अमगुरी (असम): असम के शिवसागर जिले के दिखोवमुख में दिघल दरियाली गांव को बाहरी दुनिया के अधिकांश लोग आज भी नहीं जानते हैं. लेकिन एक रूसी नागरिक वैसिली (Vaisili) ने अपने मूल देश से अलग इसे अपना घर मान लिया है. इतना ही नहीं दुनिया भर में विभिन्न स्थलों की खोज करने का एक अनोखा तरीका अपनाने वाले इस व्यक्ति ने असम के छोटे से गांव को चुना है. उनका अगला मिशन सादिया से धुबरी तक ब्रह्मपुत्र नदी में अपनी नाव बनाकर नौकायन कर नदी के बारे में पता करना है.
रूसी नागरिक वैसिली एक खोजकर्ता हैं, जिन्होंने कई देशों की यात्रा की है, लेकिन उनकी यात्रा को अधिक विशेष बनाती है उनके द्वारा हस्तनिर्मित नाव, जिसके जरिये वह नदियों के माध्यम से वह उन देशों की यात्रा करते हैं. इस बार उनका उद्देश्य पूर्वोत्तर भारत की प्रमुख ब्रह्मपुत्र नदी के बारे में जानकारी एकत्र करना है. साथ ही उनका मकसद दो महानतम वैष्णव संत श्रीमनाता शंकरदेव और श्रीश्री माधवदेव की वैष्णव रचना को बढ़ावा देना भी है. इतना ही नहीं असमिया परंपरा और संस्कृति की प्रशंसा करने वाली वैसिली महान संतों की साहित्यिक कृतियों का रूसी भाषा में अनुवाद भी करना चाहते हैं. वैसिली का कहना है कि जब वह अपनी यात्रा पर निकल रहे हैं, तो उनकी इच्छा नदी के किनारे रहने वाले लोगों के जीवन का अध्ययन करना और शांति का संदेश फैलाना है.
उन्होंने कहा कि वह असम के गांवों के पर्यावरण और आतिथ्य से आश्चर्यचकित हैं. वैसिली ने बताया कि वह जब एक महीने पहले भारत आए थे तो उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि शिवसागर जिले के पश्चिमी छोर पर दिखोवमुख का दिघल-दरियाली गांव उनका घर बन जाएगा. लेकिन चीजें तब बदल गईं जब दुनिया के विभिन्न देशों में अपनी हाथ से बनी नावों के जरिए यात्रा करने और नदी किनारे के इलाकों के लोगों के जीवन के तरीके का जायजा लेने वाले वैसिली की मुलाकात गोवा में शिवसागर के एक व्यापारी से हुई. हर्ष नामक एक व्यक्ति से इसके बारे में जानने के बाद वैसिली ब्रह्मपुत्र और इसकी विशालता से मंत्रमुग्ध होकर वह शिवसागर के दिखोवमुख पहुंचे. फिलहाल इन दिनों रूसी नागरिक वैसिली दिघल दरियाली गांव में नाव बनाने में व्यस्त हैं और थेराराताल क्षेत्र में एक स्थानीय परिवार के यहां आश्रय ले रखा है.
वैसिली ने कहा कि उनकी नाव 20 अक्टूबर तक बनकर तैयार हो जाएगी, जिसके बाद वह दो इंडोनेशिया के लोगों के साथ ब्रह्मपुत्र (असम में नदी का प्रवेश बिंदु) के जरिये दिखोवमुख से सादिया तक की यात्रा करेंगे. वहां से वह नदी के रास्ते धुबरी (निकास बिंदु) तक जाएंगे और फिर इसी नदी के जरिये बांग्लादेश में प्रवेश करेंगे. उन्होंने आने वाले दिनों में कन्याकुमारी में अपने कार्यक्रम का समापन करने की बात कही. असम के एक छोटे से कम चर्चित गांव को अपना दूसरा घर बनाने वाले रूसी नागरिक वैसिली की इच्छा है कि अपनी यात्रा के दौरान वह राज्य, इसकी समृद्ध संस्कृति, परंपरा के बारे में बहुत सारी जानकारी हासिल करेंगे और उन्हें सीमाओं से परे ले जाएंगे.
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