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खनन माफिया हाजी इकबाल का भाई महमूद अली मुंबई से गिरफ्तार - Former MLC Mahmood Ali arrested

सहारनपुर पुलिस ने गैंगस्टर, दुष्कर्म, पॉस्को और धोखाधड़ी समेत कई मामलों में वांछित चल रहे बसपा के पूर्व MLC एवं खनन माफिया हाजी इकबाल के भाई महमूद अली को नवी मुंबई से गिरफ्तार कर लिया है.

महमूद अली.
महमूद अली.
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Published : Jul 17, 2022, 10:52 AM IST

सहारनपुर: पुलिस ने गैंगस्टर, दुष्कर्म, पॉस्को और धोखाधड़ी समेत कई मामलों में वांछित चल रहे बसपा के पूर्व MLC एवं खनन माफिया हाजी इकबाल के भाई पूर्व MLC महमूद अली को गिरफ्तार कर लिया है. महमूद अली की गिरफ्तारी नवी मंबई के नेरुल स्थित एक किराए के फ्लैट से हुई है. हालांकि खनन माफिया हाजी इकबाल अभी भी फरार है. MLC भाइयों एवं हाजी इकबाल के बेटों के खिलाफ कई थानों में अवैध खनन करने, धोखाधड़ी एवं धमकी देकर जमीन कब्जाने, जानलेवा हमला करने, सामूहिक दुष्कर्म समेत दर्जनों मुकदमे दर्ज हैं. लंबे समय से फरार चल रहे महमूद अली पर सहारनपुर पुलिस ने 25 हजार का इनाम घोषित किया था. हाजी इकबाल के तीन बेटे पहले ही गिरफ्तार किए जा चुके हैं. पूर्व MLC महमूद अली की गिरफ्तारी से जनपद में तरह-तरह की चर्चाएं हो रही हैं. जानकारी के मुताबिक गिरफ्तार हुए महमूद अली को रविवार की शाम तक सहारनपुर लाया जाएगा.

गौरतलब है कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश की हुकूमत खनन माफिया हाजी इकबाल के कोठी नंबर 4420 से हुआ करती थी. अकूत संपत्ति के चलते हाजी इकबाल तत्कालीन मुख्य मंत्री एवं बसपा सुप्रीमो मायावती का नजदीकी बन गया था. यही वजह है कि प्रशासनिक अधिकारियों समेत नेता-मंत्री उसके कोठी पर जी हुजूरी करते थे. कोठी नंबर 4420 से ही अवैध खनन के काले कारोबार को अंजाम दिया जाता था. मंत्रालय और सचिवालय में मजबूत पकड़ बनाने के लिए धन बल पर हाजी इकबाल 2010 में बसपा टिकट पर MLC बना था. यही नहीं जब 2016 में कार्यकाल पूरा हुआ तो अपने छोटे भाई महमूद अली को MLC बनवा दिया. यह कोठी अवैध तरीके बनाई गई थी जिसके चलते SDA ने कोठी को ध्वस्त कर दिया.

एक दौर रहा जब सहारनपुर जिले में ही नहीं समूचे उत्तर प्रदेश में खनन कारोबारी के रूप में हाजी इकबाल का एक छत्र राज हुआ करता था. जहां मन चाह वहां खुदाई कर दी. कोई अधिकारी हाजी इकबाल के खिलाफ कार्रवाई करना तो दूर रोकने की भी हिम्मत नहीं रखता था. अवैध खनन से हुई काली कमाई से हाजी इकबाल ने करोड़ों-अरबों रुपये की अकूत संपत्ति का बेताब बादशाह बन गया. आलम यह रहा कि सरकारी-गैरसरकारी जिस जगह पर इकबाल ने हाथ रख दिया. वह उसकी हो गई. हाजी इकबाल ने तत्कालीन मायावती सरकार के साथ मिलकर महज 300 करोड़ रुपये में 17 चीनी मिलों को खरीद लिया था. खास बात ये है हाजी इकबाल ने इन मिलों एवं अन्य अवैध संपत्तियों को अपने नौकरों और चहेतों के नाम करवाया हुआ था ताकि जांच पड़ताल में वह साफ-साफ बच सके.

बात यहीं खत्म नहीं होती हाजी इकबाल और MLC महमूद अली ने थाना मिर्जापुर इलाके में गरीब असहाय किसानों की जमीनों को जबरन कब्जाना शुरू कर दिया. किसानों को डरा धमका कर, उनके खिलाफ झूठे मुकदमे दर्ज करा कर उनकी जमीनों पर कब्जा कर लिया था. इतना ही नहीं धोखाधड़ी कर फर्जी तरीके से उनकी जमीन को अपने गुर्गों के नाम करा देता था. सैकड़ों किसानों की हजारों बीघा जमीन धोखाधड़ी कर ओने-पौने दामों में खरीद ली गई. ऐसे में अगर कोई किसान विरोध करता तो उनके साथ न सिर्फ मारपीट की जाती थी बल्कि जानलेवा हमले भी किए जाते थे. किसानों की कब्जाई जमीन पर ग्लोकल यूनिवर्सिटी खड़ी कर दी. जिसमें सैकड़ो बीघा जमीन सिंचाई विभाग की भी शामिल है। बावजूद इसके बसपा शासन में कोई कार्रवाई नहीं हुई.

