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'साहब मैं जिंदा हूं' की तख्ती डालकर DM के पास पहुंचे 6 बुजुर्ग, डेढ़ साल से नहीं मिली पेंशन

महोबा में 6 बुजुर्ग अपने जिंदा होने की गवाही देने के लिए मंगलवार को डीएम के पास पहुंचे. उनका कहना है कि सरकारी मशीनरी की गड़बड़ी के चलते उन्हें कागजों में मृत दिखा दिया गया है, जिसकी वजह से उन्हें पेंशन नहीं मिल पा रही है.

साहब मैं जिंदा हूं
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Published : Jul 26, 2022, 8:14 PM IST

महोबा: जिले में सरकारी मशीनरी की गड़बड़ी के चलते 6 बुजुर्गों को कागजों में मृत दिखा दिया गया, जिससे उन्हें पिछले डेढ़ वर्षों से वृद्धा पेंशन नहीं मिल पा रही. ऐसे में पीड़ित बुजुर्गों ने गले में 'साहब मैं जिंदा हूं' की तख्ती लटकाए घूम रहे हैं. यह सभी बुजुर्ग अपने जिंदा होने की खुद गवाही देने के लिए मजबूर हैं, क्योंकि सरकारी कागजों में इन्हे मृत घोषित कर दिया गया है, जिससे सरकार से मिलने वाली वृद्धा पेंशन इनकी रोक दी गई है.

जब उन्हें पता चला कि उन्हें कागजों में मृत दर्शा दिया गया, तो सभी हैरत में पड़ गए और मजबूरन अपने जिंदा होने का सबूत देने के लिए गले में तख्ती डाल कर डीएम की चौखट तक पहुंचे हैं और पेंशन शुरू किए जाने की गुहार लगा रहे हैं. सरकारी मशीनरी की घोर लापरवाही का यह मामला महोबा तहसील क्षेत्र के ग्राम पचपहरा से जुड़ा है, जहां पूर्व सचिव ने 6 वृद्धजनों को कागजों में मृत दिखा दिया.

डेढ़ साल से नहीं मिली पेंशन.

इसे भी पढ़ेंः यूपी मदरसा बोर्ड के नतीजे घोषित: लड़कियों ने मारी बाजी, यहां ऐसे देखें अपना परिणाम

ये सभी वृद्ध पचपहरा गांव के रहने वाले हैं. वृद्ध सरमन, गिरजारानी, कलिया, सुरजी, नंदकिशोर, राकेशरानी सरकार से मिलने वाली वृद्धा पेंशन के भरोसे अपना गुजर-बसर करते हैं, लेकिन पिछले डेढ़ वर्षों से इनके खातों में पेंशन नहीं आ रही. असहाय और गरीब इन सभी को वृद्धा पेंशन नहीं मिली, तो उन्होंने समाज कल्याण विभाग में पता किया तो पता चला कि वो सभी कागजों में मृत हो चुके हैं. तब उनके होश उड़ गए.

जिलाधिकारी की चौखट पर पहुंचे सभी वृद्धजनों ने लिखित प्रार्थना पत्र के साथ-साथ एक हलफनामा भी जिलाधिकारी को सौंपा, जिसमें उन्होंने बताया कि उनके जिंदा होने के बावजूद भी पूर्व ग्राम विकास अधिकारी ने पेंशन सत्यापन के नाम पर 500 रुपये की रिश्वत न देने पर उन्हें मरा हुआ कागजों में दिखा दिया. जिस कारण उनकी पेंशन आना बंद हो गई और उनकी आर्थिक स्थिति पर बड़ा प्रभाव पड़ा है.

सभी को डेढ़ साल से उन्हें वृद्धा पेंशन नहीं मिल पा रही. दिए गए हलफनामे में उन लोगों ने आरोप लगाया कि पूर्व सचिव ने जान-बूझकर ऐसा कृत्य किया है, जिसका प्रभाव उनके जीवन पर पड़ा है. बुजुर्ग बताते हैं कि, सरकारी मशीनरी की इस लापरवाही से उन्हें कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ा. आरोप है कि पचपहरा ग्राम पंचायत के पूर्व सचिव की लापरवाही से इन बुजुर्गों को पेंशन मिलना बंद हो गई. अब सभी बुजुर्ग खुद को जिंदा साबित करने के लिए डीएम की चौखट पर तख्ती डालकर जिंदा होने की दुहाई दे रहे हैं और फिर से वृद्धा पेंशन शुरू किए जाने की गुहार लगा रहे हैं.
इस पूरे मामले को जिलाधिकारी मनोज कुमार (District Magistrate Manoj Kumar) ने गंभीरता से लेते हुए पूरे मामले की जांच सीडीओ को सौंपी है, ताकि यह साफ हो सके. इस मामले में कोई षड्यंत्र के तहत वृद्धजनों को कागजों में मृत तो नहीं दिखाया या फिर कोई तकनीकी कमी के कारण ऐसा हुआ है. फिलहाल डीएम ने पूरे मामले की जांच के बाद कार्रवाई करने की बात कही है.

