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कौन नहीं चाहता विकास हो, ऐसा करने से रोका किसने? : शिवसेना

शिवसेना ने 'जन आशीर्वाद यात्रा' को लेकर निशाना साधा है. शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना में इसे विपक्ष पर कीचड़ उछालने का जंगी समारोह बताया है. साथ ही कहा कि केंद्रीय मंत्री नारायण राणे ने यात्रा के आखिर में जो विकास की बात की, उसके लिए उन्हें रोकता कौन है. कौन नहीं चाहता कि विकास हो?

मुखपत्र सामना
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Published : Aug 31, 2021, 3:36 PM IST

मुंबई : शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना में भाजपा की जन आशीर्वाद यात्रा को लेकर निशाना साधा. सामना ने लिखा कि जन आशीर्वाद यात्रा मतलब विपक्ष पर कीचड़ उछालने का जंगी समारोह था. माहौल इसी के चलते खराब हो गया. यात्रा समारोह संपन्न हुआ और केंद्रीय मंत्री नारायण राणे दिल्ली रवाना हुए.

सामना ने लिखा कि जन आशीर्वाद यात्रा के पीछे मोदी सरकार की सोच थी कि सकारात्मक बोलो, सरकार क्या करती है, वह लोगों को बताओ, ऐसा प्रधानमंत्री का कहना था. लेकिन यात्रा भटक गई और हो-हल्ला मच गया.

केंद्रीय मंत्री नारायण राणे को लेकर निशाना साधते हुए सामना ने लिखा कि केंद्रीय मंत्री राणे ने जन आशीर्वाद यात्रा के आखिरी चरण में विकास की बात की जो उन्हें यात्रा की शुरुआत में कहनी चाहिए थी. महाराष्ट्र सहित देश की आर्थिक घड़ी कोरोना के चलते साफ बिखर गई है. लोगों के जीने पर प्रतिबंध कायम है. उसी तरह सेवा उद्योगों पर भी प्रतिबंध है. भारतीय जनता पार्टी की ओर से मंदिर खुलने के लिए आंदोलन शुरू है वो ठीक, लेकिन सबसे बड़ी चुनौती रोजगार निर्माण और उद्योग धंधा बनाए रखने की है. कोरोना और लॉकडाउन का झटका उद्योग के प्रत्येक क्षेत्र को लगा है.लोग विफलता और निराशा के गर्त में पड़ गए है. नए रूप से रोजगार शुरू हुए बिना ये संभव नहीं. केंद्र सरकार को रोजगार निर्माण पर जोर देना ही चाहिए और उसके लिए नए उद्योग निर्माण करने होंगे लेकिन केंद्र सरकार सरकारी उद्योगों को बेचकर सरकार चला रही है. छोटे व्यवसायों के साथ चीन की अर्थव्यवस्था फल-फूल रही है और उन छोटे व्यवसायों का आर्थिक कारोबार हजारों-करोड़ों में है.

'पूरा देश देखे ऐसा काम करो'

चीन जो माल भारत के बाजार में भेज रहा है वो देश के सूक्ष्म, लघु, मध्यम उद्योगों में आता है. आज हमें चीन से दीवाली के दीप, किताब, पुस्तक, रबर बैंड मिल रहा है. बाथरूम का ब्रास, फिटिंग्स, सड़क पर, लोकल ट्रेन में बेचे जानेवाले की-चेन, चश्मे का फ्रेम, गर्म-ठंडे पानी का थर्मस ये छोटे और मध्यम उद्योगों के उत्पाद हैं और ये सभी सामान चीन से ही हमारे पास आते हैं और इसका आर्थिक कारोबार बहुत बड़ा है. पिछले वर्ष भारत और चीन के बीच 87 अरब डॉलर का व्यापार हुआ. हमारे कुल आयात में चीन की हिस्सेदारी 67 फीसदी है. चीन को भारत के बाजार में कारोबार से आर्थिक मजबूती मिलती है और इनमें से कई उद्योग छोटे-मध्यम क्षेत्र में आते हैं. राणे इन उद्योगों को देश में स्थापित कर देश की अर्थव्यवस्था और रोजगार सृजन कर सकते हैं. राणे का कहना है कि वो राज्य के विकास के लिए केंद्रीय मंत्री पद का इस्तेमाल करेंगे. हम कहते हैं, संपूर्ण देश तुम्हारी तरफ आशा से देखे ऐसा काम करो.