2012 में सरकार बदली लेकिन इकबाल का रसूख कम नहीं हुआ. अवैध खनन और किसानों पर रोब ज्यों का त्यों जारी रहा. अखिलेश सरकार में पकड़ मजबूत रही तो 2016 में महमूद अली को MLC बनवा दिया. जिससे लखनऊ मुख्यालय में पकड़ जारी रही. 2017 में योगी सरकार आई तो पीड़ितों को न्याय की उम्मीद जगी, लेकिन इन 5 सालों में कोई न्याय नहीं मिला. 2022 में योगी सरकार पार्ट 2.0 आते ही इकबाल के काले कारनामों से पर्दा उठना शुरू हो गया. गैंगस्टर के मामलों में हाजी इकबाल के नौकरों के नाम की गई हजारों बीघा जमीन की कुर्की की गई. शहर की 3 अवैध कोठियों पर बुलडोजर चलाया गया. हाजी इकबाल के 3 बेटे और कई साथियों को विभिन्न धाराओं में गिरफ्तार किया गया. सरकार की सख्ती बढ़ी तो खनन हाजी इकबाल और MLC महमूद अली फरार हो गए. जबकि अदालत ने उनके विदेश जाने पर रोक लगा दी थी.

एसएसपी विनीत टाडा के मुताबिक एमएलसी भाइयों इकबाल बाला और महमूद अली के फरार होने के बाद महमूद अली पर 25 हजार का इनाम घोषित किया गया. पुलिस लगातार उनकी मॉनिटरिंग कर रही थी. हाजी इकबाल के परिजनों के मोबाइल एवं लैंडलाइन फोन सर्विलांस पर लगाए हुए थे. महमूद अली प्रतिदिन नंबर बदल कर परिजनों से बात कर रहा था. सर्विलांस के जरिये उसकी लोकेशन नवी मुंबई आ रही थी. जिसके चलते गुरुवार को एक टीम नवी मुंबई भेजी गई. ट्रेस किए गए नंबर से मिली लोकेशन के आधार पर नेरुल के एक फ्लैट में छापेमारी कर महमूद अली को गिरफ्तार कर लिया गया. जानकारी के मुताबिक महमूद अली किराए पर लेकर इस फ्लैट में रह रहा था. हालांकि हाजी इकबाल अभी भी फरार चल रहा है. उसकी गिरफ्तारी के प्रयास किए जा रहे हैं.

इसे भी पढे़ं- खनन माफिया हाजी इकबाल की संपत्ति पर चला बुलडोजर, 21 करोड़ से ज्यादा की संपत्ति कुर्क

सहारनपुर: पुलिस ने गैंगस्टर, दुष्कर्म, पॉस्को और धोखाधड़ी समेत कई मामलों में वांछित चल रहे बसपा के पूर्व MLC एवं खनन माफिया हाजी इकबाल के भाई पूर्व MLC महमूद अली को गिरफ्तार कर लिया है. महमूद अली की गिरफ्तारी नवी मंबई के नेरुल स्थित एक किराए के फ्लैट से हुई है. हालांकि खनन माफिया हाजी इकबाल अभी भी फरार है. MLC भाइयों एवं हाजी इकबाल के बेटों के खिलाफ कई थानों में अवैध खनन करने, धोखाधड़ी एवं धमकी देकर जमीन कब्जाने, जानलेवा हमला करने, सामूहिक दुष्कर्म समेत दर्जनों मुकदमे दर्ज हैं. लंबे समय से फरार चल रहे महमूद अली पर सहारनपुर पुलिस ने 25 हजार का इनाम घोषित किया था. हाजी इकबाल के तीन बेटे पहले ही गिरफ्तार किए जा चुके हैं. पूर्व MLC महमूद अली की गिरफ्तारी से जनपद में तरह-तरह की चर्चाएं हो रही हैं. जानकारी के मुताबिक गिरफ्तार हुए महमूद अली को रविवार की शाम तक सहारनपुर लाया जाएगा.

गौरतलब है कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश की हुकूमत खनन माफिया हाजी इकबाल के कोठी नंबर 4420 से हुआ करती थी. अकूत संपत्ति के चलते हाजी इकबाल तत्कालीन मुख्य मंत्री एवं बसपा सुप्रीमो मायावती का नजदीकी बन गया था. यही वजह है कि प्रशासनिक अधिकारियों समेत नेता-मंत्री उसके कोठी पर जी हुजूरी करते थे. कोठी नंबर 4420 से ही अवैध खनन के काले कारोबार को अंजाम दिया जाता था. मंत्रालय और सचिवालय में मजबूत पकड़ बनाने के लिए धन बल पर हाजी इकबाल 2010 में बसपा टिकट पर MLC बना था. यही नहीं जब 2016 में कार्यकाल पूरा हुआ तो अपने छोटे भाई महमूद अली को MLC बनवा दिया. यह कोठी अवैध तरीके बनाई गई थी जिसके चलते SDA ने कोठी को ध्वस्त कर दिया.

