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रूस ने बताया, भारत को कब मिलेंगी एस-400 मिसाइलें

रूस ने बताया कि सतह से हवा में मार करने वाली एस-400 मिसाइलों की जल्द ही भारत को आपूर्ति की जाएगी. बता दें भारत ने ट्रंप प्रशासन की चेतावनी के बीच अक्टूबर 2018 में एस-400 वायु रक्षा मिसाइल प्रणालियों की पांच इकाइयों को खरीदने के लिए रूस के साथ पांच अरब डॉलर के समझौते पर हस्ताक्षर किए थे. पढ़ें विस्तार से...

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एस-400 मिसाइलें
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Published : Nov 12, 2020, 6:26 PM IST

नई दिल्ली : रूस ने गुरुवार को कहा कि वह सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलें एस-400 की भारत को जल्दी आपूर्ति करने के लिए कठोर मेहनत कर रहा है. इस हथियार प्रणाली की पहली खेप की आपूर्ति अगले साल के अंत तक होनी है.

रूसी मिशन के उप प्रमुख रोमन बबुशिकन ने एक ऑनलाइन मीडिया ब्रीफिंग में यह भी कहा कि दोनों पक्ष परस्पर साजोसामान समर्थन (लॉजिस्टिक सपोर्ट) समझौते पर काम कर रहे हैं. इसके अलावा दोनों पक्ष अरबों डॉलर के सौदे के करीब हैं जिसके तहत एक भारत-रूस संयुक्त उपक्रम भारतीय सशस्त्र बलों के लिए 200 कामोव केए-226टी युद्धक हेलीकॉप्टरों का उत्पादन करेगा.

यह पूछे जाने पर कि क्या भारत और अमेरिका के बीच हस्ताक्षरित मूल विनिमय एवं सहयोग समझौता (बेका) का भारतीय सशस्त्र बलों द्वारा रूसी मूल के प्लेटफार्मों के संचालन में सुरक्षा संबंधी प्रभाव होंगे, उन्होंने कोई सीधा जवाब नहीं दिया. उन्होंने हालांकि कहा कि भारत और रूस के रक्षा संबंध किसी भी 'प्रतिबंध और विदेशी हस्तक्षेप' से परे हैं.

उन्होंने कहा, 'हम भारत और अमेरिका सहित अन्य देशों के बीच रणनीतिक क्षेत्रों में संबंधों को काफी करीब से देख रहे हैं. लेकिन इसके साथ ही हमें पूरा भरोसा है कि अन्य देशों के साथ भारत के विकसित हो रहे संबंध रूस के हितों की कीमत पर नहीं होंगे.'

बबुशिकन ने कहा, 'जहां तक ​​भारत के साथ हमारे रक्षा सहयोग का सवाल है, यह किसी भी प्रतिबंध और विदेशी हस्तक्षेप से अप्रभावित है, क्योंकि यह दोनों देशों के राष्ट्रीय हितों को परिलक्षित करता है और हम अपने संबंधों में प्रगति के लिए आत्मविश्वास की खासी भावना के साथ आगे बढ़ रहे हैं.'

उन्होंने एस-400 सौदे के बारे में कहा, 'फिलहाल समय सीमा में कोई बदलाव नहीं हुआ है. पहली खेप की आपूर्ति 2021 के अंत तक होने की उम्मीद है, लेकिन हम उस आपूर्ति के लिए बहुत मेहनत कर रहे हैं.' उन्होंने कहा कि एक भारत-रूस संयुक्त उपक्रम के तहत 7,00,000 एके-47 203 राइफलों के निर्माण के लिए समझौता और कामोव हेलीकॉप्टर सौदा अंतिम चरण में हैं.

भारत ने ट्रंप प्रशासन की चेतावनी के बीच अक्टूबर 2018 में एस-400 वायु रक्षा मिसाइल प्रणालियों की पांच इकाइयों को खरीदने के लिए रूस के साथ पांच अरब डॉलर के समझौते पर हस्ताक्षर किए थे.

भारत और रूस ने अक्टूबर 2016 में हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड और दो रूसी रक्षा कंपनियों के बीच संयुक्त उद्यम स्थापित करने के लिए एक व्यापक समझौते को अंतिम रूप दिया था. इसके तहत भारतीय सशस्त्र बलों के लिए 200 कामोव केए-226टी हेलिकॉप्टर खरीदे जाएंगे.

भारत और रूस ने दो महीना पहले रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की मास्को यात्रा के दौरान एके-203 राइफलों के निर्माण के लिए करार को अंतिम रूप दिया था.

परस्पर साजोसामान समर्थन समझौता (एमएलएसए) के बारे में बबुशिकन ने कहा कि इससे दोनों देशों के बीच समुद्री सुरक्षा सहयोग, खासकर हिंद महासागर क्षेत्र में, को प्रगाढ़ बनाने में मदद मिलेगी. उन्होंने यह भी कहा कि दोनों देश कई अन्य सैन्य खरीद कार्यक्रमों पर भी काम कर रहे हैं. इनमें भारत को एसयू-30 एमकेआई विमानों की पहली खेप की आपूर्ति शामिल है.

