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संतों के लिए मुश्किल है राजनीति का 'योगी' बनना, हरिद्वार का चुनावी इतिहास रहा है गवाह

हरिद्वार लोकसभा सीट को लेकर एक बार फिर से चर्चाएं तेज हो गई है. इस बार संतों ने भी हरिद्वार लोकसभी सीट से टिकट की दावेदारी की. संतों का कहना है हरिद्वार धर्म की नगरी है, ऐसे में इसकी रक्षा, कायाक्लप की जिम्मेदारी किसी संत को दी जानी चाहिए. मगर बीते लोकसभा या विधानसभा चुनावों के परिणामों पर नजर डालें तो पता चलता है कि लोगों को आशीर्वाद देने वाले संतों को ही चुनावों में जनता का भरपूर 'आशीर्वाद' नहीं मिलता है. जिसके कारण राजनीतिक दल संतों को टिकट देने से बचते हैं.

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संतों के लिए मुश्किल है राजनीति का 'योगी' बनना
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Sep 2, 2023, 7:00 AM IST

हरिद्वार(उत्तराखंड): उत्तराखंड में पांच लोकसभा सीटें हैं. इन पांचों लोकसभा सीटों में हरिद्वार लोकसभा सीट सबसे अधिक चर्चाओं में रहती है. इस बार भी हरिद्वार लोकसभा सीट को लेकर सियासी गलियारों में चर्चाएं अभी से शुरू हो गई हैं. बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही दलों के नेताओं में हरिद्वार लोकसभा सीट को लेकर बेचैनी साफ देखी जा सकती है. इसके साथ ही संतों की चुनाव लड़ने की इच्छा ने इस सीट की गर्मी को और बढ़ा दिया है. बीते कुछ समय से दबी आवाज में हरिद्वार लोकसभा सीट के हरिद्वार के संत टिकट की दावेदारी कर रहे हैं. धर्म, इतिहास, राजनीति से जुड़ी हरिद्वार की सियासी जमीन भले ही संतों द्वारा सींची जाती हो, मगर उन्हें चुनावों में यहां जनता का आशीर्वाद नहीं मिलता. बीते सालों के चुनाव परिणाम इसकी तस्दीक करते हैं.

संतों को नहीं मिलता जनता का 'आशीर्वाद': हरिद्वार लोकसभा चुनावों की अगर बात करें तो यहां के चुनावों में जनता संतों को 'आशीर्वाद' नहीं देती है. जगदीश मुनि का नाम को छोड़ दें उसके अलावा सभी संतों को चुनावों में हार का सामना करना पड़ा. सबसे पहले विधानसभा चुनावों में बड़े अखाड़े के संत स्वामी सुंदर दास चुनावी मैदान में उतरे. तब उन्हें हार का सामना करना पड़ा. इसके बाद दो बार जगदीश मुनि राम मंदिर आंदोलन की लहर में हरिद्वार से विधायक बने. इसके बाद हुए लोकसभा और विधानसभा के चुनावों में स्वामी यतिंदरानन्द, सतपाल ब्रह्मचारी, ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी, सतपाल महाराज, इन संतों को हार का सामना करना पड़ा. स्वामी यतिश्रानन्द एक बार विधानसभा चुनाव जीतने में कामयाब र. अगली बार उन्हें भी चुनाव में जनता ने नकार दिया. कुल मिलाकर देखा जाये तो जब जब बीजेपी, कांग्रेस ने संतों को टिकट दिया तब तब उन्हें हार का सामना करना पड़ा.

Haridwar Lok Sabha seat
हरिद्वार से संतों ने भी छेड़ा संग्राम

पढे़ं- योगी आदित्यनाथ के 'जबरा' फैन हुए धर्मनगरी के संत, 2024 लोकसभा चुनाव में हरिद्वार से मांगा टिकट

हरिद्वार में एक हजार आश्रम, 14 हजार संत वोटर:हरिद्वार में सबसे अधिक संत कनखल,भूपतवाला,ऋषिकेश मार्ग इलाके में रहते हैं. हरिद्वार में लगभग एक हजार आश्रम हैं. जिनमें कुल 14 हजार वोटर हैं. हरिद्वार के बड़े बड़े आश्रमों में बैठने वाले संतों के अधिकतर भक्त हरिद्वार से बाहर रहते हैं. हरिद्वार के संतों के बड़ी संख्या में अनुयायी देश के दूसरे राज्यों में निवास करते हैं. जिसके कारण उनकी कथाओं में तो भीड़ जुटती है, मगर चुनावों में उन्हें जनता का आशार्वाद नहीं मिल पाता.

