कोलकाता : भाजपा आने वाले दिनों में पश्चिम बंगाल में अपना संगठनात्मक ढांचा बदलने को तैयार है. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) इस पर नियंत्रण के लिए दबाव बना रहा है.
आरएसएस (RSS) चाहता है कि नए ढांचे में उसके विश्वासपात्रों की ज्यादा भागीदारी हो. साथ ही आरएसएस ने भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व को स्पष्ट संदेश दिया है कि दलबदलुओं से ज्यादा उन लोगों पर ध्यान दिया जाना चाहिए जो पार्टी के वफादार रहे हैं.
इस संबंध में नागपुर में आरएसएस मुख्यालय से भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव (संगठन) बीएल संतोष के पास एक स्पष्ट संदेश आया है. संदेश भेजने वाले कोई और नहीं बल्कि आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत हैं.
टीएमसी से आए नेताओं को अहम भूमिका देने के पक्ष में नहीं
आरएसएस सूत्रों का कहना है कि शुभेंदु अधिकारी जैसे कुछ नेताओं को छोड़कर, संघ के शीर्ष नेता तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) से भाजपा में आने वाले नेताओं को महत्वपूर्ण संगठनात्मक पदों पर रखने के पक्ष में नहीं हैं.
सूत्रों का कहना है कि हाल में संपन्न हुए विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद आरएसएस के शीर्ष नेताओं ने पूरी स्थिति पर शुरुआती चर्चा की है. इसके बाद कुछ टिप्पणियां कीं जिनमें प्रमुख रूप से ये बात निकलकर आई कि पार्टी की चुनावी कार्रवाई पर आरएसएस का नियंत्रण बहुत कम था. यही वजह रही कि तृणमूल कांग्रेस से आने वाले कई नेताओं को पार्टी में महत्वपूर्ण पद दिए गए.
चुनाव नतीजों को लेकर मांगी रिपोर्ट
अवलोकन में यह भी पाया गया विधानसभा चुनावों में 148 नेता ऐसे थे जिनको उम्मीदवार बनाना पार्टी को भारी पड़ा. हालांकि, ऐसे मुद्दों पर आरएसएस का राज्य नेतृत्व कमोबेश चुप था. आरएसएस के शीर्ष नेताओं ने पश्चिम बंगाल के संगठन प्रभारी प्रदीप जोशी से भी स्पष्टीकरण मांगा है और उनसे इस मामले में तुरंत एक विस्तृत रिपोर्ट नागपुर भेजने को कहा है.
आरएसएस नेतृत्व की राय है कि भाजपा के राज्य और केंद्रीय नेतृत्व ने अपने वफादारों की बजाय पाला बदलकर आए लोगों को ज्यादा महत्व दिया. यही वजह रही भाजपा की गोपनीय योजनाओं की जानकारी तृणमूल कांग्रेस तक पहुंच गई और उसे अपनी गलतियां सुधारने और अपने कमजोर पहलुओं पर ध्यान केंद्रित करने में मदद मिली.
टीएमसी ने जानबूझकर अपने समर्थक भाजपा में भेजे : सेनगुप्ता
आरएसएस के मुखपत्र 'स्वास्तिक' के पूर्व संपादक रंतीदेब सेनगुप्ता (Rantideb Sengupta) ने कहा कि 'तृणमूल की एक उचित योजना ने भाजपा को इस तरह की हार स्वीकार करने के लिए मजबूर किया.'
उनका कहना है कि 'चुनाव से पहले तृणमूल ने जानबूझकर अपने कई समर्थकों को भाजपा शामिल करा दिया, जिन्होंने अंदर से तोड़फोड़ का खेल खेला. इन नेताओं और कार्यकर्ताओं ने तृणमूल को भाजपा की अंदरूनी नीतियों के बारे में भी जानकारी दी.'
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