ETV Bharat / bharat

जज्बे काे सलाम : सपने नहीं हुए धूमिल, पढ़ाई करने को बाढ़ से जूझ रही संध्या

author img

By

Published : Sep 6, 2021, 2:01 PM IST

Updated : Sep 6, 2021, 2:22 PM IST

एक तरफ जहां गांव के दूसरे बच्चों ने स्कूल जाना बंद कर दिया है, वहीं संध्या के मन में पढ़ाई के प्रति जो जज्बा था उसकी वजह से संध्या घर में बैठने के बजाय नाव से ही स्कूल जाना शुरू कर दिया है. क्याेंकि बाकी बच्चाें की तरह उसके पास स्मार्ट फाेन नहीं है इसकी वजह से वह दूसरे बच्चाें की ऑनलाइन क्लास नहीं कर पा रही है.

शिक्षा
शिक्षा

गोरखपुर : गोरखपुर में बाढ़ के कहर के बीच एक बेटी ने अपने पढ़ने-लिखने के जुनून को इस कदर साबित किया कि अब प्रशासन से लेकर नेता, जन प्रतिनिधि तक उसे सम्मानित करने पहुंच रहे हैं. संध्या साहनी जिले के बहरामपुर गांव की रहने वाली है.

संध्या काे सम्मानित करते निषाद पार्टी के नेता
संध्या काे सम्मानित करते निषाद पार्टी के नेता

वह 11वीं कक्षा की छात्रा है. पढ़ने के लिए वह प्रतिदिन नाव से स्कूल जा रही है. गोरखपुर की इस बिटिया के हौसले और जज्बे को देखकर हर कोई हैरान है.

गांव में भरा पानी
गांव में भरा पानी

बहरामपुर इलाका इन दिनों बाढ़ की चपेट में आ गया है. हाल ये है कि कई परिवार यहां से सुरक्षित जगह पर पलायन भी कर चुके हैं. इसी बहरामपुर के रहने वाले दिलीप सहानी जो कारपेंटर का काम करते हैं, उनके चार बच्चे हैं. संध्या सहानी उनकी सबसे बड़ी बेटी हैं. संध्या विज्ञान वर्ग से गोरखपुर राजकीय एडी कन्या विद्यालय में 11वीं में पढ़तीं हैं.

नाव से स्कूल जाती हुई संध्या
नाव से स्कूल जाती हुई संध्या

संध्या का स्कूल पिछले एक साल से कोरोना की वजह से बंद था. पिछले महीने जब स्कूल कॉलेज खुले तो बाढ़ की वजह से गांव में पानी भर गया. लेकिन स्कूल जाने और पढ़ने के जुनून के कारण उसने अपने लिए रास्ता बना ही लिया.


रेलवे में नौकरी और हवाई जहाज में सफर करना चाहती हैं संध्या

एक तरफ जहां गांव के दूसरे बच्चों ने स्कूल जाना बंद कर दिया, वहीं कुछ बच्चे ऑनलाइन पढ़ाई कर रहे हैं, ऐसे में संध्या भला क्याें पीछे रहती.

वहीं संध्या के मन में पढ़ाई के प्रति जो जज्बा था उसकी वजह से संध्या घर में बैठने के बजाय नाव से ही स्कूल आना जाने लगीं. संध्या रेलवे में नौकरी करना चाहती हैं. वह कहती है कि उसका घर 15 दिन से पानी में डूबा है. वह लोग छत पर किसी तरह रह रहे हैं.

स्मार्ट फोन न होने की वजह से घर से पढ़ पाना उसके बस की बात नहीं थी. स्कूल की दूसरी सहेलियों से पढ़ाई के बारे में हर रोज सुनकर संध्या ने फैसला लिया कि वह स्कूल जाएगी. फिर उसने अकेले नाव से स्कूल आना-जाना शुरू कर दिया. संध्या का कहना है कि वह अपनी शिक्षा के जरिए अपने परिवार को मजबूत करना चाहती है.

उसके समाज में लोग लड़कियों की शिक्षा को जरूरी नहीं मानते लेकिन तंगहाली में जीवन काटने के बावजूद उसके माता-पिता उसे आगे बढ़ाना चाहते हैं. उनके हौसले को देखकर ही उसने इस कठिन वक्त में भी अपनी पढ़ाई जारी रखी है. उसका सपना है कि अच्छी पढ़ाई कर वह रेलवे में नौकरी कर सके जिससे परिवार की आर्थिक मुश्किलें खत्म हों. इसके साथ ही संध्या हवाई जहाज में भी घूमना चाहती है.

निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने संध्या के घर पहुंचकर बढ़ाया हौसला

संध्या के पिता दिलीप का कहना है कि बेटी रेलवे में नौकरी करना चाहती है. वह दिन-रात पढ़ाई भी करती है. इधर, बाढ़ की वजह से वे लोग बहुत परेशान हैं. लेकिन बेटी का जज्बा देखकर उनको अपना सारा कष्ट कम लगने लगा है. वह उसे आगे बढ़ाना चाहते हैं.

गोरखपुर की इस बहादुर बेटी से मिलने निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉक्टर संजय निषाद भी उसके घर पहुंचे. डॉक्टर निषाद ने संध्या के हौसले की तारीफ की. उसके परिवार को हर तरह से मदद का भरोसा दिलाया.

