नई दिल्ली: रूस-यूक्रेन युद्ध (Russia Ukraine war) बुधवार को चौदहवें दिन में प्रवेश कर गया, जिसका कच्चे तेल की कीमतों में तेज वृद्धि के कारण चालू वित्त वर्ष और अगले वित्तीय वर्ष के लिए केंद्र सरकार के सब्सिडी बिल पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है. इसकी वजह से उर्वरक और यूरिया भी अछूते नहीं रहेंगे. वहीं चालू वित्त वर्ष के पहले 10 महीनों में केंद्र का सब्सिडी बिल पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि के सब्सिडी बिल की तुलना में पहले ही 30 फीसद बढ़ चुका है.
सब्सिडी बिल में साल दर साल 30 फीसद की बढ़ोतरी
नवीनतम आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, चार प्रमुख सब्सिडी, खाद्य, यूरिया, उर्वरक और पेट्रोलियम सब्सिडी के कारण केंद्र का सब्सिडी बिल इस वित्त वर्ष के पहले दस महीनों में सब्सिडी बिल की तुलना में 3.27 लाख करोड़ रुपये से अधिक हो गया है. वहीं पिछले वित्त वर्ष की इसी अवधि के दौरान लगभग 2.53 लाख करोड़ रुपये, 75,000 करोड़ रुपये या लगभग 30 फीसद से अधिक का इजाफा हुआ है. वहीं चालू वित्त वर्ष में वित्त मंत्री ने अनुमान लगाया है कि केंद्र का सब्सिडी बिल 4.33 लाख करोड़ रुपये से अधिक होगा.
वहीं वित्त वर्ष 2021-22 के पहले दस महीनों में, 2.09 लाख करोड़ रुपये से अधिक के साथ खाद्य सब्सिडी का सबसे बड़ा हिस्सा था. इसके बाद पोषक तत्व आधारित उर्वरक सब्सिडी (43,671 करोड़ रुपये), यूरिया सब्सिडी (72,749 करोड़ रुपये) और पेट्रोलियम सब्सिडी 1,408 करोड़ रुपये थी. वहीं वित्त मंत्री सीतारमण ने पेट्रोलियम सब्सिडी बिल लगभग 6,513 करोड़ रुपये का अनुमान लगाया क्योंकि पेट्रोल और डीजल की कीमतें तकनीकी रूप से अनियमित हैं और तेल विपणन कंपनियां अंतरराष्ट्रीय बाजार में बाजार की स्थितियों के अनुसार कीमतों में संशोधन करने के लिए स्वतंत्र हैं.
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बजट में कच्चे तेल की कीमत 75-80 डॉलर प्रति बैरल रहने का अनुमान
हालांकि, अगले वर्ष का बजट इस धारणा पर आधारित है कि कच्चे तेल की कीमत अगले वित्तीय वर्ष (अप्रैल-मार्च 2023 की अवधि) के लिए 75-80 डॉलर प्रति बैरल के दायरे में होगी.वहीं सरकार के अनुमान के विपरीत, ब्रेंट क्रूड की कीमत पहले ही मंगलवार को 130 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच चुकी हैं और निकट भविष्य में 150 डॉलर प्रति बैरल इसके पहुंच जाने की संभावना है. यदि देखा जाए तो बजट गणना में प्रयोग किए गए अनुमानों से ये कीमत लगभग दोगुनी है.दूसरी तरफ रूसी अधिकारियों ने इस स्थिति की भी चेतावनी दी है कि रूस पर पश्चिमी देशों द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों के परिणामस्वरूप कच्चे तेल की कीमतें 300 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच सकती हैं.
भोजन, उर्वरक और यूरिया सब्सिडी पर प्रभाव
कुछ अर्थशास्त्रियों के अनुसार, रूस-यूक्रेन युद्ध के परिणामस्वरूप सब्सिडी आवंटन में वृद्धि होगी क्योंकि नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, और पोटेशियम (एनपीके) उर्वरकों और तेल की कीमतों से उर्वरकों और एलपीजी के लिए केंद्र के सब्सिडी आवंटन पर दबाव पड़ने की संभावना है. हालांकि इस साल फरवरी में, सीतारमण ने चालू वित्त वर्ष के लिए कुल सब्सिडी खर्च 4.33 लाख करोड़ रुपये से अधिक होने का अनुमान लगाया था जिसमें पेट्रोलियम सब्सिडी लगभग 6,500 करोड़ रुपये होने की संभावना थी. हालांकि, पिछले महीने के अंत में युद्ध की शुरू होने के बाद से केवल दो सप्ताह में ही स्थिति में काफी बदलाव आया है.
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वहीं उत्तर प्रदेश, पंजाब, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर के पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव खत्म होने के साथ अनुमान लगाया गया है कि राज्य के स्वामित्व वाली तेल विपणन कंपनियां (OMCs) कभी भी पेट्रोल और डीजल के खुदरा मूल्य में संशोधन कर सकती हैं. हालांकि यह अभी तक स्पष्ट नहीं है कि केंद्र उपभोक्ताओं पर पूरा बोझ डालेगा या इसका एक हिस्सा केंद्र और राज्य द्वारा संबंधित शुल्क और करों में कटौती करके साझा किया जाएगा. अगर सरकार पेट्रोलियम और उर्वरक सब्सिडी बढ़ाने से परहेज करने का फैसला करती है तो इससे तेल और उर्वरक कंपनियों की बैलेंस शीट प्रभावित होगी, जिससे उनकी क्रेडिट रेटिंग प्रभावित होगी.