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बबुशिकन ने कहा कि आगामी एयरो-इंडिया कार्यक्रम में रूस अपनी सबसे बड़ी भागीदारी सुनिश्चित करना चाहता है. इस कार्यक्रम को एशिया में सबसे बड़ी एयरोस्पेस प्रदर्शनी माना जाता है. यह प्रदर्शनी फरवरी में बेंगलुरु में होगी. उन्होंने कहा, 'इसमें हमारी रक्षा साझेदारी में नए विकास भी दिखेंगे.'

नई दिल्ली : रूस ने गुरुवार को कहा कि वह सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलें एस-400 की भारत को जल्दी आपूर्ति करने के लिए कठोर मेहनत कर रहा है. इस हथियार प्रणाली की पहली खेप की आपूर्ति अगले साल के अंत तक होनी है.

रूसी मिशन के उप प्रमुख रोमन बबुशिकन ने एक ऑनलाइन मीडिया ब्रीफिंग में यह भी कहा कि दोनों पक्ष परस्पर साजोसामान समर्थन (लॉजिस्टिक सपोर्ट) समझौते पर काम कर रहे हैं. इसके अलावा दोनों पक्ष अरबों डॉलर के सौदे के करीब हैं जिसके तहत एक भारत-रूस संयुक्त उपक्रम भारतीय सशस्त्र बलों के लिए 200 कामोव केए-226टी युद्धक हेलीकॉप्टरों का उत्पादन करेगा.

यह पूछे जाने पर कि क्या भारत और अमेरिका के बीच हस्ताक्षरित मूल विनिमय एवं सहयोग समझौता (बेका) का भारतीय सशस्त्र बलों द्वारा रूसी मूल के प्लेटफार्मों के संचालन में सुरक्षा संबंधी प्रभाव होंगे, उन्होंने कोई सीधा जवाब नहीं दिया. उन्होंने हालांकि कहा कि भारत और रूस के रक्षा संबंध किसी भी 'प्रतिबंध और विदेशी हस्तक्षेप' से परे हैं.

उन्होंने कहा, 'हम भारत और अमेरिका सहित अन्य देशों के बीच रणनीतिक क्षेत्रों में संबंधों को काफी करीब से देख रहे हैं. लेकिन इसके साथ ही हमें पूरा भरोसा है कि अन्य देशों के साथ भारत के विकसित हो रहे संबंध रूस के हितों की कीमत पर नहीं होंगे.'

बबुशिकन ने कहा, 'जहां तक ​​भारत के साथ हमारे रक्षा सहयोग का सवाल है, यह किसी भी प्रतिबंध और विदेशी हस्तक्षेप से अप्रभावित है, क्योंकि यह दोनों देशों के राष्ट्रीय हितों को परिलक्षित करता है और हम अपने संबंधों में प्रगति के लिए आत्मविश्वास की खासी भावना के साथ आगे बढ़ रहे हैं.'

उन्होंने एस-400 सौदे के बारे में कहा, 'फिलहाल समय सीमा में कोई बदलाव नहीं हुआ है. पहली खेप की आपूर्ति 2021 के अंत तक होने की उम्मीद है, लेकिन हम उस आपूर्ति के लिए बहुत मेहनत कर रहे हैं.' उन्होंने कहा कि एक भारत-रूस संयुक्त उपक्रम के तहत 7,00,000 एके-47 203 राइफलों के निर्माण के लिए समझौता और कामोव हेलीकॉप्टर सौदा अंतिम चरण में हैं.

भारत ने ट्रंप प्रशासन की चेतावनी के बीच अक्टूबर 2018 में एस-400 वायु रक्षा मिसाइल प्रणालियों की पांच इकाइयों को खरीदने के लिए रूस के साथ पांच अरब डॉलर के समझौते पर हस्ताक्षर किए थे.

भारत और रूस ने अक्टूबर 2016 में हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड और दो रूसी रक्षा कंपनियों के बीच संयुक्त उद्यम स्थापित करने के लिए एक व्यापक समझौते को अंतिम रूप दिया था. इसके तहत भारतीय सशस्त्र बलों के लिए 200 कामोव केए-226टी हेलिकॉप्टर खरीदे जाएंगे.

भारत और रूस ने दो महीना पहले रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की मास्को यात्रा के दौरान एके-203 राइफलों के निर्माण के लिए करार को अंतिम रूप दिया था.

परस्पर साजोसामान समर्थन समझौता (एमएलएसए) के बारे में बबुशिकन ने कहा कि इससे दोनों देशों के बीच समुद्री सुरक्षा सहयोग, खासकर हिंद महासागर क्षेत्र में, को प्रगाढ़ बनाने में मदद मिलेगी. उन्होंने यह भी कहा कि दोनों देश कई अन्य सैन्य खरीद कार्यक्रमों पर भी काम कर रहे हैं. इनमें भारत को एसयू-30 एमकेआई विमानों की पहली खेप की आपूर्ति शामिल है.

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बबुशिकन ने कहा कि आगामी एयरो-इंडिया कार्यक्रम में रूस अपनी सबसे बड़ी भागीदारी सुनिश्चित करना चाहता है. इस कार्यक्रम को एशिया में सबसे बड़ी एयरोस्पेस प्रदर्शनी माना जाता है. यह प्रदर्शनी फरवरी में बेंगलुरु में होगी. उन्होंने कहा, 'इसमें हमारी रक्षा साझेदारी में नए विकास भी दिखेंगे.'

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