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यूक्रेन हमले का रूस में भी विरोध, क्रेमलिन छोड़कर जा रहे हैं पुतिन के भरोसेमंद

रूस में ही यूक्रेन पर हमले का खामोश विरोध शुरू हो गया है. कई बड़ी हस्तियों ने यूक्रेन पर आक्रमण की निंदा की है. इसके विरोध में कई बड़े अधिकारियों ने सरकार की ओर से संचालित और कंपनियों से इस्तीफा देकर विदाई ले ली है. हालांकि अभी तक इस बात के कोई संकेत नहीं मिले हैं कि अनातोली चुबैस के अलावा पुतिन के करीबियों में से किसी ने इस्तीफा दिया है.

Some prominent Russians quit jobs
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Published : Mar 26, 2022, 5:31 PM IST

न्यूयार्क : तीस साल तक अंतराराष्ट्रीय मंचों पर रूस का प्रतिनिधित्व करने वाले अनातोली चुबैस के इस्तीफे ने सरकार में खलबली मचा दी है. माना जा रहा है यूक्रेन पर हमले के विरोध में कई अधिकारी विभिन्न पदों से इस्तीफा दे चुके हैं. अनातोली चुबैस का कद पुतिन के कार्यकाल से पहले ही सरकार में काफी बड़ा था. वह कई अंतरराष्ट्रीय संगठनों के लिए राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के दूत भी रहे. मगर यूक्रेन पर हमले के बाद उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया. माना जा रहा है कि यूक्रेन को लेकर वह पुतिन के नजरिये से सहमत नहीं थे. बता दें कि रूस के राष्ट्रपति पुतिन ने विरोध करने वालों को देशद्रोही बताया है. उनका कहना है कि ऐसे लोगों को रूसी समाज दरकिनार कर दे देगा.

अनातोली चुबैस (ANATOLY CHUBAIS)

बता दें कि कुछ हाई-प्रोफाइल शख्सियतों ने युद्ध के कारण क्रेमलिन से मुंह मोड़ लिया है, 66 वर्षीय अनातोली चुबैस (ANATOLY CHUBAIS) उनमें से एक हैं. मीडिया रिपोर्ट में चुबैस के इस्तीफे की पुष्टि की गई है. अनातोली चुबैस के कद का अंदाजा आप इससे लगा सकते हैं कि उन्हें येल्तसिन ने अपने कार्यकाल में प्राइवेटाइजेशन कैंपेन के लिए चुना था. वह चुबैस ही थे, जिन्होंने तत्कालीन राष्ट्रपति येल्तसिन से पुतिन को सरकार में लाने की सिफारिश की थी. उनके इस कदम के बाद पुतिन कामयाबी की सीढियां चढ़ते गए. 2020 में एक वक्त ऐसा भी आया कि येल्तसिन की रिटायरमेंट के बाद पुतिन राष्ट्रपति बने.

बुधवार को क्रेमलिन ने 66 वर्षीय चुबैस के इस्तीफे के बारे में मीडिया रिपोर्टों की पुष्टि की, जो येल्तसिन के निजीकरण अभियान के वास्तुकार थे। रिपोर्ट में अज्ञात सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि युद्ध के कारण उन्होंने पद छोड़ दिया। उन्होंने अपने इस्तीफे पर सार्वजनिक रूप से कोई टिप्पणी नहीं की है। येल्तसिन के तहत, चुबैस ने कथित तौर पर प्रशासन को पुतिन को काम पर रखने की सिफारिश की, एक ऐसा कदम जिसे व्यापक रूप से पुतिन के करियर में एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में देखा गया। पुतिन 2000 में रूस के राष्ट्रपति बने, जब येल्तसिन ने पद छोड़ दिया. चुबैस 1994 से 1996 और 1997-98 के बीच रूस के उप प्रधान मंत्री भी रहे. रूसी समाचार पत्र कोमर्सेंट (newspaper Kommersant) ने बुधवार को बताया कि चुबैस को इस सप्ताह इस्तांबुल में देखा गया था. बता दें कि यूक्रेन पर आक्रमण के बाद से कई रूसी नागरिक इस्तांबुल की ओर जा रहे हैं.

