श्रीनगर : सना इरशाद मट्टू और दानिश सिद्दीकी सहित चार भारतीयों को 'फीचर फोटोग्राफी श्रेणी' में प्रतिष्ठित पुलित्जर पुरस्कार 2022 से सम्मानित किया गया है. 'द पुलित्जर प्राइज' की वेबसाइट के अनुसार, समाचार एजेंसी 'रॉयटर्स' के सिद्दीकी और उनके सहयोगियों अदनान आबिदी, सना इरशाद मट्टू और अमित दवे को इस पुरस्कार से नवाजा गया है. इसकी घोषणा सोमवार को की गई. भारत में कोविड-19 से जुड़ी तस्वीरों के लिए उन्हें इस पुरस्कार से सम्मानित किया गया है.
सना 28 साल की हैं. ईटीवी भारत से बात करते हुए सना ने बताया, 'मैं बहुत ही अच्छा महसूस कर रही हूं. ऊपर वाले का शुक्रिया. यह तो बस शुरुआत है. इंशा अल्लाह अभी ऐसे कई पल आएंगे.' उन्होंने कहा, 'मैं दानिश साहिब के साथ इस पुरस्कार को ग्रहण कर रही हूं. वह अब इस दुनिया में नहीं हैं. हम सब उन्हें बहुत ही मिस कर रहे हैं. अगर वे हमारे बीच होते, तो हमलोग और अधिक खुश होते.'
2021 में सना मैगनम फाउंडेशन की फोटोग्राफी एंड सोशल जस्टिस फेलो रह चुकी हैं. पिछले दो सालों से वह रायटर के लिए काम कर रहीं हैं. उन्होंने सेंट्रल यूनिवर्सिटी कश्मीर से कनवर्जेंट पत्रकारिता में पीजी की डिग्री ली है. उनका काम अलजजीरा, द नेशन, टाइम, टीआरटी वर्ल्ड, साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट और कारवां मैगजीन में प्रकाशित हो चुका है.
वह मुख्य रूप से फोटो जर्नलिस्ट और डॉक्युमेंट्री फोटोग्राफी में इंटरेस्ट रखती हैं. कश्मीर के खतरनाक आतंक भरे माहौल और आम जीवन में आने वाली कठिनाइयों के बीच उनकी तस्वीरें बहुत कुछ बयां करती हैं. दुनिया के मशहूर अखबारों और मैगजीन में उनकी तस्वीरें प्रकाशित हो चुकी हैं. कई प्रदर्शनियों में भी उनकी तस्वीरों को दिखाया गया है.
सिद्दीकी (38) की पिछले साल जुलाई में अफगानिस्तान में हत्या कर दी गई थी. अफगानिस्तान के स्पीन बोल्दक जिले में अफगान सैनिकों और तालिबान के बीच हिंसक संघर्ष की तस्वीरें लेते समय उनकी हत्या कर दी गई थी. सिद्दीकी को दूसरी बार पुलित्जर पुरस्कार से नवाजा गया है. 2018 में भी रॉयटर्स के साथ काम करते हुए उन्हें रोहिंग्या शरणार्थी संकट संबंधी तस्वीरों के लिए पुलित्ज़र पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. उन्होंने अफगानिस्तान तथा ईरान में युद्ध, हांगकांग में प्रदर्शन और नेपाल में भूकंप जैसी महत्वपूर्ण घटनाओं की तस्वीरें ली थीं.
सिद्दीकी ने दिल्ली के जामिया मिल्लिया इस्लामिया से परास्नातक की उपाधि प्राप्त की थी. वहीं, ‘लॉस एंजिलिस टाइम्स’ के मार्कस याम को ‘ब्रेकिंग न्यूज़ फोटोग्राफी श्रेणी’ में पुरस्कार मिला. उन्होंने अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना के लौटने से लोगों के जीवन पर पड़े असर को दर्शाने वाली तस्वीरें ली थीं. ‘गेटी इमेजेज’ के विन मैकनेमी, ड्रू एंगरर, स्पेंसर प्लैट, सैमुअल कोरम और जॉन चेरी को भी ‘ब्रेकिंग न्यूज फोटोग्राफी श्रेणी’ में पुलित्ज़र पुरस्कार मिला. उन्होंने अमेरिकी संसद पर हमले से जुड़ी तस्वीरें ली थीं.
2020 में जम्मू के चन्नी आनंद (एपी), श्रीगर के मुख्तार खान और डार यसीन को पुलित्जट अवार्ड से सम्मानित किया जा चुका है. उन्होंने अनुच्छेद 370 के बाद उपजी परिस्थिति को कैमरे में कैद किया था. सना उनमें से सबसे कम उम्र की हैं. वर्ष 1912 में कोलंबिया विश्वविद्यालय ने विभिन्न श्रेणियों में पुलित्ज़र पुरस्कार प्रदान करने की योजना को मंजूरी दी. इसकी स्थापना हंगरी मूल के अमेरिकी फोटो पत्रकार जोसेफ पुलित्ज़र ने की थी. 1917 में पहली बार पुलित्जर पुरस्कार दिए गए थे.