एक दौर रहा जब सहारनपुर जिले में ही नहीं समूचे उत्तर प्रदेश में खनन कारोबारी के रूप में हाजी इकबाल का एक छत्र राज हुआ करता था. जहां मन चाह वहां खुदाई कर दी. कोई अधिकारी हाजी इकबाल के खिलाफ कार्रवाई करना तो दूर रोकने की भी हिम्मत नहीं रखता था. अवैध खनन से हुई काली कमाई से हाजी इकबाल ने करोड़ों-अरबों रुपये की अकूत संपत्ति का बेताब बादशाह बन गया. आलम यह रहा कि सरकारी-गैरसरकारी जिस जगह पर इकबाल ने हाथ रख दिया. वह उसकी हो गई. हाजी इकबाल ने तत्कालीन मायावती सरकार के साथ मिलकर महज 300 करोड़ रुपये में 17 चीनी मिलों को खरीद लिया था. खास बात ये है हाजी इकबाल ने इन मिलों एवं अन्य अवैध संपत्तियों को अपने नौकरों और चहेतों के नाम करवाया हुआ था ताकि जांच पड़ताल में वह साफ-साफ बच सके.

बात यहीं खत्म नहीं होती हाजी इकबाल और MLC महमूद अली ने थाना मिर्जापुर इलाके में गरीब असहाय किसानों की जमीनों को जबरन कब्जाना शुरू कर दिया. किसानों को डरा धमका कर, उनके खिलाफ झूठे मुकदमे दर्ज करा कर उनकी जमीनों पर कब्जा कर लिया था. इतना ही नहीं धोखाधड़ी कर फर्जी तरीके से उनकी जमीन को अपने गुर्गों के नाम करा देता था. सैकड़ों किसानों की हजारों बीघा जमीन धोखाधड़ी कर ओने-पौने दामों में खरीद ली गई. ऐसे में अगर कोई किसान विरोध करता तो उनके साथ न सिर्फ मारपीट की जाती थी बल्कि जानलेवा हमले भी किए जाते थे. किसानों की कब्जाई जमीन पर ग्लोकल यूनिवर्सिटी खड़ी कर दी. जिसमें सैकड़ो बीघा जमीन सिंचाई विभाग की भी शामिल है। बावजूद इसके बसपा शासन में कोई कार्रवाई नहीं हुई.

2012 में सरकार बदली लेकिन इकबाल का रसूख कम नहीं हुआ. अवैध खनन और किसानों पर रोब ज्यों का त्यों जारी रहा. अखिलेश सरकार में पकड़ मजबूत रही तो 2016 में महमूद अली को MLC बनवा दिया. जिससे लखनऊ मुख्यालय में पकड़ जारी रही. 2017 में योगी सरकार आई तो पीड़ितों को न्याय की उम्मीद जगी, लेकिन इन 5 सालों में कोई न्याय नहीं मिला. 2022 में योगी सरकार पार्ट 2.0 आते ही इकबाल के काले कारनामों से पर्दा उठना शुरू हो गया. गैंगस्टर के मामलों में हाजी इकबाल के नौकरों के नाम की गई हजारों बीघा जमीन की कुर्की की गई. शहर की 3 अवैध कोठियों पर बुलडोजर चलाया गया. हाजी इकबाल के 3 बेटे और कई साथियों को विभिन्न धाराओं में गिरफ्तार किया गया. सरकार की सख्ती बढ़ी तो खनन हाजी इकबाल और MLC महमूद अली फरार हो गए. जबकि अदालत ने उनके विदेश जाने पर रोक लगा दी थी.

एसएसपी विनीत टाडा के मुताबिक एमएलसी भाइयों इकबाल बाला और महमूद अली के फरार होने के बाद महमूद अली पर 25 हजार का इनाम घोषित किया गया. पुलिस लगातार उनकी मॉनिटरिंग कर रही थी. हाजी इकबाल के परिजनों के मोबाइल एवं लैंडलाइन फोन सर्विलांस पर लगाए हुए थे. महमूद अली प्रतिदिन नंबर बदल कर परिजनों से बात कर रहा था. सर्विलांस के जरिये उसकी लोकेशन नवी मुंबई आ रही थी. जिसके चलते गुरुवार को एक टीम नवी मुंबई भेजी गई. ट्रेस किए गए नंबर से मिली लोकेशन के आधार पर नेरुल के एक फ्लैट में छापेमारी कर महमूद अली को गिरफ्तार कर लिया गया. जानकारी के मुताबिक महमूद अली किराए पर लेकर इस फ्लैट में रह रहा था. हालांकि हाजी इकबाल अभी भी फरार चल रहा है. उसकी गिरफ्तारी के प्रयास किए जा रहे हैं.

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