इसे भी पढ़ें : ऐसे शिक्षक को सलाम : बाढ़ में डूबा इलाका तो गंगा में तैरती नाव पर चल रही बच्चों की पाठशाला

उन्होंने कहा कि संध्या उनकी बिरादरी के लिए अब एक रोल मॉडल बन चुकी है. संध्या जैसी दूसरी बेटियों के पढ़ाई के लिए वह जल्द ही हर जिले में निषादों के लिए एक अलग से विद्यालय खुलवाएंगे. संध्या को हॉस्टल में भर्ती कराने और बाद में नौकरी दिलवाने के साथ-साथ उसके परिवार की हर जरूरत को पूरा कराएंगे.

गोरखपुर : गोरखपुर में बाढ़ के कहर के बीच एक बेटी ने अपने पढ़ने-लिखने के जुनून को इस कदर साबित किया कि अब प्रशासन से लेकर नेता, जन प्रतिनिधि तक उसे सम्मानित करने पहुंच रहे हैं. संध्या साहनी जिले के बहरामपुर गांव की रहने वाली है.

संध्या काे सम्मानित करते निषाद पार्टी के नेता
संध्या काे सम्मानित करते निषाद पार्टी के नेता

वह 11वीं कक्षा की छात्रा है. पढ़ने के लिए वह प्रतिदिन नाव से स्कूल जा रही है. गोरखपुर की इस बिटिया के हौसले और जज्बे को देखकर हर कोई हैरान है.

गांव में भरा पानी
गांव में भरा पानी

बहरामपुर इलाका इन दिनों बाढ़ की चपेट में आ गया है. हाल ये है कि कई परिवार यहां से सुरक्षित जगह पर पलायन भी कर चुके हैं. इसी बहरामपुर के रहने वाले दिलीप सहानी जो कारपेंटर का काम करते हैं, उनके चार बच्चे हैं. संध्या सहानी उनकी सबसे बड़ी बेटी हैं. संध्या विज्ञान वर्ग से गोरखपुर राजकीय एडी कन्या विद्यालय में 11वीं में पढ़तीं हैं.

नाव से स्कूल जाती हुई संध्या
नाव से स्कूल जाती हुई संध्या

संध्या का स्कूल पिछले एक साल से कोरोना की वजह से बंद था. पिछले महीने जब स्कूल कॉलेज खुले तो बाढ़ की वजह से गांव में पानी भर गया. लेकिन स्कूल जाने और पढ़ने के जुनून के कारण उसने अपने लिए रास्ता बना ही लिया.


रेलवे में नौकरी और हवाई जहाज में सफर करना चाहती हैं संध्या

एक तरफ जहां गांव के दूसरे बच्चों ने स्कूल जाना बंद कर दिया, वहीं कुछ बच्चे ऑनलाइन पढ़ाई कर रहे हैं, ऐसे में संध्या भला क्याें पीछे रहती.

वहीं संध्या के मन में पढ़ाई के प्रति जो जज्बा था उसकी वजह से संध्या घर में बैठने के बजाय नाव से ही स्कूल आना जाने लगीं. संध्या रेलवे में नौकरी करना चाहती हैं. वह कहती है कि उसका घर 15 दिन से पानी में डूबा है. वह लोग छत पर किसी तरह रह रहे हैं.

स्मार्ट फोन न होने की वजह से घर से पढ़ पाना उसके बस की बात नहीं थी. स्कूल की दूसरी सहेलियों से पढ़ाई के बारे में हर रोज सुनकर संध्या ने फैसला लिया कि वह स्कूल जाएगी. फिर उसने अकेले नाव से स्कूल आना-जाना शुरू कर दिया. संध्या का कहना है कि वह अपनी शिक्षा के जरिए अपने परिवार को मजबूत करना चाहती है.

उसके समाज में लोग लड़कियों की शिक्षा को जरूरी नहीं मानते लेकिन तंगहाली में जीवन काटने के बावजूद उसके माता-पिता उसे आगे बढ़ाना चाहते हैं. उनके हौसले को देखकर ही उसने इस कठिन वक्त में भी अपनी पढ़ाई जारी रखी है. उसका सपना है कि अच्छी पढ़ाई कर वह रेलवे में नौकरी कर सके जिससे परिवार की आर्थिक मुश्किलें खत्म हों. इसके साथ ही संध्या हवाई जहाज में भी घूमना चाहती है.

निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने संध्या के घर पहुंचकर बढ़ाया हौसला

संध्या के पिता दिलीप का कहना है कि बेटी रेलवे में नौकरी करना चाहती है. वह दिन-रात पढ़ाई भी करती है. इधर, बाढ़ की वजह से वे लोग बहुत परेशान हैं. लेकिन बेटी का जज्बा देखकर उनको अपना सारा कष्ट कम लगने लगा है. वह उसे आगे बढ़ाना चाहते हैं.

गोरखपुर की इस बहादुर बेटी से मिलने निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉक्टर संजय निषाद भी उसके घर पहुंचे. डॉक्टर निषाद ने संध्या के हौसले की तारीफ की. उसके परिवार को हर तरह से मदद का भरोसा दिलाया.

इसे भी पढ़ें : ऐसे शिक्षक को सलाम : बाढ़ में डूबा इलाका तो गंगा में तैरती नाव पर चल रही बच्चों की पाठशाला

उन्होंने कहा कि संध्या उनकी बिरादरी के लिए अब एक रोल मॉडल बन चुकी है. संध्या जैसी दूसरी बेटियों के पढ़ाई के लिए वह जल्द ही हर जिले में निषादों के लिए एक अलग से विद्यालय खुलवाएंगे. संध्या को हॉस्टल में भर्ती कराने और बाद में नौकरी दिलवाने के साथ-साथ उसके परिवार की हर जरूरत को पूरा कराएंगे.

Last Updated : Sep 6, 2021, 2:22 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.