सामना ने लिखा कि चमड़े का सामान, प्लास्टिक के खिलौने, पंखे, छाते, छोटे शिक्षा संस्थान उसी तरह ब्यूटी पार्लर, फोटोग्राफी लैब, गैरेज, एसटीडी बूथ, ड्राय क्लिनिंग कारोबार, खादी उत्पाद, छपाई का काम, फर्नीचर, लकड़ी के उत्पाद, पोल्ट्री फार्म, कॉल सेंटर, टेस्टिंग लैब, कांच के उत्पाद, टाइल्स निर्माण जैसे कई उद्योग छोटे-मध्यम-सूक्ष्म क्षेत्रों में आते हैं और उससे रोजगार पैदा होता है. इसलिए राज्य और देश का आर्थिक विकास में योगदान देनेवाले इस मंत्रालय के माध्यम से केंद्रीय मंत्री विकास का सपना देख रहे हैं तो वो ये कौन नहीं चाहता? केंद्रीय मंत्री राणे ने जन आशीर्वाद यात्रा के आखिरी चरण में कहा था कि 'मेरे मंत्रालय के माध्यम से महाराष्ट्र के उद्योग क्षेत्र के अच्छे दिन आने के लिए मैं हर संभव प्रयास करूंगा.' सामना ने लिखा कि ऐसा उन्हें यात्रा की शुरुआत में कहना चाहिए था उसे उन्होंने सबसे अंत में कहा! कोकण में उनके चलते हड़कंप मचा व मामला समाप्त हो गया और मोदी को जो उम्मीद थी उसकी धूल आखिरकार उड़ गई. पहले तो केवल शब्दों का कीचड़ ही उड़ता रहा और उसमें सभी सकारात्मक पहलू धरे रह गए. महाराष्ट्र एक ऐसा राज्य है जो विकास से परे राजनीतिक मतभेदों से परे दिखता है. कोरोना से बिखरे आर्थिक संकट से महाराष्ट्र भी उबर रहा है.

पढ़ें- महाराष्ट्र के गौरव का अपमान करने वालों के साथ है क्या भाजपा?, संजय राउत ने पूछा

सामना ने लिखा कि केंद्र में महाराष्ट्र का जो भी मंत्री होगा उसका महाराष्ट्र के हित की ओर देखना कर्तव्य है. राणे ने जन आशीर्वाद यात्रा के अंतिम दिन एक सकारात्मक भूमिका ली. इसलिए ‘सामना’ ने सकारात्मक कार्यों को समर्थन दिया. महाराष्ट्र खा-पीकर सुखी है. ठाकरे का नेतृत्व मजबूत है. अजीत पवार भी वित्त मंत्री के रूप में ज्ञानी हैं. अज्ञान का अंधकार महाराष्ट्र पर कभी भी पसरा नहीं था, फिर भी केंद्रीय मंत्री राणे राज्य के अच्छे दिन लाने के लिए कहते हैं, उनके मुंह में शक्कर!

पढ़ें- केंद्रीय मंत्री नारायण राणे गिरफ्तार, सीएम ठाकरे पर आपत्तिजनक टिप्पणी का मामला

मुंबई : शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना में भाजपा की जन आशीर्वाद यात्रा को लेकर निशाना साधा. सामना ने लिखा कि जन आशीर्वाद यात्रा मतलब विपक्ष पर कीचड़ उछालने का जंगी समारोह था. माहौल इसी के चलते खराब हो गया. यात्रा समारोह संपन्न हुआ और केंद्रीय मंत्री नारायण राणे दिल्ली रवाना हुए.

सामना ने लिखा कि जन आशीर्वाद यात्रा के पीछे मोदी सरकार की सोच थी कि सकारात्मक बोलो, सरकार क्या करती है, वह लोगों को बताओ, ऐसा प्रधानमंत्री का कहना था. लेकिन यात्रा भटक गई और हो-हल्ला मच गया.

केंद्रीय मंत्री नारायण राणे को लेकर निशाना साधते हुए सामना ने लिखा कि केंद्रीय मंत्री राणे ने जन आशीर्वाद यात्रा के आखिरी चरण में विकास की बात की जो उन्हें यात्रा की शुरुआत में कहनी चाहिए थी. महाराष्ट्र सहित देश की आर्थिक घड़ी कोरोना के चलते साफ बिखर गई है. लोगों के जीने पर प्रतिबंध कायम है. उसी तरह सेवा उद्योगों पर भी प्रतिबंध है. भारतीय जनता पार्टी की ओर से मंदिर खुलने के लिए आंदोलन शुरू है वो ठीक, लेकिन सबसे बड़ी चुनौती रोजगार निर्माण और उद्योग धंधा बनाए रखने की है. कोरोना और लॉकडाउन का झटका उद्योग के प्रत्येक क्षेत्र को लगा है.लोग विफलता और निराशा के गर्त में पड़ गए है. नए रूप से रोजगार शुरू हुए बिना ये संभव नहीं. केंद्र सरकार को रोजगार निर्माण पर जोर देना ही चाहिए और उसके लिए नए उद्योग निर्माण करने होंगे लेकिन केंद्र सरकार सरकारी उद्योगों को बेचकर सरकार चला रही है. छोटे व्यवसायों के साथ चीन की अर्थव्यवस्था फल-फूल रही है और उन छोटे व्यवसायों का आर्थिक कारोबार हजारों-करोड़ों में है.