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महोबा: जिले में सरकारी मशीनरी की गड़बड़ी के चलते 6 बुजुर्गों को कागजों में मृत दिखा दिया गया, जिससे उन्हें पिछले डेढ़ वर्षों से वृद्धा पेंशन नहीं मिल पा रही. ऐसे में पीड़ित बुजुर्गों ने गले में 'साहब मैं जिंदा हूं' की तख्ती लटकाए घूम रहे हैं. यह सभी बुजुर्ग अपने जिंदा होने की खुद गवाही देने के लिए मजबूर हैं, क्योंकि सरकारी कागजों में इन्हे मृत घोषित कर दिया गया है, जिससे सरकार से मिलने वाली वृद्धा पेंशन इनकी रोक दी गई है.

जब उन्हें पता चला कि उन्हें कागजों में मृत दर्शा दिया गया, तो सभी हैरत में पड़ गए और मजबूरन अपने जिंदा होने का सबूत देने के लिए गले में तख्ती डाल कर डीएम की चौखट तक पहुंचे हैं और पेंशन शुरू किए जाने की गुहार लगा रहे हैं. सरकारी मशीनरी की घोर लापरवाही का यह मामला महोबा तहसील क्षेत्र के ग्राम पचपहरा से जुड़ा है, जहां पूर्व सचिव ने 6 वृद्धजनों को कागजों में मृत दिखा दिया.

डेढ़ साल से नहीं मिली पेंशन.

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ये सभी वृद्ध पचपहरा गांव के रहने वाले हैं. वृद्ध सरमन, गिरजारानी, कलिया, सुरजी, नंदकिशोर, राकेशरानी सरकार से मिलने वाली वृद्धा पेंशन के भरोसे अपना गुजर-बसर करते हैं, लेकिन पिछले डेढ़ वर्षों से इनके खातों में पेंशन नहीं आ रही. असहाय और गरीब इन सभी को वृद्धा पेंशन नहीं मिली, तो उन्होंने समाज कल्याण विभाग में पता किया तो पता चला कि वो सभी कागजों में मृत हो चुके हैं. तब उनके होश उड़ गए.

जिलाधिकारी की चौखट पर पहुंचे सभी वृद्धजनों ने लिखित प्रार्थना पत्र के साथ-साथ एक हलफनामा भी जिलाधिकारी को सौंपा, जिसमें उन्होंने बताया कि उनके जिंदा होने के बावजूद भी पूर्व ग्राम विकास अधिकारी ने पेंशन सत्यापन के नाम पर 500 रुपये की रिश्वत न देने पर उन्हें मरा हुआ कागजों में दिखा दिया. जिस कारण उनकी पेंशन आना बंद हो गई और उनकी आर्थिक स्थिति पर बड़ा प्रभाव पड़ा है.

सभी को डेढ़ साल से उन्हें वृद्धा पेंशन नहीं मिल पा रही. दिए गए हलफनामे में उन लोगों ने आरोप लगाया कि पूर्व सचिव ने जान-बूझकर ऐसा कृत्य किया है, जिसका प्रभाव उनके जीवन पर पड़ा है. बुजुर्ग बताते हैं कि, सरकारी मशीनरी की इस लापरवाही से उन्हें कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ा. आरोप है कि पचपहरा ग्राम पंचायत के पूर्व सचिव की लापरवाही से इन बुजुर्गों को पेंशन मिलना बंद हो गई. अब सभी बुजुर्ग खुद को जिंदा साबित करने के लिए डीएम की चौखट पर तख्ती डालकर जिंदा होने की दुहाई दे रहे हैं और फिर से वृद्धा पेंशन शुरू किए जाने की गुहार लगा रहे हैं.
इस पूरे मामले को जिलाधिकारी मनोज कुमार (District Magistrate Manoj Kumar) ने गंभीरता से लेते हुए पूरे मामले की जांच सीडीओ को सौंपी है, ताकि यह साफ हो सके. इस मामले में कोई षड्यंत्र के तहत वृद्धजनों को कागजों में मृत तो नहीं दिखाया या फिर कोई तकनीकी कमी के कारण ऐसा हुआ है. फिलहाल डीएम ने पूरे मामले की जांच के बाद कार्रवाई करने की बात कही है.

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