क्या कहते हैं संत: साल 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले एक बार फिर से संतो ने किसी संत को टिकट देने की मांग की है. इस बार सबसे पहले जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर स्वामी यतींद्रानंद गिरि ने ये मांग की है. उन्होंने कहा हरिद्वार संतो की नगरी है. इसलिए इसके कायाकल्प का जिम्मा किसी संत को दिया जाना चाहिए. उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा से हरिद्वार लोकसभा सीट से किसी संत को टिकट देने की मांग की है. इसके साथ ही कुछ और संतों ने भी इसको लेकर बयान दिए हैं. हिंदू रक्षा सेवा के राष्ट्रीय अध्यक्ष स्वामी प्रबोधानंद गिरि ने भी हरिद्वार लोकसभा सीट से किसी संत को टिकट दिए जाने की वकालत की है. उन्होंने कहा हरिद्वार आध्यात्मिक नगरी है. आध्यात्मिक नगरी रक्षा कोई संत की अच्छे से कर सकता है. वहीं, अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष रविन्द्र पुरी महाराज ने भी इस पर अपनी बात रखी. उन्होंने कहा बीजेपी को संतों की इस मांग पर विचार करना चाहिए.

Haridwar Lok Sabha seat
उत्तराखंड में लोकसभा सीटों की स्थिति

पढे़ं- एक तरफ संतों ने की जनसंख्या नियंत्रण कानून की मांग, दूसरी ओर हिंदुओं से की दो से ज्यादा बच्चे पैदा करने की अपील

किसी संत का 'योगी' बनना मुश्किल: हरिद्वार के वरिष्ठ पत्रकार सुनील दत्त पांडेय कहते हैं हरिद्वार में चुनाव बहुत अलग तरीके से लड़ा जाता है. पांचों लोकसभा सीट में सबसे कठिन चुनाव हरिद्वार का होता है. उन्होंने कहा संतों का एक दयारा है. नेताओं की कोई सीमा नहीं होती. उनके पास कार्यकर्ता की पूरी टीम होती है. अब तक हुए चुनावों में संतों को टिकट देकर किसी का फायदा नहीं हुआ. उन्हें लगता है की ऐसे में कोई पार्टी रिस्क नहीं लेगी. उन्होंने कहा हो सकता है कई संत यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ से प्रभावित हो, मगर उनकी तरह राजनीति में लोकप्रिय हो जाना कोई खेल नहीं है. उन्होंने कहा योगी ने छोटी उम्र से जनता की नब्ज को समझना शुरू कर दिया था. उन्होंने कहा अगर हरिद्वार से किसी संत को चुनाव लड़ना है तो उसे 365 दिनों जनता की नब्ज टटोलनी होगी.

Haridwar Lok Sabha seat
हरक सिंह, हरीश रावत और रमेश पोखरियाल निशंक जैसे हैवीवेट नेता हरिद्वार से उम्मीदवार

पढे़ं- उत्तराखंड में IPL: हरिद्वार के संतों ने दनादन लगाए चौके-छक्के

संतों को लेकर क्या है बीजेपी का वर्जन: हरिद्वार बीजेपी जिलाध्यक्ष संदीप गोयल कहते है मौजूदा सांसद रमेश पोखरियाल निशंक ने हरिद्वार में बेहतर काम किया है. वे पार्टी के वरिष्ठ नेता है. उन्होंने कहा बीजेपी हमेशा ही संतों का सम्मान करती है. उन्होंने कहा संतों का आशीर्वाद हमेशी ही बीजेपी को मिलता रहता है. संदीप गोयल ने कहा हरिद्वार से पार्टी जिसे लोकसभा चुनाव में टिकट देगी पार्टी कार्यकर्ता मजबूती से उसके लिए प्रचार करेंगे.