'पूरा देश देखे ऐसा काम करो'

चीन जो माल भारत के बाजार में भेज रहा है वो देश के सूक्ष्म, लघु, मध्यम उद्योगों में आता है. आज हमें चीन से दीवाली के दीप, किताब, पुस्तक, रबर बैंड मिल रहा है. बाथरूम का ब्रास, फिटिंग्स, सड़क पर, लोकल ट्रेन में बेचे जानेवाले की-चेन, चश्मे का फ्रेम, गर्म-ठंडे पानी का थर्मस ये छोटे और मध्यम उद्योगों के उत्पाद हैं और ये सभी सामान चीन से ही हमारे पास आते हैं और इसका आर्थिक कारोबार बहुत बड़ा है. पिछले वर्ष भारत और चीन के बीच 87 अरब डॉलर का व्यापार हुआ. हमारे कुल आयात में चीन की हिस्सेदारी 67 फीसदी है. चीन को भारत के बाजार में कारोबार से आर्थिक मजबूती मिलती है और इनमें से कई उद्योग छोटे-मध्यम क्षेत्र में आते हैं. राणे इन उद्योगों को देश में स्थापित कर देश की अर्थव्यवस्था और रोजगार सृजन कर सकते हैं. राणे का कहना है कि वो राज्य के विकास के लिए केंद्रीय मंत्री पद का इस्तेमाल करेंगे. हम कहते हैं, संपूर्ण देश तुम्हारी तरफ आशा से देखे ऐसा काम करो.

सामना ने लिखा कि चमड़े का सामान, प्लास्टिक के खिलौने, पंखे, छाते, छोटे शिक्षा संस्थान उसी तरह ब्यूटी पार्लर, फोटोग्राफी लैब, गैरेज, एसटीडी बूथ, ड्राय क्लिनिंग कारोबार, खादी उत्पाद, छपाई का काम, फर्नीचर, लकड़ी के उत्पाद, पोल्ट्री फार्म, कॉल सेंटर, टेस्टिंग लैब, कांच के उत्पाद, टाइल्स निर्माण जैसे कई उद्योग छोटे-मध्यम-सूक्ष्म क्षेत्रों में आते हैं और उससे रोजगार पैदा होता है. इसलिए राज्य और देश का आर्थिक विकास में योगदान देनेवाले इस मंत्रालय के माध्यम से केंद्रीय मंत्री विकास का सपना देख रहे हैं तो वो ये कौन नहीं चाहता? केंद्रीय मंत्री राणे ने जन आशीर्वाद यात्रा के आखिरी चरण में कहा था कि 'मेरे मंत्रालय के माध्यम से महाराष्ट्र के उद्योग क्षेत्र के अच्छे दिन आने के लिए मैं हर संभव प्रयास करूंगा.' सामना ने लिखा कि ऐसा उन्हें यात्रा की शुरुआत में कहना चाहिए था उसे उन्होंने सबसे अंत में कहा! कोकण में उनके चलते हड़कंप मचा व मामला समाप्त हो गया और मोदी को जो उम्मीद थी उसकी धूल आखिरकार उड़ गई. पहले तो केवल शब्दों का कीचड़ ही उड़ता रहा और उसमें सभी सकारात्मक पहलू धरे रह गए. महाराष्ट्र एक ऐसा राज्य है जो विकास से परे राजनीतिक मतभेदों से परे दिखता है. कोरोना से बिखरे आर्थिक संकट से महाराष्ट्र भी उबर रहा है.

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सामना ने लिखा कि केंद्र में महाराष्ट्र का जो भी मंत्री होगा उसका महाराष्ट्र के हित की ओर देखना कर्तव्य है. राणे ने जन आशीर्वाद यात्रा के अंतिम दिन एक सकारात्मक भूमिका ली. इसलिए ‘सामना’ ने सकारात्मक कार्यों को समर्थन दिया. महाराष्ट्र खा-पीकर सुखी है. ठाकरे का नेतृत्व मजबूत है. अजीत पवार भी वित्त मंत्री के रूप में ज्ञानी हैं. अज्ञान का अंधकार महाराष्ट्र पर कभी भी पसरा नहीं था, फिर भी केंद्रीय मंत्री राणे राज्य के अच्छे दिन लाने के लिए कहते हैं, उनके मुंह में शक्कर!

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