्थान में 28, मध्यप्रदेश में 17, उत्तरप्रदेश में 10, हरियाणा में 3, महाराष्ट्र में 3, छत्तीसगढ़ में 3, गुजरात में 1 मामले अंजाम देने की बात स्वीकारी है, जो दस दिन से लेकर दो साल पुरानी तक हैं.
वारदात का पहला तरीका
ये गैंग वारदात के लिए ऐसे बैंक चुनती है, जो भीड़भाड़ वाले इलाके में हो. SBI की ब्रांच हमेशा इनके निशाने पर रहती है. क्योंकि वहां बड़ी संख्या में लोग आते-जाते हैं. गैंग में से एक या दो सदस्य अंदर जाकर देखते हैं कि किस व्यक्ति ने बड़ी नकदी निकाली है. वहीं, एक व्यक्ति बैंक के बाहर और दूसरा बैंक से थोड़ी दूर गाड़ी लेकर खड़ा रहता है. जैसे ही कोई व्यक्ति थैले या बैग में पैसे लेकर आता है तो अंदर के युवक बाहर खड़े सदस्य को इशारा कर देता है. बैंक से नकदी लेकर बाहर आए व्यक्ति का ध्यान हटते ही बदमाश पैसे पार कर फरार हो जाते हैं.
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वारदात का दूसरा तरीका
ये गैंग मंडियों में फसल बेचकर नकदी रखने वाले लोगों और त्योहारों में भीड़भाड़ वाले क्षेत्रों में रेकी करती है. जैसे ही कोई व्यक्ति नकद रुपयों के साथ दिखता है तो एक सदस्य बिस्किट चबाकर उसके कपड़ों पर थूक देता है. इससे वह व्यक्ति खुद पर गंदगी लगी देख उसे साफ करने के लिए पानी का नल तलाशने लगता है. जैसे ही शिकार अपना बैग नीचे रखता है, गैंग के सदस्य उसे लेकर पार हो जाते हैं.