नई दिल्ली : पेस्टिसाइड मैनेजमेंट बिल- 2020 (Pesticide Management Bill-2020) पर पार्लियामेंट की स्टैंडिंग कमेटी चर्चा कर रही है. समिति की ओर से सभी स्टेकहोल्डर्स से उनकी राय और आपत्तियां भी आमंत्रित की गई थी. पेस्टिसाइड मैनेजमेंट बिल 2020 पर आरएसएस से सम्बद्ध संगठन- स्वदेशी जागरण मंच ने कहा है कि मंच का प्रयास जहर मुक्त खेती का रहा है. ईटीवी भारत के साथ विशेष बातचीत के दौरान स्वदेशी जागरण मंच (Swadeshi Jagran Manch) के सह संयोजक अश्विनी महाजन (Ashwini Mahajan) ने बताया कि खेती में कीटनाशकों का उपयोग धड़ल्ले से हो रहा है, ऐसे में वह प्राकृतिक या जैव कीटनाशक की तरफ ध्यान देना चाहते हैं.
अश्विनी महाजन का कहना है कि स्वदेशी जागरण मंच का प्रयास जहर मुक्त खेती का रहा है. उन्होंने बताया कि मंच ने संसदीय समिति को कुछ अहम सुझाव दिए हैं, उसमें जैव कीटनाशक से जुड़ा सुझाव भी शामिल है. उन्होंने बताया कि 2007 में संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (UPA) की सरकार ने कानून में कुछ बदलाव किए जिससे भारतीय उत्पादकों को काफी नुक्सान हुआ. उन्होंने कहा कि UPA सरकार ने एक प्रावधान के तहत जिन कंपनियों का टेक्निकल ग्रेड मान्य नहीं है उनको भी आयात की अनुमति दे दी थी. इसके कारण आयातकों को लाभ हुआ, लेकिन इसका नुकसान भारतीय कीटनाशक उत्पादकों को उठाना पड़ा.
स्वत: निरस्त होंगे प्रावधान
अब जबकि मानसून सत्र में पेस्टिसाइड मैनेजमेंट बिल- 2020 (Pesticide Management Bill-2020) पेश किए जाने की तैयारियां की जा रही हैं, स्वदेशी जागरण मंच ने सुझाव दिए हैं कि यूपीए सरकार के दौर में आयात को लेकर बनाए गए नियमों को ठीक किया जाना चाहिए. हालांकि, माना जा रहा है कि नए बिल के माध्यम से कानून में होने वाले बदलाव के बाद पेस्टिसाइड मैनेजमेंट एक्ट-1968 के प्रावधान स्वतः निरस्त हो जाएंगे.
कीटनाशकों के उत्पादन का अधिकार
स्वदेशी जागरण मंच के अश्विनी महाजन (Ashwini Mahajan Swadeshi Jagran Manch) बताते हैं कि हमारे देश के कीटनाशक उद्योग में भी क्षमता है कि वह भारत को कीटनाशकों के उत्पादन में आत्मनिर्भर बना सकते हैं. अभी तक हमारा जोर आयात पर ज्यादा रहा है. देश में भारी मात्रा में कीटनाशक चीन जैसे देशों से आयात हो रहे हैं. कुछ 'ऑफ पेटेंट' कीटनाशक भी आयात होते रहते हैं. विदेशी कंपनियां 'डेटा एक्सक्लूसिविटी' की मांग करती हैं. इसका मतलब है कि यदि उनका प्रोडक्ट 'ऑफ पेटेंट' भी हो गया तब भी उसे बनाने का अधिकार उनके पास ही रहे. भारत का अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी यही कहना है कि डेटा एक्सक्लूसिविटी सही नहीं है और स्वदेशी जागरण मंच का मानना है कि सक्षम होने पर भारतीय कंपनियों को ऑफ पेटेंट हुए कीटनाशकों के उत्पादन का अधिकार मिलना चाहिए.