हरिद्वार लोकसभा स के कब कौन रहा सांसद: पांच लोकसभा सीट वाले उत्तराखंड में हरिद्वार लोकसभा सीट हमेशा से ही हॉट रही है. रमेश पोखरियाल निशंक दो बार से इस सीट से सांसद बने. इससे पहले साल 2009 में हरीश रावत इसी लोकसभा सीट से सांसद थे. साल 2004 में समाजवादी पार्टी के राजेंद्र कुमार बाडी सांसद थे. 1996 से लेकर 1999 तक भारतीय जनता पार्टी के ही प्रत्याशी हरपाल सिंह साथी हरिद्वार से सांसद रहे. इससे पहले 1991 में राम सिंह सैनी सांसद थे. 1989 में जगपाल सिंह भी कांग्रेस पार्टी से सांसद रह चुके हैं. 1984 में भी सुंदरलाल सांसद थे. वे भी कांग्रेस के टिकट पर ही चुनाव लड़े थे. 1980 में जगपाल सिंह जनता पार्टी के टिकट पर सांसद बने. 1977 में भगवान दास राठौर भारतीय लोक दल के सांसद रहे.

Haridwar Lok Sabha seat
हरिद्वार लोकसभा सीट पर हरीश और हरक सिंह रावत की दावेदारी

पढे़ं- CBI की 'गुगली' में फंसे हरीश रावत और हरक सिंह, लोकसभा जाने के सपनों पर स्टिंग का 'बैरियर'!

पूर्व के दो चुनावों में ऐसे रहे परिणाम: बीते लोकसभा चुनावों की बात करें तो रमेश पोखरियाल निशंक यहां से सांसद बने. उन्होंने पहली बार कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रही रेणुका रावत को हराया. रेणुका रावत को मात्र 35.25% वोट मिले. निशंक को 5 लाख 92 हजार 320 वोट मिले थे. रेणुका रावत को 4 लाख 14 हजार 498 वोट मिले. इसके बाद हुए लोकसभा चुनाव में भी बीजेपी के निशंक पर दांव खेला. इस बार भी निशंक ने कांग्रेस उम्मीदवार अमरीश कुमार को दो लाख से अधिक वोटों से हराया. हरिद्वार लोकसभा क्षेत्र में रुड़की,भगवानपुर,लक्सर,हरिद्वार शहर,रायवाला,ऋषिकेश और देहरादून का एक बड़ा हिस्सा शामिल है. हरिद्वार लोकसभा सीट में 15 विधानसभाएं शामिल हैं.

पढे़ं- हरीश रावत ने खुद को बताया हरिद्वारी लाल, हरिद्वार लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने के सवाल पर दिया जवाब

हरिद्वार लोकसभा सीट को लेकर सियासी जंग तेज : बीजेपी हरिद्वार लोकसभा सीट कितनी महत्वपूर्ण है इस बात का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष का एक दिवसीय उत्तराखंड कार्यक्रम तय किया गया. इसके लिए हरिद्वार को चुना गया. यहां बीजेपी राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने पूरा दिन गुजारा. साथ ही उन्होंने कार्यकर्ताओं की नब्ज टटोली. पार्टी पदाधिकारियों को जीत का मंत्र दिया. इसके साछ ही जेपी नड्डा ने संतों के कार्यक्रम में शिरकत की. वहीं, कांग्रेस की बात करें तो पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत और पूर्व कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत दोनों ही नेता हरिद्वार लोकसभा सीट से ताल ठोक रहे हैं. इसे लेकर बयानबाजियों का दौर भी शुरू हो गया है. मौजूदा समय में हरिद्वार लोकसभा सीट से रमेश पोखरियाल निशंक सांसद हैं.

