जम्मू: जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) प्रमुख यासीन मलिक वर्ष 1989 में तत्कालीन केंद्रीय गृह मंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी रूबैया सईद के अपहरण के मामले में गुरुवार को ऑनलाइन माध्यम से विशेष अदालत के समक्ष पेश हुआ. मुख्य अभियोजक मोनिका कोहली ने संवाददाताओं को बताया, 'मलिक को पेशी वारंट के आधार पर अदालत में पेश किया गया. वह ऑनलाइन माध्यम से अदालत के समक्ष पेश हुआ.' रूबैया अपहरण मामले की अगली सुनवाई के लिए अदालत ने 24 नवंबर की तारीख तय की है.
उन्होंने बताया कि आतंकवाद के वित्त पोषण मामले में दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद मलिक को व्यक्तिगत रूप से अदालत में पेश नहीं किया जा सका क्योंकि गृह मंत्रालय ने उसकी आवाजाही पर रोक लगाई है. कोहली ने बताया कि व्यक्तिगत उपस्थिति से छूट का आवदेन देने और अदालत द्वारा मंजूर किए जाने के बाद रूबैया सुनवाई के लिए पेश नहीं हुईं. उन्होंने बताया कि मामले में पिछली सुनवाई 15 जुलाई को हुई थी और रूबैया ने मलिक सहित पांच आरोपियों की पहचान की थी, इसलिए आज (गुरुवार को) दोबारा आरोपियों की फिर से पहचान करने का सवाल ही नहीं था.' मलिक ने गुरुवार को एक बार फिर गवाह से पूछताछ के दौरान उसे व्यक्तिगत रूप से अदालत के समक्ष पेश करने पर जोर दिया.
गौरतलब है कि रूबैया का आठ दिसंबर 1989 को अपहरण किया गया था और केंद्र की तत्कालीन वीपी सिंह सरकार द्वारा पांच आतंकवादियों को छोड़े जाने के एवज में उन्हें पांच दिन बाद रिहा किया गया. तत्कालीन वीपी सिंह सरकार को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) समर्थन दे रही थी. इस समय रूबैया तमिलनाडु में रह रही हैं और वर्ष 1990 में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने मामले की जांच अपने हाथ में ली थी. केंद्रीय एजेंसी ने रूबैया को अभियोजन पक्ष की ओर से गवाह बनाया है.
यासीन मलिक (56) को वर्ष 2017 में आतंकवाद के वित्त पोषण मामले पंजीकृत मुकदमे में राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) की अदालत ने मई में सजा सुनाई थी. मलिक को वर्ष 2019 के शुरुआत में गिरफ्तार किया गया था. मलिक ने अपहरण के मामले की सुनवाई के दौरान जम्मू की अदालत में व्यक्तिगत रूप से पेशी की अर्जी केंद्र को दी थी और उसपर कथित जवाब नहीं देने पर 22 जुलाई से 10 दिनों का अनशन किया था.