किसानों की सुरक्षा पर ध्यान
दरअसल, पेस्टिसाइड मैनेजमेंट बिल का संबंध सीधे-सीधे किसानों, लोगों के स्वास्थ्य और पर्यावरण से भी जुड़ा हुआ है. इस पर अश्विनी महाजन कहते हैं कि नए बिल में पहले के मुकाबले कई सुधार किए गए हैं और अब यह बेहतर है, लेकिन इसमें अभी भी सुधार की जरूरत है. उन्होंने कहा कि स्वदेशी जागरण मंच ने पर्यावरण की रक्षा और किसानों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए अपने सुझाव दिए हैं.
कीटनाशकों के अलावा अन्य क्षेत्रों में भी मिले प्राथमिकता
देश में कीटनाशक उद्योग के सबसे बड़े संगठन क्रॉप केअर फेडरेशन ऑफ इंडिया का भी यह कहना है कि यदि सरकार उन्हें अवसर और सहयोग दें तो वह अपने उत्पादन स्तर को बढ़ा कर न केवल देश को आत्मनिर्भर बना सकते हैं, बल्कि निर्यात में भी और ऊपर आ सकते हैं. अश्विनी महाजन का कहना है कि स्वदेशी जागरण मंच भी इसका समर्थन करता है. सरकार को इसके अनुसार नीतियां बनानी होंगी जिससे देश के उद्योग को न केवल कीटनाशकों बल्कि अन्य क्षेत्रों में भी प्राथमिकता मिले.
आयातकों को विदेशी हितों को बढ़ावा !
अश्विनी महाजन कहते हैं कि पेस्टिसाइड मैनेजमेंट बिल का ड्राफ्ट (Pesticide Management Bill Draft) आत्मनिर्भर भारत के आह्वान से पहले हो गया था, अब आत्मनिर्भरता के आधार पर इस बिल में पर्याप्त परिवर्तन होने चाहिए. उन्होंने कहा कि विशेषकर यदि किसी कीटनाशक का टेक्निकल ग्रेड भारत में पंजीकृत है तो उसका उत्पादन भारतीय कंपनियां ही करें. इसके लिए उन कीटनाशकों के आयात पर पूर्ण प्रतिबंध होना चाहिए. उन्होंने कहा कि बिल के वर्तमान मसौदे में घरेलू विनिर्माण की सुरक्षा के लिए पर्याप्त प्रावधान शामिल नहीं हैं. इसके विपरीत कई ऐसे प्रावधान हैं जो आयातकों को विदेशी हितों को बढ़ावा देते हैं.
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देश के उत्पादकों का नुकसान
बकौल अश्विनी महाजन, स्वदेशी जागरण मंच ने नए बिल में मैन्युफैक्चरिंग की परिभाषा तय करने का भी सुझाव दिया है. आज देश में कई मल्टीनेशनल कंपनियां कीटनाशक आयात करती हैं और उसकी नई ब्रांडिंग और पैकेजिंग के साथ बाजार में उतार देती हैं. आयातक इसमें अपने तरफ से कोई अतिरिक्त गुणवत्ता सुधार नहीं करता और बस नए नाम और पैकिंग के साथ बेच कर मुनाफा कमाता है. इससे हमारे देश के उत्पादकों का नुक्सान होता है.
विचार निजी हो सकते हैं, फिर भी संसदीय समिति करेगी बदलाव
उन्होंने कहा कि स्वदेशी जागरण मंच ने संसदीय समिति के समक्ष यह भी चिंता व्यक्त की है कि नए पेस्टिसाइड मैनेजमेंट बिल- 2020 (Pesticide Management Bill-2020) में जैव कीटनाशकों के बारे में कोई प्रावधान नहीं है. अश्विनी महाजन ने कहा कि कई बार बिल के निर्माण में जो अधिकारी शामिल होते हैं उनके अपने विचार हो सकते हैं, लेकिन एक लोकतांत्रिक व्यवस्था में स्टैंडिंग कमिटी और कई अन्य संगठनों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है, कि वह इसमें आवश्यक सुधार करें. स्वदेशी जागरण मंच इस तरह के विषयों में निरंतर सुझाव देता रहा है, और सरकार उसे मानती भी रही है. ऐसे में उन्हें उम्मीद है कि पेस्टिसाइड मैनेजमेंट बिल 2020 में भी जरूरी बदलाव किए जाएंगे.