पटना: बिहार की बेटियां इन दिनों कमाल कर रही है. इसी कड़ी में छपरा की रहने वाली पर्वतारोही, साइकिल चालक व अल्ट्रा धावक सबिता महतो पिछले साल दुनिया की सबसे ऊंची सड़क उमलिंग ला पर साइकिल चलाकर पहुंची थी. लेकिन इस बार सबिता ने 5 सितंबर को दुनिया की सबसे ऊंची मोटर योग्य सड़क उमलिंग ला पर दौड़कर पहुंचने वाली दुनिया की पहली महिला बन गई हैं.
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दुनिया की सबसे ऊंची सड़क.. दौड़ कर पहुंची सबिता : बिहार की छपरा जिले की पानापुर की रहनेवाली साइकिलिस्ट सबिता महतो ने दुनिया की सबसे ऊंची सड़क पर दौड़ कर 570 किलोमीटर का सफर तय करने वाली दुनिया की पहली महिला बन गई है. यहां तक दौड़ कर पहुंचने के लिए सबिता महत्तो को 18 दिन लगे. सबिता के मुताबिक, 19 अगस्त को उन्होंने मनाली से अपनी दौड़ शुरू की और 5 सितंबर को दुनिया के सबसे ऊंची सड़क उमलिंग ला पर पहुंचकर इतिहास रच दिया.
570 किलोमीटर दौड़ रचा इतिहास: सबिता महतो ने ईटीवी भारत से खास बातचीत में बताया कि ''दुनिया की सबसे ऊंची मोटर योग्य सड़क उमलिंग ला को फतह करना चुनौती से कम नहीं था. मनाली से समुद्र तल से उमलिंगा ला (19024 फीट) तक 570 किलोमीटर दौड़ कर वो पहुंची हैं. मनाली से जैसे ही चढ़ाई शुरू होती है और 100 किलोमीटर के बाद लोगों को सांस लेने में तकलीफ होने लगती है. वैसी स्थिति में उनके लिए रनिंग करना बहुत चैलेंजिंग था. मौसम ने भी काफी परेशान किया, कभी धूप, कभी बारिश के कारण परेशानी हुई.''
"तमाम चीजों को दरकिनार कर मैं दुनिया की सबसे ऊंची मोटर योग्य सड़क उमलिंग ला पर पहुंची हूं. 18 दिन के इस दौर में प्रतिदिन मुझे नये चैलेंज के रूप में कुछ ना कुछ मिलता था. जिसको मैं एक्सेपट करके आगे बढ़ी. प्रतिदिन 8 घंटे तक दौड़ती थी और शाम होने के बाद ढाबे पर या आर्मी कैंट में रुकती थी."- सबिता महतो, पर्वतारोही
पिछली बार साइकल से पहुंची थी उमलींग ला : उन्होंने कहा कि उन्हें बहुत खुशी मिल रही है कि वो देश का पहली महिला रनर हैं जो दुनिया की सबसे ऊंची उमलींग ला पर दौड़कर पहुंची हैं. इस मिशन सुलभ इंटरनेशनल सोशल सर्विस आर्गेनाईजेशन का बहुत बड़ा योगदान है. अभी तक वो कई उपलब्धियां हासिल कर चुकी हैं. 5 जून 2022 को सबिता ने दुनिया की सबसे ऊंची सड़क को साइकिल से नापने के लिए दिल्ली से शुरुआत की थी. 28 जून को 5798 मीटर ऊंची उमलींग ला सड़क तक पहुंचकर इतिहास रचा था.
एवरेस्ट फतह करना चाहती है सबिता : सबिता का कहना है कि उनका सपना अभी पूरा नहीं हुआ है. उनका सपना सपना माउंट एवरेस्ट पर अपने देश का तिरंगा लहराने का है. जिसके लिए उन्हें मदद की जरूरत है. वो माउंट एवरेस्ट फतह नहीं कर पा रही हैं क्योंकि कि उन्हें सहयोग नहीं मिल रहा है. सरकार के साथ-साथ आम लोगों की अगर मदद मिले तो माउंट एवरेस्ट का सपना पूरा हो जाएगा.
महिलाओं को करना चाहती हैं जागरूक और सशक्त: सबिता बताते हैं कि वो एक निम्न वर्गीय परिवार से आती हैं इसलिए उनके सपनों में दिक्कत आती है. अब लोगों से और सरकार से मदद की आस है. उन्होंने यह भी कहा कि मेरा सपना सिर्फ पर्वतारोही साइकिलिस्ट या रनिंग के रूप में अपनी पहंचान बनाना नहीं है बल्कि वो उन तमाम देश की महिलाओं को जागरूक और सशक्त करने के उद्देश्य से आगे बढ़ रही हैं.
29 राज्यों को साइकल से किया कवर: सबिता साल 2017 में अकेले साइकिल से 173 दिनों में 29 राज्यों को कवर करने वाली पहली महिला थी. साल 2016 से लेकर 2019 तक 7000 मीटर से ऊपर की कई पहाड़ों पर चढ़ाई कर चुकी हैं. साल 2019 में माउंट त्रिशूल, गढ़वाल 7120 मीटर पर चढ़ाई कर चुकी है. साल 2022 में दुनिया की सबसे ऊंची (19300) उमलिंग ला का सफर साइकिल से तय कर चुकी है.