नई दिल्ली : रूस और यूक्रेन के बीच चल रही जंग की वजह से रूसी अर्थव्यवस्था सबसे ज्यादा प्रभावित होगी, क्योंकि समृद्ध पश्चिमी देशों द्वारा लगाए गए आर्थिक प्रतिबंध रूसी व्यवसायों और उद्योग को विशेष रूप से प्रभावित करेंगे. हालांकि, कई अन्य प्रमुख यूरोपीय अर्थव्यवस्थाएं भी रूस-यूक्रेन युद्ध के प्रतिकूल आर्थिक प्रभाव से अछूती नहीं रहेंगी क्योंकि ये प्रतिबंध दोनों तरीकों से कटौती करेंगे.
वहीं कई यूरोपीय देशों के रूस के साथ गहरे आर्थिक और ऊर्जा संबंध होने की वजह से वो भी आने वाले दिनों को लेकर बहुत दबाव में होंगे. रूसी राष्ट्रपति द्वारा एक टेलीविज़न संबोधन में यूक्रेन में एक विशेष सैन्य अभियान की घोषणा के बाद, अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडेन ने कहा कि अमेरिका रूस के खिलाफ कठोर प्रतिबंधों के साथ आगे बढ़ेगा. वहीं यूरोपीय संघ पहले ही घोषणा कर चुका है कि वह रूसी सरकार को यूरोपीय बाजारों में वित्त जुटाने से प्रतिबंधित करेगा. इसके अलावा रूस की मुद्रा संप्रभु ऋण जारी करने की क्षमता को सीमित कर देगा.
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यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन के अनुसार, प्रतिबंध रूस के रणनीतिक क्षेत्रों को लक्षित करेंगे और रूस की अपनी अर्थव्यवस्था को आधुनिक बनाने की क्षमता को प्रभावित करेंगे. इसके अलावा, यूरोपीय संघ रूस की राज्य संपत्ति को अवरुद्ध करने और यूरोपीय वित्तीय बाजारों से रूसी बैंकों को प्रतिबंधित कर सकते हैं. विशेषज्ञों का मानना है कि रूस का राजकीय कर्ज के अब डाउनग्रेड होने का खतरा है.
बैंकिंग सेक्टर का क्या होगा?
रूस और यूक्रेन की लड़ाई के बीच अमेरिका (US) और यूरोपीय देश (European countries) लगातार रूस पर प्रतिबंध (Sanctions on Russia) लगा रहे हैं. इन देशों ने रूस पर कुछ अन्य बड़े प्रतिबंध लगाए जाने की घोषणा की है. इनमें रूस के प्रमुख बैंक भी भुगतान प्रणाली स्विफ्ट (Swift) से संचालित किए जाते हैं. हालांकि ऑक्सफोर्ड इकोनॉमिक्स के अर्थशास्त्री रूसी बैंकों को स्विफ्ट से अवरुद्ध होने की उम्मीद नहीं करते है. वहीं अमेरिकी बैंकों के द्वारा रूसी बैंकों के साथ अमेरिकी डॉलर के लेनदेन को निष्पादित करने से प्रतिबंधित करना और रूस के उद्योगों के विकास को पंगु बनाने के उद्देश्य से उपाय में शामिल हो सकता है.
ऊर्जा आपूर्ति पर प्रभाव
यूरोपीय संघ की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था जर्मन ने पहले ही घोषणा कर दी है कि वह यूक्रेन पर हमला करने के लिए देश को वित्तीय दंड देने के लिए रूस की नॉर्ड स्ट्रीम 2 गैस पाइपलाइन के प्रमाणन को रोक देगा. वहीं रूसी अधिकारियों का मानना है कि यूरोपीय संघ के देशों को रूसी गैस की आवश्यकता है. इस बारे में ऑक्सफोर्ड इकोनॉमिक्स में ग्लोबल चीफ इकोनॉमिस्ट इनेस मैकफी का कहना है कि गैस की सप्लाई जारी है लेकिन यूरोपीय संघ के प्रतिबंधों के जवाब में रूस का गैस आपूर्ति में व्यवधान जोखिम भरा हो सकता है.
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रूसी जीडीपी में 1 फीसद से अधिक की गिरावट
थिंक टैंक के प्रमुख अर्थशास्त्री तातियाना ओरलोवा के साथ बनाई गई एक संयुक्त रिपोर्ट में मैकफी ने लिखा है कि सभी प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में, रूस पर लगाए गए प्रतिबंध का सबसे अधिक प्रभाव पड़ेगा. वहीं अर्थशास्त्रियों ने रिपोर्ट में कहा, हम 2023 तक रूसी जीडीपी वृद्धि के लिए अपनी आधार रेखा को 1.2% कम करने का इरादा रखते हैं.
शेयर बाजारों पर प्रभाव
यूक्रेन पर रूस के हमले ने भारत समेत वैश्विक शेयर बाजारों को भी झकझोर दिया, लेकिन इसका सबसे बुरा असर रूसी शेयर बाजार पर देखा जा सकता है.
हमले की शुरुआत के दिन, रूसी बाजार सुबह के कारोबार में गिर गए. वहीं रूसी सूचकांक 2000 से नीचे गिर गया, जबकि यह इस महीने की शुरुआत में 3,500 के आसपास कारोबार कर रहा था. रिपोर्ट के मुताबिक जब अमेरिका और यूरोपीय संघ रूस की कार्रवाइयों पर अपनी प्रतिक्रिया की घोषणा करेंगे तब बाजार में और भी ज्यादा अस्थिरता आ सकती है.