सागर। सागर के सर्राफा बाजार जिसे बड़ा बाजार के नाम से भी जाना जाता है, इसे बुंदेलखंड का वृंदावन कहा जाता है. यहां स्थित श्री देव अटल बिहारी जी मंदिर में शहर के लोगों की बड़ी आास्था है. बिहारी जी के मंदिर के नाम से प्रसिद्ध मंदिर के आयोजन शहर में सबसे ज्यादा प्रसिद्ध है, चाहे वह जन्माष्टमी हो, शरद पूर्णिमा हो या रंगपंचमी बिहारी जी के मंदिर में इन त्यौहारों को मनाने के लिए शहर और शहर के बाहर के लोग पहुंचते है. इसी तरह अधिमास या पुरूषोत्तम मास की मंदिर की अनोखी परम्परा है. यहां भगवान पुरूषोत्तम मास के द्वितीया के दिन नगर भ्रमण करने निकलते हैं और नगर भ्रमण के बाद अपने किसी एक भक्त के घर एक दिन बिताते हैं. जिस भी भक्त को बिहारी जी के आगमन और विश्रााम का मौका मिलता है, वो अपने आप को धन्य समझता है और उसके घर उत्सव सा माहौल होता है. घर में एक दिन के लिए विराजे बिहारी जी का तमाम विधि विधान से मंदिर की तरह पूजा अर्चना की जाती है और फिर दूसरे दिन बिहारी जी विदा लेकर अपने मंदिर वापस चले जाते हैं.
क्या है बिहारी जी मंदिर की अनोखी परम्परा: सागर के बड़ा बाजार स्थित श्री देव अटल बिहारी जी मंदिर के बिहारी जी सरकार की एक काफी पुरानी परम्परा है, जो अधिमास या पुरूषोत्तम मास से जुड़ी हुई है. इस परम्परा के अनुसार जिस वर्ष में अधिमास होता है, उस वर्ष में बिहारी जी के मंदिर में अधिमास में बिहारी जी से जुडे़ सभी पर्व और त्यौहार मनाए जाते हैं. इस परम्परा के तहत अधिमास में बिहारी जी मंदिर में जन्माष्टमी, राधाष्टमी, गोवर्धन पूजा और जगन्नाथ पूजा जैसे आयोजन किए जाते हैं. इसी कड़ी में बिहारी जी मंदिर में अधिमास की प्रथमा पर गोवर्धन पूजा का आयोजन किया गया. तो परम्परा अनुसार आषाढ़ शुक्ल की द्वितीया पर होने वाली जगन्नाथ रथयात्रा की तरह बिहारी जी अधिमास की द्वितीया पर नगर भ्रमण के लिए निकले. खास बात ये है कि नगर भ्रमण के बाद बिहारी जी अपने मंदिर वापस ना जाकर एक दिन के लिए किसी भक्त के घर पर विश्राम करते हैं और फिर दूसरे दिन अपने मंदिर के लिए भक्त के घर से विदा लेते हैं.
विवेकानंद वार्ड के समर्थ दीक्षित के घर पहुंचे बिहारी जी सरकार: पुरूषोत्तम या अधिमास में इस बार परम्परा अनुसार बड़ा बाजार के श्री देव अटल बिहारी जी मंदिर से रथ पर सवार होकर 19 जुलाई यानि द्वितीया के दिन नगर भ्रमण पर निकले. भ्रमण के दौरान देव अटल बिहारी सरकार ने परम्परा अनुसार नगर परिक्रमा की,नगर भ्रमण के दौरान बिहारी जी सरकार के भक्तों ने उनका जगह-जगह स्वागत किया. नगर भ्रमण के दौरान बिहारी जी सरकार को जगन्नाथ रथ यात्रा की तरह रथ में बिठाया जाता है, जिसे उनके भक्त लोग खींचते हैं. भक्त गण रथ के आगे भगवान के जयकारे करते हुए नाचते गाते चलते हैं. नगर भ्रमण के बाद भगवान अपने उस भक्त के घर पहुंचते हैं, जहां वो एक दिन विश्राम करते हैं. भगवान के आगमन के पहले भक्त के घर उनकी शानदार अगवानी की जाती है, फूलों से घर को सजाया जाता है, शानदार आतिशबाजी और फूलों से भगवान का स्वागत किया जाता है. इस वर्ष अधिमास में बिहारी जी सरकार अपने भक्त विवेकानंद वार्ड के समर्थ दीक्षित के घर पहुंचे, जहां उनका शानदार स्वागत किया गया.
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काफी पुरानी परम्परा है नगर भ्रमण और भक्त निवास की: स्थानीय लोग बताते हैं कि श्री देव अटल बिहारी जी की पुरूषोत्तम मास की परम्परा कई सालों पुरानी है. मंदिर करीब तीन सौ साल पुराना है, जो निंबार्क संप्रदाय से जुड़ा हुआ है. कहा जाता है कि बिहारी की प्रेरणा से नागा साधु दयाल दास महाराज ने तीन सौ साल पहले मंदिर की स्थापना की थी. तभी से पुरूषोत्तम मास की परम्परा की शुरूआत हुई. इस परम्परा के अनुसार जो भी भक्त पुरूषोत्तम मास में बिहारी जी सरकार का अपने घर आगमन चाहता है, वो बिहारी जी सरकार के चरणों में उनके आगमन की प्रार्थना करके श्रीफल अर्पित करता है और फिर बिहारी जी सरकार का आशार्वीद जिस भक्त को मिलता है, वहां भगवान एक दिन के विश्राम के लिए पहुंचते हैं. यहां एक दिन भगवान की उसी विधिविधान से पूजा अर्चना और भोग प्रसादी का कार्यक्रम होता है, जिस तरह मंदिर में किया जाता है.
जिसके यहां पहुंचे बिहारी जी, समझो वो धन्य हो गया: बिहारी जी सरकार के भक्तों में उनके आगमन के लिए होड़ लगी रहती है. जिस भक्त को उनके आगमन, विश्राम और सेवा का मौका मिलता है, वो भक्त अपने आप को धन्य समझता है. इस वर्ष वृंदावन वार्ड के समर्थ दीक्षित के घर बिहारी जी सरकार पहुंचे है, उनका पूरा घर अपने आप को धन्य समझ रहा है और बुधवार रात से बिहारी जी की सेवा में लगा हुआ है. रात से घर में भजन कीर्तन और पूजा अर्चना का कार्यक्रम चल रहा है. आज बिहारी जी सरकार रात्रि में विदा लेंगे और अपने मंदिर पहुंच जाएगे.