अर्कडी ड्वोरकोविच (ARKADY DVORKOVICH)

अर्कडी ड्वोरकोविच भी कभी रूस के उप प्रधानमंत्री थे. फिलहाल वह इंटरनेशनल चेस फेडरेशन ( FIDE) के अध्यक्ष हैं. उन्होंने 14 मार्च को मदर जोन्स पत्रिका को दिए गए इंटरव्यू में यूक्रेन के साथ युद्ध के लिए क्रेमलिन की सत्ताधारी पार्टी की आलोचना की थी. उन्होंने कहा था कि किसी की जिंदगी के लिए युद्ध सबसे बुरी चीज है. लड़ाई कही भी हो, किसी के साथ हो, गलत ही है. युद्ध सिर्फ जीवन को खत्म नहीं करते बल्कि आशाओं और आकांक्षाओं को भी मार देते हैं. रिश्तों और संबंधों को नष्ट करते हैं.

अर्कडी ड्वोरकोविच ने कहा कि इंटरनेशनल चेस फेडरेशन ( FIDE) यह सुनिश्चित कर रहा है कि युद्ध के खत्म होने तक रूस और बेलारूस के प्रतिनिधियों को फेडरेशन के आधिकारिक कार्यक्रमों में अनुमति नहीं दी जाएगी. इसके बाद यूक्रेनी खिलाड़ी भी चेस के आयोजन में वापस आ जाते हैं. बता दें कि इंटरनेशनल चेस फेडरेशन ( FIDE) ने एक रूसी के बड़े चेस प्लेयर को पुतिन के समर्थन करने के बाद छह महीने के लिए प्रतिबंधित कर दिया. फिलहाल ड्वोरकोविच का बयान उनके लिए मुसीबत बन गया है. संयुक्त रूस पार्टी के पदाधिकारियों ने उन्हें स्कोल्कोवो फाउंडेशन के अध्यक्ष से हटाने की मांग कर दी. फाउंडेशन ने बताया कि ड्वोरकोविच ने पद छोड़ने का फैसला किया है.

लिलिया गिल्डयेवा (LILIA GILDEYEVA)

लिलिया गिल्डेवा सरकारी न्यूज चैनल एनटीवी में लंबे समय से एंकर रहीं, वह दो दशकों तक क्रेमलिन के हिसाब से काम कर रही थीं. यूक्रेन पर आक्रमण के बाद उन्होंने नौकरी छोड़ दी. न्यूज वेबसाइट द इनसाइडर को दिए गए इंटरव्यू में बताया कि उन्होंने यूक्रेन पर आक्रमण के पहले दिन यानी 24 फरवरी को काम छोड़ने का फैसला किया था. उन्होंने बताया कि यूक्रेन पर हमले की खबर से वह नर्वस हो गईं. वह कई दिनों तक खुद से उलझती रहीं. मगर उनका फैसला सही था. गिल्डेवा ने कहा कि रूस के टीवी चैनलों पर अधिकारियों का कड़ा नियंत्रण है. समाचार कवरेज पर चैनलों को अधिकारियों से आदेश मिलते थे. उन्होंने 2014 से ऐसी व्यवस्था में उस समय काम करना शुरू किया, जब रूस क्रीमिया पर कब्जा कर रहा था. इसके अलावा रूस ने यूक्रेन में अलगाववादी विद्रोह का समर्थन करना शुरू कर दिया. गिल्डेवा ने कहा कि जब आप सिस्टम के सामने समर्पण करते हैं तो अपने अंदर आई गिरावट को नोटिस नहीं करते हैं.

जन्ना अगलकोव (ZHANNA AGALAKOVA)

जन्ना अगालाकोवा भी टीवी चैनल चैनल वन के लिए एक पत्रकार थीं. उन्होंने एंकर के तौर पर इस चैनल में 20 साल से अधिक समय बिताया. वह पेरिस, न्यूयॉर्क और अन्य पश्चिमी देशों में न्यूज चैनल की रिपोर्टर भी रहीं. यूक्रेन पर रूस के हमले के तीन सप्ताह बाद अगालाकोवा ने नौकरी छोड़ दी. जन्ना ने कहा कि हम एक ऐसे मोड़ पर आ गए हैं, जहां टीवी और न्यूज पर केवल एक व्यक्ति और उसके करीबियों की कहानी दिख रही हैं. इस कारण खबरों में रूस ही खो गया. उन्होंने कह कि 2014 में क्रीमिया के विलय और यूक्रेन में अलगाववादियों के समर्थन के लिए प्रोपगैंडा किया गया. एक रिपोर्टर के तौर पर वह यूएस की बुराई करती रही. मेरी मेरी रिपोर्ट में झूठ नहीं था, लेकिन ठीक इसी तरह प्रचार तंत्र काम करता है. आप एक विश्वसनीय तथ्य में घालमेल कर प्रचार करते हैं.