हरिद्वार(उत्तराखंड): उत्तराखंड में पांच लोकसभा सीटें हैं. इन पांचों लोकसभा सीटों में हरिद्वार लोकसभा सीट सबसे अधिक चर्चाओं में रहती है. इस बार भी हरिद्वार लोकसभा सीट को लेकर सियासी गलियारों में चर्चाएं अभी से शुरू हो गई हैं. बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही दलों के नेताओं में हरिद्वार लोकसभा सीट को लेकर बेचैनी साफ देखी जा सकती है. इसके साथ ही संतों की चुनाव लड़ने की इच्छा ने इस सीट की गर्मी को और बढ़ा दिया है. बीते कुछ समय से दबी आवाज में हरिद्वार लोकसभा सीट के हरिद्वार के संत टिकट की दावेदारी कर रहे हैं. धर्म, इतिहास, राजनीति से जुड़ी हरिद्वार की सियासी जमीन भले ही संतों द्वारा सींची जाती हो, मगर उन्हें चुनावों में यहां जनता का आशीर्वाद नहीं मिलता. बीते सालों के चुनाव परिणाम इसकी तस्दीक करते हैं.

संतों को नहीं मिलता जनता का 'आशीर्वाद': हरिद्वार लोकसभा चुनावों की अगर बात करें तो यहां के चुनावों में जनता संतों को 'आशीर्वाद' नहीं देती है. जगदीश मुनि का नाम को छोड़ दें उसके अलावा सभी संतों को चुनावों में हार का सामना करना पड़ा. सबसे पहले विधानसभा चुनावों में बड़े अखाड़े के संत स्वामी सुंदर दास चुनावी मैदान में उतरे. तब उन्हें हार का सामना करना पड़ा. इसके बाद दो बार जगदीश मुनि राम मंदिर आंदोलन की लहर में हरिद्वार से विधायक बने. इसके बाद हुए लोकसभा और विधानसभा के चुनावों में स्वामी यतिंदरानन्द, सतपाल ब्रह्मचारी, ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी, सतपाल महाराज, इन संतों को हार का सामना करना पड़ा. स्वामी यतिश्रानन्द एक बार विधानसभा चुनाव जीतने में कामयाब र. अगली बार उन्हें भी चुनाव में जनता ने नकार दिया. कुल मिलाकर देखा जाये तो जब जब बीजेपी, कांग्रेस ने संतों को टिकट दिया तब तब उन्हें हार का सामना करना पड़ा.

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हरिद्वार में एक हजार आश्रम, 14 हजार संत वोटर:हरिद्वार में सबसे अधिक संत कनखल,भूपतवाला,ऋषिकेश मार्ग इलाके में रहते हैं. हरिद्वार में लगभग एक हजार आश्रम हैं. जिनमें कुल 14 हजार वोटर हैं. हरिद्वार के बड़े बड़े आश्रमों में बैठने वाले संतों के अधिकतर भक्त हरिद्वार से बाहर रहते हैं. हरिद्वार के संतों के बड़ी संख्या में अनुयायी देश के दूसरे राज्यों में निवास करते हैं. जिसके कारण उनकी कथाओं में तो भीड़ जुटती है, मगर चुनावों में उन्हें जनता का आशार्वाद नहीं मिल पाता.

क्या कहते हैं संत: साल 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले एक बार फिर से संतो ने किसी संत को टिकट देने की मांग की है. इस बार सबसे पहले जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर स्वामी यतींद्रानंद गिरि ने ये मांग की है. उन्होंने कहा हरिद्वार संतो की नगरी है. इसलिए इसके कायाकल्प का जिम्मा किसी संत को दिया जाना चाहिए. उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा से हरिद्वार लोकसभा सीट से किसी संत को टिकट देने की मांग की है. इसके साथ ही कुछ और संतों ने भी इसको लेकर बयान दिए हैं. हिंदू रक्षा सेवा के राष्ट्रीय अध्यक्ष स्वामी प्रबोधानंद गिरि ने भी हरिद्वार लोकसभा सीट से किसी संत को टिकट दिए जाने की वकालत की है. उन्होंने कहा हरिद्वार आध्यात्मिक नगरी है. आध्यात्मिक नगरी रक्षा कोई संत की अच्छे से कर सकता है. वहीं, अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष रविन्द्र पुरी महाराज ने भी इस पर अपनी बात रखी. उन्होंने कहा बीजेपी को संतों की इस मांग पर विचार करना चाहिए.

