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धर्म संसद में दिए गए बयान हिंदुत्व नहीं : मोहन भागवत

देश के 'हिंदू राष्ट्र' बनने के रास्ते पर चलने के बारे में भागवत ने कहा, यह हिंदू राष्ट्र बनाने के बारे में नहीं है. आप इसे मानें या न मानें, यह हिंदू राष्ट्र है. उन्होंने कहा कि संघ लोगों को विभाजित नहीं करता बल्कि मतभेदों को दूर करता है.

मोहन भागवत
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Published : Feb 7, 2022, 8:31 AM IST

नागपुर: राष्ट्रीय स्वयंसेवक प्रमुख मोहन भागवत (rss chief mohan bhagwat) ने कहा कि हाल में 'धर्म संसद' नामक कार्यक्रम में दिए गए कुछ बयान 'हिंदुओं के शब्द' नहीं थे और हिंदुत्व का पालन करने वाले लोग उनके साथ कभी सहमत नहीं होंगे. वह लोकमत के नागपुर संस्करण की स्वर्ण जयंती के अवसर पर लोकमत मीडिया समूह द्वारा आयोजित एक व्याख्यान शृखला में 'हिंदुत्व और राष्ट्रीय एकीकरण' विषय पर बोल रहे थे.

उन्होंने कहा कि धर्म संसद (Dharma Sansad) में दिए गए बयान हिंदुओं के शब्द नहीं थे. भागवत ने कहा कि अगर मैं कभी कुछ गुस्से में कहता हूं, तो यह हिंदुत्व नहीं है. संघ प्रमुख ने कहा, यहां तक कि वीर सावरकर ने कहा था कि अगर हिंदू समुदाय एकजुट और संगठित हो जाता है तो वह भगवद् गीता के बारे में बोलेगा न कि किसी को खत्म करने या उसे नुकसान पहुंचाने के बारे में बोलेगा.

देश के 'हिंदू राष्ट्र' बनने के रास्ते पर चलने के बारे में भागवत ने कहा, यह हिंदू राष्ट्र बनाने के बारे में नहीं है. आप इसे मानें या न मानें, यह हिंदू राष्ट्र है. उन्होंने कहा कि संघ लोगों को विभाजित नहीं करता बल्कि मतभेदों को दूर करता है. उन्होंने कहा, हम इस हिंदुत्व का पालन करते हैं.

आरएसएस के कार्यक्रम में प्रणब को आमंत्रित करने के लिए काफी तैयारी करके गया था : भागवत

वहीं, मोहन भागवत ने कहा कि वह वर्ष 2018 में नागपुर में आयोजित संघ के कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को आमंत्रित करने के लिए उनसे मिलने गए तो 'घर वापसी' के मुद्दे पर काफी तैयारी करके गए थे. भागवत ने कहा कि उस समय 'घर वापसी' के मुद्दे पर संसद में काफी हंगामा हुआ था और वह बैठक के दौरान मुखर्जी द्वारा पूछे जाने वाले किसी भी सवाल का जवाब देने के लिए तैयार थे.

पढ़ें: Hate speeches at dharma sansad : हिंसा भड़काने वालों के खिलाफ FIR दर्ज

भागवत ने कहा कि जब वह मुखर्जी से मिलने गए थे तो उन्हें इस मुद्दे पर जवाब देने की कोई जरूरत नहीं पड़ी, क्योंकि उन्होंने खुद कहा कि अगर आपने (आरएसएस ने) घर वापसी का काम नहीं किया होता तो देश के 30 प्रतिशत समुदाय देश से कट गए होते.

पीटीआई-भाषा

नागपुर: राष्ट्रीय स्वयंसेवक प्रमुख मोहन भागवत (rss chief mohan bhagwat) ने कहा कि हाल में 'धर्म संसद' नामक कार्यक्रम में दिए गए कुछ बयान 'हिंदुओं के शब्द' नहीं थे और हिंदुत्व का पालन करने वाले लोग उनके साथ कभी सहमत नहीं होंगे. वह लोकमत के नागपुर संस्करण की स्वर्ण जयंती के अवसर पर लोकमत मीडिया समूह द्वारा आयोजित एक व्याख्यान शृखला में 'हिंदुत्व और राष्ट्रीय एकीकरण' विषय पर बोल रहे थे.

उन्होंने कहा कि धर्म संसद (Dharma Sansad) में दिए गए बयान हिंदुओं के शब्द नहीं थे. भागवत ने कहा कि अगर मैं कभी कुछ गुस्से में कहता हूं, तो यह हिंदुत्व नहीं है. संघ प्रमुख ने कहा, यहां तक कि वीर सावरकर ने कहा था कि अगर हिंदू समुदाय एकजुट और संगठित हो जाता है तो वह भगवद् गीता के बारे में बोलेगा न कि किसी को खत्म करने या उसे नुकसान पहुंचाने के बारे में बोलेगा.

देश के 'हिंदू राष्ट्र' बनने के रास्ते पर चलने के बारे में भागवत ने कहा, यह हिंदू राष्ट्र बनाने के बारे में नहीं है. आप इसे मानें या न मानें, यह हिंदू राष्ट्र है. उन्होंने कहा कि संघ लोगों को विभाजित नहीं करता बल्कि मतभेदों को दूर करता है. उन्होंने कहा, हम इस हिंदुत्व का पालन करते हैं.

आरएसएस के कार्यक्रम में प्रणब को आमंत्रित करने के लिए काफी तैयारी करके गया था : भागवत

वहीं, मोहन भागवत ने कहा कि वह वर्ष 2018 में नागपुर में आयोजित संघ के कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के तौर पर पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को आमंत्रित करने के लिए उनसे मिलने गए तो 'घर वापसी' के मुद्दे पर काफी तैयारी करके गए थे. भागवत ने कहा कि उस समय 'घर वापसी' के मुद्दे पर संसद में काफी हंगामा हुआ था और वह बैठक के दौरान मुखर्जी द्वारा पूछे जाने वाले किसी भी सवाल का जवाब देने के लिए तैयार थे.

पढ़ें: Hate speeches at dharma sansad : हिंसा भड़काने वालों के खिलाफ FIR दर्ज

भागवत ने कहा कि जब वह मुखर्जी से मिलने गए थे तो उन्हें इस मुद्दे पर जवाब देने की कोई जरूरत नहीं पड़ी, क्योंकि उन्होंने खुद कहा कि अगर आपने (आरएसएस ने) घर वापसी का काम नहीं किया होता तो देश के 30 प्रतिशत समुदाय देश से कट गए होते.

पीटीआई-भाषा

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