पढ़ें : बाइडेन ने रूस-यूक्रेन युद्ध को बताया 'साइंस फिक्शन मूवी', जेलेंस्की ने फिर कहा-वार्ता करें पुतिन

न्यूयार्क : तीस साल तक अंतराराष्ट्रीय मंचों पर रूस का प्रतिनिधित्व करने वाले अनातोली चुबैस के इस्तीफे ने सरकार में खलबली मचा दी है. माना जा रहा है यूक्रेन पर हमले के विरोध में कई अधिकारी विभिन्न पदों से इस्तीफा दे चुके हैं. अनातोली चुबैस का कद पुतिन के कार्यकाल से पहले ही सरकार में काफी बड़ा था. वह कई अंतरराष्ट्रीय संगठनों के लिए राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के दूत भी रहे. मगर यूक्रेन पर हमले के बाद उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया. माना जा रहा है कि यूक्रेन को लेकर वह पुतिन के नजरिये से सहमत नहीं थे. बता दें कि रूस के राष्ट्रपति पुतिन ने विरोध करने वालों को देशद्रोही बताया है. उनका कहना है कि ऐसे लोगों को रूसी समाज दरकिनार कर दे देगा.

अनातोली चुबैस (ANATOLY CHUBAIS)

बता दें कि कुछ हाई-प्रोफाइल शख्सियतों ने युद्ध के कारण क्रेमलिन से मुंह मोड़ लिया है, 66 वर्षीय अनातोली चुबैस (ANATOLY CHUBAIS) उनमें से एक हैं. मीडिया रिपोर्ट में चुबैस के इस्तीफे की पुष्टि की गई है. अनातोली चुबैस के कद का अंदाजा आप इससे लगा सकते हैं कि उन्हें येल्तसिन ने अपने कार्यकाल में प्राइवेटाइजेशन कैंपेन के लिए चुना था. वह चुबैस ही थे, जिन्होंने तत्कालीन राष्ट्रपति येल्तसिन से पुतिन को सरकार में लाने की सिफारिश की थी. उनके इस कदम के बाद पुतिन कामयाबी की सीढियां चढ़ते गए. 2020 में एक वक्त ऐसा भी आया कि येल्तसिन की रिटायरमेंट के बाद पुतिन राष्ट्रपति बने.

बुधवार को क्रेमलिन ने 66 वर्षीय चुबैस के इस्तीफे के बारे में मीडिया रिपोर्टों की पुष्टि की, जो येल्तसिन के निजीकरण अभियान के वास्तुकार थे। रिपोर्ट में अज्ञात सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि युद्ध के कारण उन्होंने पद छोड़ दिया। उन्होंने अपने इस्तीफे पर सार्वजनिक रूप से कोई टिप्पणी नहीं की है। येल्तसिन के तहत, चुबैस ने कथित तौर पर प्रशासन को पुतिन को काम पर रखने की सिफारिश की, एक ऐसा कदम जिसे व्यापक रूप से पुतिन के करियर में एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में देखा गया। पुतिन 2000 में रूस के राष्ट्रपति बने, जब येल्तसिन ने पद छोड़ दिया. चुबैस 1994 से 1996 और 1997-98 के बीच रूस के उप प्रधान मंत्री भी रहे. रूसी समाचार पत्र कोमर्सेंट (newspaper Kommersant) ने बुधवार को बताया कि चुबैस को इस सप्ताह इस्तांबुल में देखा गया था. बता दें कि यूक्रेन पर आक्रमण के बाद से कई रूसी नागरिक इस्तांबुल की ओर जा रहे हैं.

अर्कडी ड्वोरकोविच (ARKADY DVORKOVICH)

अर्कडी ड्वोरकोविच भी कभी रूस के उप प्रधानमंत्री थे. फिलहाल वह इंटरनेशनल चेस फेडरेशन ( FIDE) के अध्यक्ष हैं. उन्होंने 14 मार्च को मदर जोन्स पत्रिका को दिए गए इंटरव्यू में यूक्रेन के साथ युद्ध के लिए क्रेमलिन की सत्ताधारी पार्टी की आलोचना की थी. उन्होंने कहा था कि किसी की जिंदगी के लिए युद्ध सबसे बुरी चीज है. लड़ाई कही भी हो, किसी के साथ हो, गलत ही है. युद्ध सिर्फ जीवन को खत्म नहीं करते बल्कि आशाओं और आकांक्षाओं को भी मार देते हैं. रिश्तों और संबंधों को नष्ट करते हैं.