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पढे़ं- एक तरफ संतों ने की जनसंख्या नियंत्रण कानून की मांग, दूसरी ओर हिंदुओं से की दो से ज्यादा बच्चे पैदा करने की अपील

किसी संत का 'योगी' बनना मुश्किल: हरिद्वार के वरिष्ठ पत्रकार सुनील दत्त पांडेय कहते हैं हरिद्वार में चुनाव बहुत अलग तरीके से लड़ा जाता है. पांचों लोकसभा सीट में सबसे कठिन चुनाव हरिद्वार का होता है. उन्होंने कहा संतों का एक दयारा है. नेताओं की कोई सीमा नहीं होती. उनके पास कार्यकर्ता की पूरी टीम होती है. अब तक हुए चुनावों में संतों को टिकट देकर किसी का फायदा नहीं हुआ. उन्हें लगता है की ऐसे में कोई पार्टी रिस्क नहीं लेगी. उन्होंने कहा हो सकता है कई संत यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ से प्रभावित हो, मगर उनकी तरह राजनीति में लोकप्रिय हो जाना कोई खेल नहीं है. उन्होंने कहा योगी ने छोटी उम्र से जनता की नब्ज को समझना शुरू कर दिया था. उन्होंने कहा अगर हरिद्वार से किसी संत को चुनाव लड़ना है तो उसे 365 दिनों जनता की नब्ज टटोलनी होगी.

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संतों को लेकर क्या है बीजेपी का वर्जन: हरिद्वार बीजेपी जिलाध्यक्ष संदीप गोयल कहते है मौजूदा सांसद रमेश पोखरियाल निशंक ने हरिद्वार में बेहतर काम किया है. वे पार्टी के वरिष्ठ नेता है. उन्होंने कहा बीजेपी हमेशा ही संतों का सम्मान करती है. उन्होंने कहा संतों का आशीर्वाद हमेशी ही बीजेपी को मिलता रहता है. संदीप गोयल ने कहा हरिद्वार से पार्टी जिसे लोकसभा चुनाव में टिकट देगी पार्टी कार्यकर्ता मजबूती से उसके लिए प्रचार करेंगे.

हरिद्वार लोकसभा स के कब कौन रहा सांसद: पांच लोकसभा सीट वाले उत्तराखंड में हरिद्वार लोकसभा सीट हमेशा से ही हॉट रही है. रमेश पोखरियाल निशंक दो बार से इस सीट से सांसद बने. इससे पहले साल 2009 में हरीश रावत इसी लोकसभा सीट से सांसद थे. साल 2004 में समाजवादी पार्टी के राजेंद्र कुमार बाडी सांसद थे. 1996 से लेकर 1999 तक भारतीय जनता पार्टी के ही प्रत्याशी हरपाल सिंह साथी हरिद्वार से सांसद रहे. इससे पहले 1991 में राम सिंह सैनी सांसद थे. 1989 में जगपाल सिंह भी कांग्रेस पार्टी से सांसद रह चुके हैं. 1984 में भी सुंदरलाल सांसद थे. वे भी कांग्रेस के टिकट पर ही चुनाव लड़े थे. 1980 में जगपाल सिंह जनता पार्टी के टिकट पर सांसद बने. 1977 में भगवान दास राठौर भारतीय लोक दल के सांसद रहे.

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हरिद्वार लोकसभा सीट पर हरीश और हरक सिंह रावत की दावेदारी

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पूर्व के दो चुनावों में ऐसे रहे परिणाम: बीते लोकसभा चुनावों की बात करें तो रमेश पोखरियाल निशंक यहां से सांसद बने. उन्होंने पहली बार कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रही रेणुका रावत को हराया. रेणुका रावत को मात्र 35.25% वोट मिले. निशंक को 5 लाख 92 हजार 320 वोट मिले थे. रेणुका रावत को 4 लाख 14 हजार 498 वोट मिले. इसके बाद हुए लोकसभा चुनाव में भी बीजेपी के निशंक पर दांव खेला. इस बार भी निशंक ने कांग्रेस उम्मीदवार अमरीश कुमार को दो लाख से अधिक वोटों से हराया. हरिद्वार लोकसभा क्षेत्र में रुड़की,भगवानपुर,लक्सर,हरिद्वार शहर,रायवाला,ऋषिकेश और देहरादून का एक बड़ा हिस्सा शामिल है. हरिद्वार लोकसभा सीट में 15 विधानसभाएं शामिल हैं.

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