नई दिल्ली: केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत की ओर से दायर मानहानि मामले में राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत बुधवार को राउज एवेन्यू कोर्ट में वीडियो कांफ्रेंसिंग से पेश हुए. इस दौरान एडिशनल मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट (एसीएमएम) हरजीत सिंह जसपाल ने सुनवाई के बाद मामले की चार्जशीट सहित अन्य सभी दस्तावेज की दोनों पक्षों को देने के लिए दिल्ली पुलिस को निर्देश दिया.
कोर्ट ने दिल्ली पुलिस से कहा कि आज ढाई बजे तक पुलिस दस्तावेज की कॉपी उपलब्ध कराए, जिससे मामले में बहस हो सके. इस आदेश के बाद शेखावत के वकील की ओर से गहलोत के वकील को 303 पेज के दस्तावेज की कॉपी दी गई है. वहीं, शेखावत के वकील की ओर से कोर्ट से गहलोत को व्यक्तिगत पेशी के लिए नोटिस जारी करने की मांग की गई है. इस पर अब मामले की अगली सुनवाई 14 सितंबर को होगी.
वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से कोर्ट में पेश हुए शेखावतः इससे पहले सुनवाई शुरू होने के दौरान शेखावत के वकील ने कोर्ट को बताया कि वह दिल्ली से बाहर हैं. उनको वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से पेश होने की अनुमति दी जाए. इसके बाद शेखावत वीसी के जरिए कोर्ट में पेश हुए. पिछली सुनवाई के दौरान कोर्ट ने शेखावत को भी पेश होने के लिए कहा था. पिछली सुनवाई के दौरान कोर्ट में दस्तावेजों की जांच को लेकर सुनवाई हुई थी.
अदालत ने गहलोत का पक्ष सुनने के बाद दिल्ली पुलिस को शेखावत के अधिवक्ता को इस मामले से जुड़े दस्तावेज की कॉपी उपलब्ध कराने को कहा था. लेकिन दिल्ली पुलिस की ओर से अभी तक दस्तावेज की कॉपी नहीं दिए जाने के चलते आज फिर से कोर्ट ने दोपहर तक कॉपी उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है.
गहलोत को कोर्ट से मिली है राहतः 19 अगस्त को सेशन कोर्ट में हुई सुनवाई के दौरान कोर्ट ने गहलोत को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पेश होने के लिए दी गई राहत बरकरार रखी थी. इसी के आधार पर आज गहलोत वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से पेश हुए. गहलोत की ओर से निचली अदालत के व्यक्तिगत पेशी के आदेश से छूट देने के मामले की सुनवाई कर रहे सेशन जज एमके नागपाल के छुट्टी पर रहने के चलते दूसरे सेशन जज विकास ढुल ने मामले की सुनवाई करते हुए सेशन कोर्ट के पूर्व के आदेश को बरकरार रखा था.
क्या है मामलाः केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने उन्हें और उनके परिवार को संजीवनी घोटाले में आरोपी बताए जाने पर गहलोत पर मानहानि का दावा किया था. इसके बाद अदालत ने छह जुलाई को गहलोत के खिलाफ समन जारी कर सात अगस्त को व्यक्तिगत पेशी का आदेश दिया था. गहलोत ने एडिशनल मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट के इस आदेश को सेशन कोर्ट में चुनौती दी थी.
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