अर्कडी ड्वोरकोविच ने कहा कि इंटरनेशनल चेस फेडरेशन ( FIDE) यह सुनिश्चित कर रहा है कि युद्ध के खत्म होने तक रूस और बेलारूस के प्रतिनिधियों को फेडरेशन के आधिकारिक कार्यक्रमों में अनुमति नहीं दी जाएगी. इसके बाद यूक्रेनी खिलाड़ी भी चेस के आयोजन में वापस आ जाते हैं. बता दें कि इंटरनेशनल चेस फेडरेशन ( FIDE) ने एक रूसी के बड़े चेस प्लेयर को पुतिन के समर्थन करने के बाद छह महीने के लिए प्रतिबंधित कर दिया. फिलहाल ड्वोरकोविच का बयान उनके लिए मुसीबत बन गया है. संयुक्त रूस पार्टी के पदाधिकारियों ने उन्हें स्कोल्कोवो फाउंडेशन के अध्यक्ष से हटाने की मांग कर दी. फाउंडेशन ने बताया कि ड्वोरकोविच ने पद छोड़ने का फैसला किया है.

लिलिया गिल्डयेवा (LILIA GILDEYEVA)

लिलिया गिल्डेवा सरकारी न्यूज चैनल एनटीवी में लंबे समय से एंकर रहीं, वह दो दशकों तक क्रेमलिन के हिसाब से काम कर रही थीं. यूक्रेन पर आक्रमण के बाद उन्होंने नौकरी छोड़ दी. न्यूज वेबसाइट द इनसाइडर को दिए गए इंटरव्यू में बताया कि उन्होंने यूक्रेन पर आक्रमण के पहले दिन यानी 24 फरवरी को काम छोड़ने का फैसला किया था. उन्होंने बताया कि यूक्रेन पर हमले की खबर से वह नर्वस हो गईं. वह कई दिनों तक खुद से उलझती रहीं. मगर उनका फैसला सही था. गिल्डेवा ने कहा कि रूस के टीवी चैनलों पर अधिकारियों का कड़ा नियंत्रण है. समाचार कवरेज पर चैनलों को अधिकारियों से आदेश मिलते थे. उन्होंने 2014 से ऐसी व्यवस्था में उस समय काम करना शुरू किया, जब रूस क्रीमिया पर कब्जा कर रहा था. इसके अलावा रूस ने यूक्रेन में अलगाववादी विद्रोह का समर्थन करना शुरू कर दिया. गिल्डेवा ने कहा कि जब आप सिस्टम के सामने समर्पण करते हैं तो अपने अंदर आई गिरावट को नोटिस नहीं करते हैं.

जन्ना अगलकोव (ZHANNA AGALAKOVA)

जन्ना अगालाकोवा भी टीवी चैनल चैनल वन के लिए एक पत्रकार थीं. उन्होंने एंकर के तौर पर इस चैनल में 20 साल से अधिक समय बिताया. वह पेरिस, न्यूयॉर्क और अन्य पश्चिमी देशों में न्यूज चैनल की रिपोर्टर भी रहीं. यूक्रेन पर रूस के हमले के तीन सप्ताह बाद अगालाकोवा ने नौकरी छोड़ दी. जन्ना ने कहा कि हम एक ऐसे मोड़ पर आ गए हैं, जहां टीवी और न्यूज पर केवल एक व्यक्ति और उसके करीबियों की कहानी दिख रही हैं. इस कारण खबरों में रूस ही खो गया. उन्होंने कह कि 2014 में क्रीमिया के विलय और यूक्रेन में अलगाववादियों के समर्थन के लिए प्रोपगैंडा किया गया. एक रिपोर्टर के तौर पर वह यूएस की बुराई करती रही. मेरी मेरी रिपोर्ट में झूठ नहीं था, लेकिन ठीक इसी तरह प्रचार तंत्र काम करता है. आप एक विश्वसनीय तथ्य में घालमेल कर प्रचार करते हैं.

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