काठमांडू/नई दिल्ली : विदेश मंत्री एस जयशंकर की दो दिन की यात्रा के दौरान भारत और नेपाल ने गुरुवार को एक दीर्घकालिक समझौते पर हस्ताक्षर किए. समझौते के तहत अगले 10 वर्षों में भारत को 10,000 मेगावाट बिजली के निर्यात की सुविधा मिलेगी. जयशंकर और नेपाल के ऊर्जा, जल संसाधन एवं सिंचाई मंत्री शक्ति बहादुर बस्नेत की उपस्थिति में यहां एक द्विपक्षीय बैठक के दौरान बिजली निर्यात पर समझौते पर हस्ताक्षर किए गए.
नेपाल के ऊर्जा सचिव गोपाल सिगडेल और उनके भारतीय समकक्ष पंकज अग्रवाल ने द्विपक्षीय समझौते पर हस्ताक्षर किए. इससे अगले 10 साल में नेपाल से भारत में 10,000 मेगावाट बिजली के निर्यात की सुविधा मिलेगी.
इसके अलावा भारत ने विदेश मंत्री स्तर पर नेपाल-भारत संयुक्त आयोग की सातवीं बैठक के दौरान नेपाल के पुनर्निर्माण को लिए 1,000 करोड़ रुपये (नेपाली रुपया) अनुदान की घोषणा की है. इससे पहले, हिमालयी राष्ट्र में 2015 में आए विनाशकारी भूकंप के बाद, भारत ने नेपाल के पुनर्निर्माण के लिए 1 बिलियन डॉलर के अनुदान और ऋण की घोषणा की थी.
एक अधिकारी ने बताया कि 1,000 करोड़ रुपये की घोषित सहायता नई है। इस समझौते पर भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर की काठमांडू यात्रा के दौरान हस्ताक्षर किए गए.
प्रधानमंत्री पुष्पकमल दहल प्रचंड की भारत यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच बिजली निर्यात पर सहमति बनी थी. प्रचंड पिछले साल 31 मई से तीन जून तक भारत यात्रा पर आए थे. उस समय दोनों पक्षों ने कई प्रमुख समझौतों पर हस्ताक्षर किए थे, जिनमें पड़ोसी देश से नई दिल्ली के बिजली आयात को अगले 10 वर्षों में मौजूदा 450 मेगावाट से बढ़ाकर 10,000 मेगावाट करने का समझौता भी शामिल था. जयशंकर ने काठमांडू राष्ट्रपति रामचन्द्र पौडेल और प्रधानमंत्री प्रचंड से उनके संबंधित कार्यालयों में मुलाकात की थी.
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने नेपाल के राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल और प्रधानमंत्री पुष्प कमल दाहाल ‘प्रचंड’ से मुलाकात की तथा इस दौरान दोनों पक्षों ने सदियों पुराने, विशिष्ट तथा बहुआयामी नेपाल-भारत संबंधों पर व्यापक रूप से विचारों का आदान-प्रदान किया. इस साल अपनी पहली विदेश यात्रा के तहत सुबह नेपाल पहुंचे जयशंकर ने प्रधानमंत्री प्रचंड से उनके कार्यालय सिंहदरबार में मुलाकात की और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ओर से उन्हें शुभकामना प्रेषित की.
बैठक के बाद जयशंकर ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘प्रधानमंत्री प्रचंड से मुलाकात की. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की हार्दिक शुभकामनाएं प्रेषित कीं. जून 2023 में हुई उनकी सफल भारत यात्रा का स्मरण किया जिसने हमारे संबंधों को नई गति प्रदान की है.’’ उन्होंने कहा, ‘‘भारत-नेपाल संबंध वास्तव में विशिष्ट हैं और हमारी साझेदारी क्रमिक रूप से सफलता की ओर बढ़ रही है.’’
प्रचंड ने कहा कि आज की बैठक में दोनों नेताओं ने सदियों पुराने, विशिष्ट और बहुआयामी नेपाल-भारत संबंधों पर व्यापक रूप से विचारों का आदान-प्रदान किया. इससे पहले जयशंकर ने यहां राष्ट्रपति कार्यालय शीतल निवास में राष्ट्रपति पौडेल से शिष्टाचार भेंट की. विदेश मंत्री ने ‘एक्स’ पर एक अन्य पोस्ट में कहा, ‘‘नेपाल के राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल से मुलाकात कर सम्मानित महसूस कर रहा हूं. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की ओर से उन्हें शुभकामनाएं प्रेषित कीं. भारत-नेपाल संबंधों की मजबूती और विस्तार के लिए उनके मार्गदर्शन तथा भावनाओं को महत्व देता हूं.’’
राष्ट्रपति कार्यालय के एक सूत्र ने कहा, ‘‘राष्ट्रपति पौडेल ने नेपाल और भारत के बीच संपर्क, जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने तथा जलविद्युत के क्षेत्रों में साझेदारी व सहयोग की जरूरत पर जोर दिया.’’ नेपाल के विदेश मंत्री एनपी सउद ने यहां त्रिभुवन अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर जयशंकर का गर्मजोशी से स्वागत किया. इस मौके पर अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे.
जयशंकर ने आज सुबह काठमांडू पहुंचने के बाद 'एक्स' पर पोस्ट किया, ''2024 के अपने पहले दौरे के लिए फिर से नेपाल आकर खुश हूं। अगले दो दिन में होने वाले कार्यक्रमों में शामिल होने के लिए उत्सुक हूं.'' भारत-नेपाल संयुक्त आयोग का गठन 1987 में हुआ था और यह दोनों पक्षों को द्विपक्षीय साझेदारी के सभी पहलुओं की समीक्षा करने के लिए मंच प्रदान करता है.
विदेश मंत्री ने नयी दिल्ली में कहा, ''नेपाल, भारत की 'पड़ोस प्रथम' नीति के तहत उसका महत्वपूर्ण साझेदार है. यह दौरा दो करीबी और मैत्रीपूर्ण पड़ोसियों के बीच उच्च स्तरीय आदान-प्रदान की परंपरा को ध्यान में रखते हुए है.'' क्षेत्र में भारत के समग्र रणनीतिक हितों के संदर्भ में उसके लिए नेपाल एक महत्वपूर्ण देश है और दोनों देशों के नेताओं ने सदियों पुराने ‘रोटी-बेटी’ के संबंध का अक्सर उल्लेख किया है.
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